

MP के 9 जिलों के 23 विकासखंडों में 10 फरवरी से फाइलेरिया रोकने दवा बांटेगी सरकार
भोपाल:मध्यप्रदेश में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए राज्य सरकार 10 फरवरी से 9 जिलों के चिन्हित 23 विकास खण्डों में शुरू होगा फाइलेरिया रोधी दवाओं का वितरण शुरु करेगी। इन जिलों में 58 लाख 8 हजार 577 की आबादी में 52 लाख 85 हजार 805 लाभार्थियों को दवा का सेवन कराने का लक्ष्य बनाया गया है।
स्वास्थ्य विभाग के राज्य कार्यक्रम अधिकारी फाइलेरिया डॉ. हिमांशु जायसवार ने बताया कि राज्य में आगामी 10 फरवरी से 25 फरवरी तक 9 जिलों में 52,85,805 लाभार्थियों को प्रशिक्षित दवा सेवकों के माध्यम से बूथ डे एवं घर- घर भ्रमण के दौरान फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन कराया जाएगा। एमडीए अंतर्गत डी.ए. अर्थात डाय ईथाइल काबार्मैजिÞन सीट्रेट (डीईसी) और अल्बेंडाजोल का सेवन शहडोल, दतिया एवं निवाड़ी में और आई.डी.ए याने ट्रिपल ड्रग – डी.ई.सी, एल्बेण्डाजोल एवं आइवरमेक्टिन का सेवन मउगंज, छतरपुर, टीकमगढ़, पन्ना, कटनी और उमरिया जिलों में कराया जाएगा।
ये दवायें पूरी तरह से सुरक्षित हैं। इस बात का विशेष ध्यान रखना है कि 2 साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार लोगों को छोड़कर, सभी को फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन स्वास्थ्य कर्मियों के सामने करना है। यह दवायें खाली पेट नहीं खानी हैं और एल्बेण्डाजोल दवा को चबा के खाना है। वर्तमान में राज्य में 3059 लिम्फेडिमा के और हाइड्रोसील के 1011 मामले दर्ज कर विभाग द्वारा उन्हें मोर्बिडिटी मैनेजमेंट एवं डिसेबिलिटी प्रिवेंशन (एमएमडीपी) कार्यक्रम के अंतर्गत नि:शुल्क सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य एनटीडी कोआॅर्डिनेटर डॉ. देवेन्द्र सिंह तोमर का कहना है कि फाइलेरिया या हाथीपांव रोग, सार्वजनिक स्वास्थ्य की गंभीर समस्या है। यह रोग संक्रमित मच्छर के काटने से फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार फाइलेरिया, दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है।
आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फोडेमा (अंगों की सूजन) व काइलुरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है।
फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में एल्बेंडाजोल भी खिलाई जाती है जो बच्चों में होने वाली कृमि रोग का उपचार करता है और सीधे तौर पर बच्चों के शारीरिक और बौद्धिक विकास में सहायक होता है।