सरकार की मेहमाननवाजी की मिलेगी सौगात…पचमढ़ी बनेगा अंतरराष्ट्रीय पर्यटन केंद्र !

656
दो दिन के चिंतन-मनन और मंथन से अमृत निकालने की सरकार की प्रक्रिया के बीच यह बात भी फिजां में तैरती नजर आई है कि पचमढ़ी अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है। वैसे सतपुड़ा के अंचल में स्थित पचमढ़ी में वह सारी संभावनाएं निहित हैं, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसे नई पहचान दिला सकती हैं। पचमढ़ी, मध्यप्रदेश के होशंगाबाद ज़िले में स्थित एक पर्वतीय पर्यटक स्थल “हिल स्टेशन” है। यह ब्रिटिश राज के ज़माने से एक छावनी रही है। अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण 1067 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह शहर अक्सर “सतपुड़ा की रानी” कहलाता है। यह पचमढ़ी बायोस्फीयर रिजर्व में आता है और मध्य प्रदेश का उच्चतम बिन्दु 1352 मीटर ऊँची धूपगढ़ की चोटी यहीं स्थित है। यदि सरकार की नजरें इनायत होती हैं, तो पचमढ़ी का कायाकल्प हो सकता है। पचमढ़ी के पास वन क्षेत्र के साथ ही वन्य-जीवों को देखने का आनंद भी लिया जा सकता है। एडवेंचरस एक्टिविटीज का प्रमुख केंद्र बनने की संभावनाएं भी पचमढ़ी में मौजूद हैं। ऐसे में यदि सरकार चाहे तो पचमढ़ी को अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की रुचि का केंद्र बनने में कोई ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि सतपुड़ा अंचल के अनोखे पर्यटन स्थल पचमढ़ी को राष्ट्रीय ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल में विकसित किया जा सकता है। इसके लिए संयुक्त प्रयास आवश्यक हैं। पचमढ़ी के पर्यटन विकास के लिए शासन, प्रशासन और आम जन के साथ जनप्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। पचमढ़ी की जलवायु, पर्वतीय संरचना, वन्य जीवन और नैसर्गिक सौंदर्य अद्भुत है। अगर पचमढ़ी की चर्चा की जाए तो यह मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 190 किलोमीटर दूर स्थित है। पचमढ़ी की खोज का श्रेय डीएच गार्डन नामक विद्वान को जाता है। यहाँ घने जंगल, कलकल करते जलप्रपात और तालाब हैं। सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान का भाग होने के कारण यहाँ आसपास बहुत घने जंगल हैं। यहाँ के जंगलों में शेर, तेंदुआ, सांभर, चीतल, गौर, चिंकारा, भालू, भैंसा तथा कई अन्य जंगली जानवर मिलते हैं। यहाँ की गुफाएँ पुरातात्विक महत्व की हैं, क्योंकि यहाँ गुफाओं में शैलचित्र भी मिले हैं। पचमढ़ी एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल होने के कारण यह सड़क, रेल और वायुमार्ग से अच्छे से जुड़ा हुआ है। किसी भी माध्यम से यहां सरलता से पहुंचा जा सकता है। इसके अतिरिक्त यहां ठहरने के लिए भी कई विकल्प उपलब्ध हैं। मुंबई-हावड़ा रेलमार्ग पर इटारसी व जबलपुर के बीच पिपरिया स्टेशन सबसे पास है। पचमढ़ी भोपाल, इंदौर, नागपुर, होशंगाबाद, छिंदवाड़ा तथा पिपरिया से सीधा सड़क मार्ग से जुड़ा है। पिपरिया से टैक्सी भी उपलब्ध रहती हैं। तो भोपाल हवाई अड्डे के द्वारा दिल्ली, ग्वालियर, इंदौर, मुंबई, रायपुर और जबलपुर से जुड़ा है।
यहाँ महादेव, चौरागढ़ का मंदिर, रीछागढ़, डोरोथी डीप रॉक शेल्टर, जलावतरण, सुंदर कुंड, इरन ताल, धूपगढ़, सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान है। सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान 1981 में बनाया गया जिसका क्षेत्रफल 524 वर्ग किलोमीटर है। यह प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यहाँ कैथोलिक चर्च और क्राइस्ट चर्च भी हैं। प्रियदर्शिनी प्‍वाइंट, रजत प्रपात, बी फॉल, राजेंद्र गिरि पहाड़ी, हांडी खोह, जटाशंकर गुफा, पांडव गुफा,अप्सरा विहार जैसे धार्मिक-ऐतिहासिक महत्व के स्थल पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। तो सरकार चाहे तो मेहमाननवाजी का तोहफा स्वीकार करने को पचमढ़ी सहर्ष तैयार है। जिस तरह कुशाभाऊ इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर तोहफा पाकर भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की शाम होते-होते हॉल से अंतरराष्ट्रीय पहचान पा गया था। उसी तरह पचमढ़ी की भी ख्वाहिश है कि पहचान बदली तो शिवराज सरकार के मंथन के अमृत की एक बूंद उसके हिस्से में आने को वह कभी नहीं भुलाएगी। बस पचमढ़ी का सरकार से यही अनुरोध है कि यहां से लौटने के बाद उसे भुलाना मत और अंतरराष्ट्रीय पहचान पाने की हसरत जरूर पूरी करना।