नगर निकाय के समय बागी बनने के बाद 500 से अधिक निष्कासित भाजपाइयों के लिए बनी गाइडलाइन
भोपाल: भाजपा नेतृत्व और पार्टी के फैसलों के विरुद्ध टिप्पणी करने वाले ऐसे नेताओं को बीजेपी में दोबारा एंट्री नहीं दी जाएगी जो संगठन द्वारा नोटिस या निष्कासन की कार्यवाही के बाद लगातार पार्टी पर सवाल उठाते रहे हैं और संगठन के खिलाफ बयानबाजी करते रहे हैं। ऐसे नेताओं की पार्टी में वापसी नहीं करने का फैसला लिया गया है। चुनाव के मद्देनजर बीजेपी अगले एक माह में न्यू जॉइनिंग पर फोकस करेगी।
पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नौ साल के कार्यकाल की उपलब्धियां बताने के दौरान नाराज नेताओं को समझाईश देकर मनाने और नए लोगों को पार्टी से जोड़ने के लिए कहा है। इसी के मद्देनजर संगठन ने 30 जून तक चलने वाले अभियान के दौरान पार्टी में वापसी करने वालों के लिए एक गाइडलाइन तय की है। ये मामले प्रदेश अनुशासन समिति के माध्यम से वापस लिए जाएंगे। अनुशासन समिति की बैठक भी इसको लेकर इसी माह फिर होने की संभावना है। बताया जाता है कि पार्टी की अनुशासन समिति के पास नगरीय निकायों के बागियों के अलावा तीस से चालीस प्रकरण अलग हैं जिन पर जल्दी फैसला लिया जाना है। अनुशासन समिति के फैसले के बाद ही सागर महापौर के पति सुशील तिवारी को बीजेपी ने प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य के दायित्व से मुक्त कर दिया है।
नगरीय निकाय के 500 से अधिक बागियों की वापसी संभव
बीजेपी चुनावी साल में एक साल पहले पार्टी के फैसले के विरुद्ध नगरीय निकाय चुनाव में बागी बनने वाले कार्यकर्ताओं की वापसी के लिए अब लिखकर लेगी कि उनसे गलती हो गई है और वे माफी चाहते हैं। इस माफीनामे को जिला अध्यक्षों के माध्यम से संगठन तक पहुंचाया जाएगा और इसके बाद निष्कासित नेताओं की न्यू जॉइनिंग हो जाएगी। प्रदेश में ऐसे 500 से अधिक नेता और कार्यकर्ता हैं जिन्हें चार माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी ने पार्टी में वापस लेने का निर्णय लिया है।