प्रस्तुति-डॉ घनश्याम बटवाल मंदसौर
मंदसौर. सनातन धर्म में श्रावण मास का विशेष धार्मिक महत्व बताया गया है. फिर श्रावण की अमावस्या का महत्व तो अति महत्वपूर्ण है!
इस तिथि पर सूर्य और चंद्र एक साथ एक ही राशि में स्थित होते हैं। यह तो हरियाली अमावस्या है।
शिवालयों में पूजन अर्चन अभिषेक अनुष्ठान चल रहे हैं। पशुपतिनाथ महादेव का हरी दूर्वा से विशेष श्रृंगार हुआ। सामुहिक मनोकामना अभिषेक कर आरती की गई।
इस संबंध में स्कंदपुराण में लिखा है कि-
अमा षोडशभागेन देवि प्रोक्ता महाकला।
संस्थिता परमा माया देहिनां देहधारिणी।।
इस श्लोक के अनुसार अमावस्या चंद्रमा में इस दिन सभी सोलह कलाओं की शक्तियां रहती हैं। परंतु इनकी इस कला का क्षय और उदय नहीं होता है अतएव यह दिवस अत्यंत पुण्य पवित्र होता है।
श्रावण का सम्पूर्ण मास देवाअर्चन के लिए उत्तम माना गया है.
श्रावण का संपूर्ण मास भगवान शिव तथा भगवान नारायण को समर्पित है. हरियाली अमावस्या का पर्व पर्यावरण के महत्व को भी बताता है. इस दिन वृक्षारोपण विशेष फलदाई माना गया है.
पंचांग अनुसार तिथि एवं पर्व महत्व
श्रावण मास की अमावस्या की तिथि को हरियाली अमावस्या, सावन अमावस्या और श्रावणी अमावस्या के नाम से भी जानते हैं. अमावस्या 28 जुलाई को मनाई जायेगी. इस व्रत में पेड़ों की पूजा करने के साथ ही नए पौधे लगाने का विधान है.
तिथि निर्धारण:
हरियाली अमावस्या का प्रारंभ 27 जुलाई दिन बुधवार को रात 8:20 से होगा. अमावस्या का समापन 28 जुलाई दिन गुरुवार को रात 10:16 पर होगा. ऐसे में हरियाली अमवस्या का व्रत 28 जुलाई दिन गुरुवार को रखा जाएगा.
हरियाली अमावस्या का व्रत 28 जुलाई २०२२ को रखा जाएगा. हरियाली अमावस्या का पर्व वृक्ष एवम् वनस्पतियो की हमारे जीवन में उपयोगिता का महत्व दर्शाता है.
हरियाली अमावस्या पर करें ये उपाय
॰ हरियाली अमावस्या पर करें शिव के इस मंत्र का जाप
यदि आप पितृ दोष से पीड़ित हैं जिसके कारण आपके बनते काम बिगड़ रहे हों तो हरियाली अमावस्या इस दोष से मुक्ति पाने का सर्वश्रेष्ठ समय है. इस दिन महादेव का ध्यान करें और ॐ नम: शिवाय मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें. उसके बाद शिवलिंग का जलाभिषेक करें.
॰ पीपल के पेड़ की करें परिक्रमा
हरियाली अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर घी का दीपक जलाएं. उसके बाद शिवजी की पूजा करें और पीपल के पेड़ की परिक्रमा करें. इस दिन पीपल का पेड़ लगाना अति उत्तम होता है.
॰ पितरों के लिए रखें भोजन और पानी
हरियाली अमावस्या के दिन सवा मीटर सफेद कपड़े में सूखा नारियल, 250 ग्राम चावल और 11 रुपये बांध लें. अब इस पोटली को 21 बार अपने सिर के चारों तरफ घुमा लें. अब इस पोटली को ऐसे स्थान पर रखें जहां पर किसी की नजर न पड़े. अब एक पत्तल में फल, इत्र, सफेद मिठाई रखकर एक गिलास जल के साथ इसे पितरों को अर्पित करें.
हरियाली अमावस्या में करें पितरों का तर्पण
अमावस्या तिथि के स्वामी पितृदेव माने गए हैं। इसलिए अमावस्या पर पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, श्राद्ध कर्म और, धूप-ध्यान और दान-पुण्य करने का महत्व है।
चाँदी पीतल या तांबे के लौटे में जल भरकर, उसमें गंगाजल, कच्चा दूध, तिल, जौ, दूब, शहद और फूल डालकर पितरों का तर्पण करना चाहिए। तर्पण करते समय दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके हाथ में तिल और दूर्वा लेकर अंगूठे की ओर जलांजलि देते हुए पितरों को जल अर्पित करें।
राशि अनुसार वृक्षारोपण
वैसे तो आप कोई भी पोधा रोपित करे श्रेयस्कर ही हे फिर भी ज्योतिष शास्त्र हर लग्न या राशि के जातकों के लिए प्रथक प्रथक विधि आदेशित करता है। निम्नांकित में से जो भी आपका लग्न या राशि हो तदनुसार भी आप वृक्षारोपण कर सकते हैं।
मेष – आंवला का पौधा
वृष – जामुन का पौधा
मिथुन – चंपा का पौधा
कर्क – पीपल का पौधा
सिंह – वटवृक्ष या अशोक का पौधा
कन्या – बेलपत्र का पौधा
तुला – अर्जुन का पौधा
वृश्चिक – नीम का पौधा
धनु – कनेर का पौधा
मकर – शमी का पौधा
कुंभ – आम का पौधा
मीन – बेर का पौधा
भगवान आदित्य को अर्घ दें।
हरी हर का पूजन करें।