सुनी सुनाई: मंत्री पर भारी, शराब कारोबारी!

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सुनी सुनाई: मंत्री पर भारी, शराब कारोबारी!

यह किस्सा बेहद रोचक है। इस सप्ताह मप्र के एक मंत्री पर शराब कारोबारी भारी पड़ गया। शराब कारोबारी ने मंत्री जी की विरोधियों के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई को लेकर कोई टिप्पणी कर दी। मंत्री जी ने जबावी कार्रवाई करते हुए कारोबारी की डिस्लरी पर जीएसटी की टीम भेज दी। कारोबारी भी क्षेत्र में प्रभावशाली है। वह शराब के साथ बीड़ी का भी बड़ा कारोबार करते हैं। अच्छा खासा पैसा व प्रभाव भी है। जैसे ही कारोबारी को पता चला कि उनके यहां जीएसटी छापा मंत्री जी के इशारे पर पड़ा है, उन्होंने मंत्री जी को फोन लगाकर अगले विधानसभा चुनाव में हिसाब बराबर करने की चेतावनी दे डाली। चर्चा है कि मंत्री जी के विधानसभा क्षेत्र में इस कारोबारी के पास 15 हजार से अधिक वोटर हैं। मंत्री जी ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया, लेकिन नाराज कारोबारी ने मोबाइल बंद कर लिया। मंत्री जी कारोबारी को खोजते हुए उनके पास पहुंचे और बैठकर सभी गिले शिकवे दूर किये। इसके बाद ही मंत्री जी ने राहत की सांस ली है।

*दो आईएएस की शिकायत लोकायुक्त पहुंची*

मप्र नेशनल हेल्थ मिशन की संचालक प्रियंका दास और रीवा के तत्कालीन कलेक्टर मनोज पुष्प की लोकायुक्त में शिकायत दर्ज कराई गई है। इन दोनों आईएएस पर एक भ्रष्ट महिला अफसर को बचाने का आरोप है। अर्पिता सिंह चौहान नामक महिला को फर्जी दस्तावेज के आधार पर हेल्थ मिशन में सिंगरौली में संविदा पर पोस्टिंग दी गई। इन्हें नियम विरुद्ध तरीके से कुछ दिन में ही पहले सतना फिर रीवा ट्रांसफर कर दिया गया। रीवा में अर्पिता सिंह पर 77 लाख रुपये के घपले घोटाले के गंभीर आरोप लगे। विभाग की जांच में आरोप सही पाये गये। रीवा के तत्कालीन कलेक्टर और स्वास्थ्य विभाग की जांच टीमों ने अर्पिता को भ्रष्टाचार का दोषी करार दिया। फिर अचानक तत्कालीन कलेक्टर मनोज पुष्प ने सब कुछ जानते हुए अर्पिता को बचाने पत्र लिख दिया। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने इनके दस्तावेज फर्जी बताते हुए बर्खास्त करने की अनुशंसा की, लेकिन मिशन संचालक प्रियंका दास ने कार्रवाई करने के बजाय उनका तबादला उमरिया कर दिया। अर्पिता की नियुक्ति से लेकर भ्रष्टाचार तक के तमाम दस्तावेजों के साथ भोपाल में लोकायुक्त को शिकायत सौंपी गई है।

*मप्र कांग्रेस की पहली टिकट तय!*

मप्र कांग्रेस ने विधानसभा की पहली टिकट तय कर दी है। इंदौर विधानसभा क्रमांक 2 से चिन्टू चौकसे को स्वयं कमलनाथ ने चुनाव लड़ने की तैयारी करने को कह दिया है। इस सीट पर भाजपा का लंबे समय से कब्जा है। चिन्टू चौकसे फिलहाल इंदौर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष हैं। पिछले नगर निगम चुनाव में कमलनाथ ने चिन्टू के कहने पर जिन्हें पार्षद की टिकट दी थीं, उनमें से अधिकांश चुनाव जीत गये हैं। चिन्टू की सक्रियता और लोकप्रियता से कमलनाथ प्रभावित हैं। अब विधानसभा चुनाव में चिन्टू का मुकाबला दादा दयालु यानि इंदौर के सबसे लोकप्रिय विधायक रमेश मेंदौला से होना तय हो गया है। हालांकि यह भी खबर आ रही है कि आकाश विजयवर्गीय ने यदि सीट बदली तो वे दो नम्बर में आ सकते हैं। फिलहाल यह तय है कि इंदौर विधानसभा क्रमांक दो का चुनाव रोचक होगा।

*सुनी सुनाई का असर, नेहा मारव्या को मिला काम*

हम खुश हैं कि हमारे इस काॅलम की खबरों पर भी असर होने लगा है। 15 दिन पहले हमने इसी काॅलम में मप्र की 2011 बैंच की आईएएस नेहा मारव्या के बारे में लिखा था कि इस तरह वह वरिष्ठ आईएएस अफसरों की प्रताड़ना का शिकार हो रही हैं। नेहा को राजस्व विभाग में उप सचिव बनाया गया था, लेकिन पिछले 9 महीने से उनके पास एक भी फाईल नहीं आई थी। उन्हें विभाग में कार्य आवंटित ही नहीं किया गया था। इस काॅलम में खबर छपने के बाद राज्य सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए नेहा मारव्या को राजस्व विभाग की दो शाखाओं की जिम्मेदारी सौंप दी है। फिलहाल लंबे समय बाद नेहा मारव्या फाईलें निपटाने में व्यस्त नजर आ रही हैं।

*विधायक पुत्रों की चुनाव से पहले जेल यात्रा!*

मप्र भाजपा के दो विधायकों के लाडले बेटे पुलिस रिकार्ड में लंबे समय से फरार थे। जैसे जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं विधायकों को अपने इन बेटों की चिन्ता सताने लगी कि फरारी में वे विधानसभा चुनाव का मैनेजमेंट कैसे करेंगे? बस चिन्ता को देखते हुए दोनों विधायकों ने अपने अपने बेटों को पुलिस के सामने हाजिर करा दिया है। सिंगरौली विधायक रामलल्लू वैश्य के बेटे विवेक वैश्य पर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज है। मजेदार बात यह है कि आठ महिने बाद वह सिंगरौली पुलिस के हत्थे लगा। पुलिस रिकार्ड में विधायक का यह बेटा 8 माह से फरार था। कोर्ट ने जेल भेजने के आदेश दिए, लेकिन हाईकोर्ट से जमानत मिलने तक विधायक पुत्र जिला अस्पताल के एसी रूम में एशो आराम से रहा। नरसिंहपुर विधायक जालिम सिंह का बेटा मोनू पटेल को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया। फिलहाल वह नरसिंहपुर जेल में है। 20 अप्रैल को हाईकोर्ट उसकी जमानत पर विचार करेगा।

*यह सिफारिशीलाल वकील!*

मप्र हाईकोर्ट में सिफारिश के आधार पर नियुक्त सरकारी वकीलों को लेकर राज्य सरकार की जमकर फजीहत हो रही है। हाईकोर्ट को कहना पड़ रहा है कि सरकार ने अक्षम लोगों को सरकारी वकील बना दिया है। जबकि सरकार इन वकीलों को लाखों रुपये प्रतिमाह मानदेय दे रही है। सरकारी वकीलों को लेकर ग्वालियर हाईकोर्ट ने इस सप्ताह गंभीर टिप्पणी कर दी है। जस्टिस दीपक अग्रवाल ने एक प्रकरण की सुनवाई के दौरान कह दिया कि सरकार ने अक्षम लोगों को सरकारी वकील बना दिया है। वे न तो कोर्ट को मदद कर पाते हैं और न ही तैयारी करके आते हैं। जस्टिस अग्रवाल ने मप्र के विधि सचिव को इस संबंध में उचित कदम उठाने को भी कहा है। जबकि राज्य सरकार ने ग्वालियर हाईकोर्ट में 5 अतिरिक्त महाधिवक्ता, 5 उप महाधिवक्ता, 28 शासकीय वकील और 2 उप शासकीय वकील नियुक्त किये गये हैं।

*और अंत में….!*

मप्र में लंबे समय बाद महामहिम राज्यपाल की कथित नाराजगी चर्चा में है। मप्र के परिवहन आयुक्त का एक पत्र वायरल होने और उसके बाद राज्यपाल का ग्वालियर में आयोजित अंबेडकर महाकुंभ में न जाना चर्चा का विषय बन गया है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि महामहिम पत्र वायरल होने से नाराज हैं। दरअसल परिवहन आयुक्त ने 16 अप्रैल को ग्वालियर में महामहिम के मुख्य आतिथ्य में आयोजित अंबेडकर महाकुंभ में 8 जिलों से एक लाख लोगों को लाने के लिये 2500 बसों की व्यवस्था करने के लिए 6.18 करोड़ रुपये की डिमांड भेजी थी। पत्र वायरल होने से संदेश गया कि महामहिम के लिये लोगों को जबरन ढोकर लाया जा रहा है। संयोग से इस महाकुंभ में महामहिम नहीं पहुंचे। इसके बाद से चर्चा है कि महामहिम नाराज हो गये हैं। हालांकि इस संबंध में राजभवन से अधिकारिक कोई बयान नहीं आया है।