

Hearing on OBC Reservation : सुप्रीम कोर्ट का OBC आरक्षण पर MP सरकार से सवाल, 13% होल्ड पदों पर नियुक्तियों में क्या दिक्कत!
New Delhi : अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27% आरक्षण लागू करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। लेकिन, इस मामले में अभी कोई राहत नहीं मिली। कोर्ट ने मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव से एफिडेफिट मांगा है कि जो 13% पद होल्ड हैं, उन पर नियुक्तियों में क्या दिक्कत है! सरकार ने साल 2019 में ओबीसी को 27% आरक्षण देने के लिए एक्ट पास किया गया था, लेकिन अमल में नहीं आ पाया।
पीएस नरसिम्हा एवं जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने सुनवाई की। कोर्ट में एक बार फिर मप्र में ओबीसी की आबादी 51% होने की दलील दी गई, लेकिन 27% आरक्षण लागू करने का आदेश देने पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई राहत नहीं दी। यह भी सामने आया कि मामले में मप्र हाईकोर्ट से ट्रांसफर होकर करीब 70 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में पहुंची हैं, उन्हीं पर आगे सुनवाई होगी। तत्काल आरक्षण देने संबंधी इस याचिका में अभी कोई राहत नहीं मिली है।
सरकार पुराने आदेश का हवाला देकर बच रही
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने एक बार फिर कहा कि एक्ट पास होने के बाद भी उम्मीदवारों को पांच साल से 27% आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा। सरकार 19 मार्च 2019 के हाईकोर्ट के एक पुराने अंतरिम आदेश का हवाला देकर आरक्षण से बच रही है। जबकि, एक्ट पर कोई रोक नहीं है, इसे लागू किया जाए। इसके पहले 25 जून की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट जस्टिस ने अधिवक्ता से ही पूछा था कि इंदिरा साहनी केस क्या है? इसमें आरक्षण की सीमा 50% तय की हुई है।
इस पर अधिवक्ता ने कहा था कि मप्र में ओबीसी की आबादी 51% है, लेकिन नौकरियों में केवल 13.66% आरक्षण है। इसलिए सरकार ने 27% का एक्ट पास किया और इस पर कोई स्टे नहीं है। केवल विधिक सलाह के बाद एक नोटिफिकेशन से इस आरक्षण को देने से रोक दिया गया। सरकार ने 87%-13% का फार्मूला लगा दिया। चार-पांच साल से यह 13% आरक्षण रुका हुआ है।
ओबीसी महासभा के कोर कमेटी मेंबर एडवोकेट धर्मेंद्र कुशवाह ने बताया कि कोर्ट ने नोटिस जारी कर सरकार से जवाब मांगा है कि 27% आरक्षण क्यों नहीं दिया जा रहा! सुनवाई करीब 10 मिनट तक चली है। सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल अपीयर हुए थे। उन्होंने 27% आरक्षण को जारी करने का विरोध किया। कहा कि हमारी तरफ से यह मांग की गई थी, कि अंतिम सुनवाई तक अंतरिम रूप से 27% आरक्षण लागू कर दिया जाए, जिससे 13% अनहोल्ड को खत्म किया जा सके। उस पर भी सॉलिसिटर जनरल ने विरोध किया है। इस पर हमने जल्दी सुनवाई के लिए तारीख मांगी थी, जिस पर भी सॉलिसिटर जनरल ने मना किया।