भाजपा पर भारी, उमा भारती की नाराजगी….!
– पूर्व मुख्यमंत्री साध्वी उमा भारती के तेवर इस बार तीखे हैं। उन्होंने भाजपा के खिलाफ सबसे कड़ा बयान दिया है। संभवत: पहली बार ही उन्होंने बयान से पलटी नहीं मारी है। इससे उमा की नाराजगी और भाजपा की मुसीबत बढ़ने का अंदाजा लगता है। पहले उमा ने समाज के लोगों से कहा कि हम प्यार के बंधन में बंधे हैं, लेकिन राजनीति के बंधन से मैं आपको आजाद करती हूं। मैं आऊंगी, भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में वोट मांगूंगी। लेकिन आप भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ता नहीं हैं। इसलिए मेरे कहने पर भी आप भाजपा को वोट न दें। आप उसे ही वोट दें, जिसने आपको सम्मान देकर उचित स्थान दिया हो। इसके बाद उन्होंने कह दिया कि भगवान राम एवं हनुमान की भक्ति पर भाजपा का कॉपीराइट नहीं है क्योंकि वे भाजपा कार्यकर्ता नहीं। ये बयान भाजपा में रहकर बगावती है।
भाजपा पर उमा की नाराजगी इसलिए भी भारी पड़ सकती है क्योंकि चंबल-ग्वालियर और बुंदेलखंड अंचल में पिछड़ा वर्ग भाजपा के खिलाफ पहले से लामबंद होने की कोशिश में है। एक तरफ प्रीतम लोधी ने अभियान चला रखा है तो दूसरी तरफ पिछड़ा वर्ग महासभा भाजपा के खिलाफ सड़क पर है। ऐसे में उमा की एंट्री मुसीबत बढ़ाने वाली है। पिछली बार भाजपा ने सवर्णों की नाराजगी झेली थी, इस बार पिछड़ा वर्ग नाराज है।
उमा के तेवर भतीजे के लिए भी खतरे की घंटी….
– लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का टिकट खतरे में हैं और खरगापुर से विधायक उनके भतीजे राहुल लोधी का भी। इसकी वजह उमा के भाजपा के प्रति तीखे तेवर हैं। उमा ने घोषणा कर रखी है कि वे 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेंगी। कहां से लड़ना है, इसका फैसला भाजपा करेगी। अब उनके चुनाव लड़ने पर संशय है, क्योंकि पिछले कुछ समय से वे भाजपा के लिए मुसीबत की वजह बनी हुई हैं। शराबबंदी अभियान के जरिए उन्होंने प्रदेश सरकार को पहले से असहज कर रखा है। उन्होंने लोधी-लोधा समाज से कह दिया कि मैं आपसे भाजपा के लिए वोट मांगूंगी, लेकिन आप मेरे कहने पर वोट न दें, अपने विवेक से फैसला करें। छिंदवाड़ा जाकर उन्होंने यह भी कह दिया कि भगवान राम और हनुमान की भक्ति पर भाजपा का कॉपीराइट नहीं है, क्योंकि राम और हनुमान भाजपा कार्यकर्ता नहीं हैं। उनकी और कई बातें भाजपा पर चोट करने वाली हैं। ऐसे में भाजपा नेतृत्व उमा को लोकसभा चुनाव लड़ाए, इसकी कोई गारंटी नहीं। हालात ये हैं कि उनके भतीजे राहुल लोधी का खरगापुर से टिकट भी खतरे में पड़ सकता है। हाईकोर्ट पहले ही राहुल की सदस्यता रद्द कर चुका है। सुप्रीम कोर्ट से उन्हें सशर्त स्टे मिला है। ऐसे में उमा के ये तेवर और बयान, राहुल के लिए भी खतरे की घंटी है।
राहुल की आशंका पर भाजपा नेत्रियों की मुहर….
– कांग्रेस नेता राहुल गांधी की आशंका पर मप्र भाजपा की दो नेत्रियों ने मुहर लगा दी है। भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने सलाह दी है कि सभी को अपने पास तेज धार वाला चाकू रखना चाहिए, जो सब्जी के साथ कुछ भी काट सके। दूसरी नेत्री प्रदेश की पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर ने सभी को शस्त्रों के लायसेंस बनवाने की सलाह दी है। सवाल है कि क्या देश का माहौल इतना खराब है कि सभी को चाकू, बंदूक और रिवाल्वर रखने की जरूरत है? साध्वी प्रज्ञा एवं ऊषा ठाकुर के बयानों से तो यही लगता है। ऐसे में यदि राहुल गांधी कहते हैं कि देश के अंदर नफरत का माहौल है।
वे देश को जोड़ने और समाज में सदभाव बढ़ाने के लिए भारत जोड़ो यात्रा पर निकले हैं, तो गलत क्या है? बाद में भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने भी ज्यादातार हिंदुओं को शस्त्र लायसेंस लेने की सलाह दे डाली। भाजपा अब तक राहुल गांधी की यात्रा का विरोध यह कह कर करती रही है कि भारत को जोड़नें की जरूरत नहीं है। देश में कहीं भी नफरत, वैमनस्यता का माहौल नहीं है। राहुल को यात्रा ही निकालनी है तो कांग्रेस जोड़ो यात्रा निकालना चाहिए। ऊषा, प्रज्ञा और रामेश्वर के बयान इससे उलट हैं। इन्हें लगता है कि सभी को अस्त्र-शस्त्र रखना चाहिए। राहुल के विरोध से पहले भाजपा को अपनी लाइन तय करना चाहिए।
सच्च हो या झूठ, सर्वे ने उड़ा दी नींद….
– प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा कराया गया एक कथित सर्वे सुर्खियों में है। कमलनाथ ने खुद इस सर्वे को फर्जी बताया है। ऐसे में सर्वे सच्चा है या झूठा, इस पर प्रश्नचिन्ह है। फिर भी इसने कांग्रेस के अधिकांश विधायकों और चुनाव लड़ने के इच्छुक दावेदारों की नींद उड़ा रखी है। इस कथित सर्वे के अनुसार कांग्रेस के 95 विधायकों में से कमलनाथ की तत्कालीन सरकार के 17 पूर्व मंत्रियों एवं 37 मौजूदा विधायकों की स्थिति ही ठीक है। प्रदेश कांग्रेस द्वारा लगातार कहा जा रहा है कि पार्टी ने ऐसा कोई सर्वे नहीं कराया, बावजूद इसके नेताओं की धड़कन तेज हैं।
सूची में जिन विधायकों का जिक्र नहीं है, उनकी स्थिति कमजोर मानी जा रही है। लिहाजा, इन्हें अपने टिकट खतरे में दिखने लगे हैं। इसके अलावा जिन विधायकों की स्थिति अच्छी बताई गई है, वहां के अन्य दावेदार बेचैन हो गए हैं। इसलिए भी क्योंकि सर्वे में जिनकी स्थिति अच्छी बताई गई है, इनमें से कई की हालत क्षेत्र में खराब है। इन्हें जीत के लाले पड़ सकते हैं। कमलनाथ सर्वे के आधार पर टिकट देने की बात हमेशा करते रहे हैं। इसलिए मजबूत दावेदारों को उम्मीद है कि सर्वे में उनका नाम ऊपर होगा और विधायक का टिकट काटकर उन्हें मौका दिया जाएगा। लेकिन इस सर्वे ने इनके अरमानों पर भी पानी फेर रखा है। यह गुटबाजी और भितरघात का बड़ा कारण बन सकता है।
असरदार नहीं रही इस सरदार की धार….!
– मालवा अंचल के एक सरदार पहले भी ट्वीट करते थे, अब भी कर रहे हैं। फर्क यह है कि पहले वे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के पक्ष और भाजपा के विरोध में अपने शब्दों की धार तेज रखते थे, अब वे भाजपा में हैं। कांग्रेस छोड़ने के बाद भी उनके ट्वीट लगातार जारी हैं। अब वे कमलनाथ, राहुल गांधी और कांग्रेस के अन्य नेताओं को निशाना बनाते हैं। उनके ट्वीट देखने, पढ़ने से पता चलता है कि इस सरदार के ट्वीट की धार अब पहले जैसी असरदार नहीं रही। इसकी दो वजह हंै। एक, भाजपा ने अब तक उन्हें कोई दायित्व नहीं दिया है। इसलिए बिना किसी पद के वे ट्वीट करते हैं। इससे उनकी बात का वजन नहीं होता। दूसरा, उनके अधिकांश ट्वीट हलके होते हैं। उनमें न गंभीरता होती, न ही पहले जैसा पैनापन। बस कांग्रेस के खिलाफ लिखना है तो कुछ भी लिख दिया। सरदार जी के कुछ ट्वीट तो हंसी का कारण बनते हैं। संभवत: इसलिए क्योंकि वे पद की चाहत में बिना किसी मुद्दे के जबरन ट्वीट कर हमला बोल देते हैं। कई बार भाजपा के नेता ही कार्यालय में बैठकर उनके ट्वीट का मजाक उड़ाते दिखाई पड़े। सरदार जी भाजपा में जाने के बाद भी पहले जैसे सक्रिय रहें, अच्छी बात है, लेकिन कुछ भी लिखने से पहले उन्हें मुद्दों को परख लेना चाहिए। सिर्फ चर्चा में बने रहने के लिए कुछ भी ट्वीट कर देना ठीक नहीं।
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