
भाजपा में गुटबंदी दूर करने हेमंत का भोजन मंत्र
–अरुण पटेल
जब कोई दल सत्ता में होता है तब उसमें गुटबंदी का होना कोई अस्वाभाविक बात नहीं है। हर कार्यकर्ता और नेता की यह स्वाभाविक इच्छा होती है कि उसे भी सत्ता साकेत में नौकायन का अवसर जरूर मिले। सागर में इन दिनों भाजपा की अंदरूनी कलह काफी बढ़ी हुई है और पूर्व मंत्री विधायक भूपेंद्र सिंह और मंत्री गोविंद सिंह राजपूत की दूरी किसी से छिपी नहीं है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने अपने सागर प्रवास के दौरान भाजपा नेताओं के आपसी मतभेद दूर करने का न केवल प्रयास किया बल्कि फौरीतौर पर एकता स्थापित करने के लिए भोजन मंत्र का सहारा लिया, जिसे दूसरे शब्दों में डिनर डिप्लोमेसी भी कह सकते हैं।
फौरी तौर पर तो ऐसा लगता है कि दोनों एक होने का दावा कर रहे हैं लेकिन इस दावे में कितना दम है यह कुछ समय बाद ही पता चलेगा। चिर-परिचित प्रतिद्वंदी गोविंद सिंह राजपूत जो कि मोहन यादव सरकार में मंत्री हैं और पूर्व मंत्री विधायक भूपेंद्र सिंह एक साथ नजर आये और दोनों नेता खंडेलवाल की उपस्थिति में दोनों एक साथ नजर आये। बैठकों के बाद राजपूत के निवास पर भूपेंद्र सिंह पहुंचे और प्रदेश अध्यक्ष के साथ निवास पर राजूपत के निवास पर पहुंचे। इस मेल मुलाकात की पृष्ठभूमि एक दिन पूर्व ही तैयार हो गई थी।
यह समझा जाता है कि सागर के भाजपा कार्यालय में सांसदों और विधायकों एवं भाजपा जिला अध्यक्षों की बैठक में प्रदेश अध्यक्ष खंडेलवाल ने दो टूक शब्दों में गुटबाजी रोकने की समझाइश दी और आपसी मतभेदों को मिटाने के बारे में सख्त हिदायत दी। खंडेलवाल का जोर इस बात पर था कि भाजपा में संगठन ही सबकुछ है और समाज में यह संदेश नहीं जाना चाहिए कि भाजपा में गुटबाजी चल रही है। खंडेलवाल का कहना है कि सागर जिले में उनका यह पहला प्रवास था और पार्टी में गुटबाजी नहीं है, सब ठीक चल रहा है। यह खंडेलवाल की फौरी मध्यस्थता का ही प्रभाव कहा जा सकता है कि गोविंद सिंह राजपूत और भूपेंद्र सिंह ने एक-दूसरे के यहां भोजन किया। जहां तक सागर की राजनीति का सवाल है वहां पर राजपूत और भूपेंद्र सिंह एक साल बाद साथ-साथ दिखे। यहां तक कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कार्यक्रम में दोनों नेता एक-दूसरे के साथ नजर नहीं आते थे। ऐसा लगता है कि हेमंत खंडेलवाल का भोजन मंत्र आखिर काम आ गया। भूपेंद्र सिंह और गोविंद सिंह राजपूत की राजनीतिक प्रतिद्वंदिता लगभग 27 साल पुरानी है। भूपेंद्र सिंह खांटी भाजपा नेता हैं जबकि गोविंद सिंह राजपूत ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ दल बदल कर भाजपा आये और वे कांगे्रस की कमलनाथ सरकार में मंत्री थे और अब भाजपा सरकार में भी मंत्री हैं। गोविंद सिंह राजपूत के भाजपा में आने के बाद और कैबिनेट मंत्री बनाये जाने के बाद से भूपेंद्र सिंह से उनकी बातचीत बंद थी और दोनों ही एक-दूसरे पर निशाना साधने का कोई अवसर हाथ से जाने नहीं देना चाहते थे। अब देखने वाली बात यही होगी कि दोनों के घाव काफी पुराने हैं, लेकिन यह एकता केवल दिखावटी रहेगी या वास्तव में दोनों एक रहेंगे।
मोहन यादव ने किये कांग्रेस पर तीखे हमले
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने नेहरू-गांधी परिवार को अपने निशाने पर लेते हुये कहा कि नेहरू और गांधी ने आजादी से पहले योगदान देने वाले लोगों के साथ अन्याय किया है और उनके योगदान को भुला दिया है। मोहन यादव का आरोप है कि यदि पं. जवाहरलाल नेहरू ने सरदार पटेल की बात मानी होती तो जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 लागू करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती, और न ही इसका परिणाम देश और जनता को भुगतना पड़ता। जम्मू कश्मीर में 40 हजार से अधिक निरापराध लोगों को मारा गया है, सिर्फ एक खानदान को बचाने और उसके भरोसे अन्य महापुरुषों के साथ किया वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। इंदौर में आयोजित नर्मदा प्रवाह यूनिटी मार्च में भाग लेते हुये यात्रा शुरू होने से पहले अपने संबोधन में नेहरू-गांधी परिवार को निशाने पर लिया। डॉ. यादव ने यहां तक कहा कि कागजों में अपने खानदान को भारत रत्न दिलवाया। पं. नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को भारत रत्न मिला। न किसी के भुलाये कोई भूलता है और न किसी के मिटाये मिटता है।
कांग्रेसियों ने ली संविधान की शपथ
जहां एक ओर संविधान दिवस पर इंदौर में भारतीय जनता पार्टी ने एकता यात्रा निकाली तो वहीं दूसरी ओर कांगे्रस ने संविधान की शपथ ली। डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा पर सांसदद्वय दिग्विजय सिंह और विवेक तन्खा ने देश के लोकतांत्रिक ढांचे और चुनाव की पारदर्शिता पर तीखे सवाल उठाये। दिग्विजय सिंह का साफ शब्दों में कहना था कि देश का लोकतंत्र अभूतपूर्व संकट से गुजर रहा है। जिन लोगों के घर से करोड़ों रुपये मिले हैं वही चुनाव आयोग का बचाव कर रहे हैं जबकि आयोग पूरी तरह से बेईमानी पर उतर आया है। भाजपा सरकार मतदाताओं के अधिकार छीन रही है। दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सलाह दी कि लोकतांत्रिक संस्थाओं से छेड़छाड़ जैसी गतिविधियों से उन्हें अपने आप को अलग रखना चाहिये। भाजपा सरकार एसआईआर की प्रक्रिया के माध्यम से मतदाताओं के अधिकार छीन रही है। दिग्विजय सिंह ने कांगे्रसियों को लोकतंत्र की रक्षा की शपथ दिलाई।
*और यह भी…*
कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी ने प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के द्वारा जिलों में संगठन मंत्री का पद देने पर ऐतराज जताते हुये कहा कि जब जिलों में संगठन मंत्री का पद ही नहीं है तो नियुक्तियां कैसी हुई, केवल महामंत्री की नियुक्ति ही की जा सकती है। कांगे्रस की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी की बैठक में प्रदेश कांगे्रस द्वारा जिलों में की गई संगठन मंत्रियों की नियुक्तियों का मामला जब उठा तब हरीश चौधरी ने साफ कर दिया कि कांग्रेस के बाइलॉज में संगठन मंत्री का कोई पद ही नहीं है तो नियुक्ति कैसी कर दी। कांगे्रस में संगठन महामंत्री का पद है जिस पर प्रदेश व जिलों में नियुक्ति की जाये। उल्लेखनीय है कि प्रदेश कांगे्रस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने जिलों में संगठन मंत्री नियुक्त कर दिये थे जिन्हें हरीश चौधरी ने निरस्त कर दिया। उन्होंने पटवारी को यह भी जतला दिया कि नियुक्तियां करने से पहले अखिल भारतीय कांगे्रस कमेटी से स्वीकृति ली जाये और उसके ही नियुक्ति पत्र जारी किये जायें। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह सुनिश्चित किया जाये कि हर महीने कम से कम एक बैठक हो।बाद में जीतू पटवारी ने जो नियुक्तियां की थी उनका प्रस्ताव महामंत्री के रूप में दिया जिन्हें हरीश चौधरी ने तत्काल स्वीकृति दे दी और उनको महामंत्री के रूप में नियुक्ति पत्र जारी कर दिए ।





