High Court Order : SC/ST एक्ट में कार्रवाई तभी, जब अपमानित करने का इरादा हो! 

जानिए, हाईकोर्ट ने यह आदेश किस मामले में दिया!  

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High Court Order : SC/ST एक्ट में कार्रवाई तभी, जब अपमानित करने का इरादा हो! 

Allahabad : अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (SC/ST) अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के तहत यह साफ हो कि आरोपी का इरादा अपमानित करने का था, तभी एससी/एसटी तहत कार्रवाई की जाए! यह आदेश इलाहबाद हाईकोर्ट ने दिया है। केवल अधिनियम के आधार पर यह धारा नहीं लगाई जा सकती।

हाईकोर्ट ने गाजियाबाद एससी/एसटी के विशेष न्यायाधीश द्वारा पारित इस आशय के एक आदेश को रद्द कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी पर आईपीसी की धारा 323, 504, 506 और एससी/एसटी की धारा 3(2) (वीए) के तहत पारित किया गया आदेश सही नहीं है। यह आदेश न्यायमूर्ति साधना रानी ठाकुर की पीठ ने सीमा भारद्वाज की अपील पर सुनवाई करते हुए दिया है।

मामले में याचक के खिलाफ गाजियाबाद के कविनगर थाने में मारपीट करने, जाति आधारित गाली-गलौज करने के आरोप में नीतू की और से प्राथमिक की दर्ज कराई गई थी। शिकायतकर्ता का आरोप था कि आरोपी उसकी मां के साथ झगड़ा करती है, उसे जबरन गलत दवाई देती है और वह यह चाहती थी कि पीड़िता नौकरी छोड़ दे।

आरोप है कि याचक ने 5-6 अज्ञात व्यक्तियों को भेजा, जिन्होंने पीड़िता और उसकी मां को सड़क पर रोका। साथ ही जाति सूचक गलियों का प्रयोग किया और घर में काम न करने की धमकी दी। याची की ओर से तर्क दिया गया की घटना के समय वह मौके पर नहीं थी, जो भी हुआ होगा वह 5-6 व्यक्तियों द्वारा किया गया। कोर्ट ने तथ्य और परिस्थितियों को देखते हुए एससी/एसटी कोर्ट द्वारा लिए गए संज्ञान के आदेश को रद्द करते हुए दो महीने में ट्रायल पूरा करने का निर्देश दिया है।