

High Court Reprimands Bhind Collector : हाई कोर्ट से भिंड कलेक्टर को लगी जमकर फटकार, इस वजह से हमेशा सुर्खियों में रहे!
Bhind : कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव को ग्वालियर हाई कोर्ट ने एक मामले में फटकार लगाई। अपनी कार्यशैली की वजह से कलेक्टर काफी विवादास्पद रहे हैं। हाई कोर्ट की एकल पीठ ने भिंड कलेक्टर की कार्य प्रणाली पर गंभीर टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि भिंड कलेक्टर पीडब्ल्यूडी के खिलाफ आरआरसी (रेवेन्यू रिकवरी सर्टिफिकेट) को निष्पादित करने में खुद को असहाय बता रहे हैं। राज्य शासन को सोचने का समय है, कि ऐसे अधिकारी को फील्ड में तैनात किया जाना चाहिए या नहीं। कलेक्टर ने जो स्पष्टीकरण दिया, वह चौकाने वाला है। कलेक्टर ने कोर्ट की एक और अवमानना की, इसलिए संजीव श्रीवास्तव के खिलाफ एक और अवमानना अलग से दर्ज की जाए। इसके लिए प्रिंसिपल रजिस्ट्रार को निर्देशित किया गया। साथ ही कर्मचारी बकाया भुगतान करने के लिए सात दिन का समय दिया है।
हाई कोर्ट ने कलेक्टर पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि कलेक्टर को आदेश का पालन कराने के लिए हाई कोर्ट का नाम लिखने की क्या जरुरत थी, क्या भिंड कलेक्टर अक्षम हैं? दरअसल, भिंड के लोक निर्माण विभाग में पदस्थ कर्मचारी शिव पार्वती श्रीवास्तव वेतन भोगी कर्मचारी था। उसका नियमितीकरण किया गया। श्रम न्यायालय ने उसे ₹12.10 लाख एरियर देने का आदेश दिया। भुगतान न होने पर वे ग्वालियर हाईकोर्ट गए। कोर्ट के आदेश पर भी भुगतान नहीं हुआ, तब कर्मचारी ने अवमानना का केस दायर किया। कोर्ट ने भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव को तलब किया था।
कलेक्टर ने शब्दों से हाई कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की। कलेक्टर ने कहा कि भिंड में पीडब्ल्यूडी की संपत्ति नहीं है, इसलिए कुर्क नहीं कर सकते। कोर्ट ने सवाल किया कि ऑफिस कहां पर संचालित है। कलेक्टर ने कहा कि उस भवन पर शासन लिखा हुआ है। हाई कोर्ट ने कहा कि कलेक्टर ऑफिस पर भी मप्र शासन लिखा जाता है। संपत्ति का मालिक कलेक्टर नहीं होता। कोर्ट के सवाल सुन कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव फंस गए। वे बोले कि दो दिन में संपत्ति कुर्क कर रिपोर्ट पेश करेंगे। कोर्ट ने कर्मचारी को पूरा भुगतान करने का आदेश दिया। कलेक्टर ने भी कोर्ट से पूरा भुगतान करने का वादा किया, लेकिन उसके बावजूद कर्मचारी को भुगतान नहीं मिला।
इस बात को लेकर लगी कोर्ट से फटकार
भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने बड़ी ही चालाकी से मामले को उल्टा कोर्ट पर ही डाल दिया। उन्होंने अपने आदेश में लिखा था कि हाईकोर्ट के आदेश से मालनपुर स्थित लोक निर्माण विभाग का गेस्ट हाउस की नीलामी, विभाग का कार्यालय सील करने, दफ्तर में लगे प्राइवेट वाहनों का भुगतान रोककर कर्मचारी को दिया जाएगा। हाई कोर्ट ने जब आदेश देखा तो पाया कि हाई कोर्ट के आदेश का उल्लेख करके ही कलेक्टर ने ये सारी कार्रवाई की है। इसे लेकर कोर्ट ने कलेक्टर को फटकार लगाई। इस मनमानी पर जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने कहा कि कलेक्टर को आदेश का पालन कराने के लिए हाई कोर्ट का नाम लिखने की क्या जरुरत थी, क्या भिंड कलेक्टर अक्षम हैं?
अभद्रता करने आरोप पहले भी लगा
कुछ माह पहले पूर्व सैनिक संघ ने कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव के खिलाफ कलेक्टेड के बाहर धरना-प्रदर्शन किया था। कलेक्टर पर पूर्व सैनिकों ने आरोप लगाया था कि जो सैनिक सीमाओं पर रहकर देश की सेवा कर रहे हैं, उन्ही सैनिकों को अपमान झेलना पड़ रहा है। इसे लेकर पूर्व सैनिक जिला कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव के तानाशाही रवैया के चलते सड़क पर धरने पर बैठ गए थे। पूर्व सैनिक का आरोप है कि कलेक्टर ने उनकी बात सुनने की वजह पुलिस वालो से धक्का देकर चैंबर से बाहर निकाल दिया। यह उनको अपमानित करने का काम किया।