
मंत्री विजय शाह के खिलाफ दर्ज FIR पर हाई कोर्ट की नाराजगी,कहा- इसमें महत्वपूर्ण कानूनी तत्वों की कमी
भोपाल: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी को लेकर भाजपा मंत्री कुंवर विजय शाह के खिलाफ राज्य पुलिस द्वारा दर्ज की गई FIR पर गुरुवार को कड़ी नाराजगी जताई और कहा कि इसमें महत्वपूर्ण कानूनी तत्वों की कमी है। न्यायालय ने अब पुलिस जांच की निगरानी करने का फैसला किया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह निष्पक्ष और बाहरी प्रभाव के बिना आगे बढ़े।
जस्टिस अतुल श्रीधरन और अनुराधा शुक्ला की खंडपीठ ने कहा कि FIR में संदिग्ध की हरकतों का कोई ठोस उल्लेख नहीं है, जिससे भारतीय न्याय संहिता (BNS) के प्रासंगिक प्रावधानों, खास तौर पर धारा 152, 196(1)(बी) और 197(1)(सी) के तहत अपराध स्थापित हो सके। ये प्रावधान राष्ट्रीय संप्रभुता को खतरे में डालने, सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने और राष्ट्रीय एकता को खतरे में डालने वाले कृत्यों से संबंधित हैं।

अदालत ने पाया कि FIR के पैराग्राफ 12 में अदालत के पिछले आदेश को ही दोहराया गया है, लेकिन यह नहीं बताया गया है कि मंत्री की टिप्पणियों से किस तरह से अपराध दर्ज किए गए हैं। पीठ ने टिप्पणी की, “FIR इस तरह से दर्ज की गई है…ताकि अगर इसे तत्कालीन धारा 482 सीआरपीसी के तहत चुनौती दी जाती है, तो इसे रद्द किया जा सकता है क्योंकि इसमें महत्वपूर्ण विवरण नहीं हैं।”
अदालत ने निर्देश दिया कि 14 मई के उसके पूरे आदेश को FIR का हिस्सा माना जाए। अदालत ने कहा कि वह अब जांच की निगरानी करेगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह कानूनी और निष्पक्ष तरीके से की जा रही है।
विवाद विजय शाह के बयान से उपजा है, जिसमें उन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों की वरिष्ठ अधिकारी कर्नल कुरैशी को आतंकवादियों की “बहन” बताकर उन्हें आतंकवादियों से जोड़ा। उनकी यह टिप्पणी ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में की गई थी, जो पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों के खिलाफ एक सैन्य अभियान था, जिसके दौरान कर्नल कुरैशी प्रवक्ता के रूप में काम कर रहे थी।
शाह ने कहा था, ”जिन्होनें हमारी बेटियों के सिन्दूर उजाड़े थे…हमने उनकी बहन भेज कर उनकी ऐसी की तैसी कराई।” यह टिप्पणी अदालत ने न केवल अपमानजनक बल्कि खतरनाक और सांप्रदायिक पाई।
उच्च न्यायालय ने पहले मंत्री की भाषा को “गटर स्तर” कहा था और एक सम्मानित सैन्य अधिकारी के खिलाफ उनके व्यंग्य की निंदा करते हुए कहा था कि इस तरह की टिप्पणियां “अलगाववादी भावना पैदा करके अलगाववादी गतिविधियों की भावनाओं को बढ़ावा देती हैं, जिससे भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरा पैदा होता है।”
बता दे कि शाह ने इस मामले में सोशल मीडिया पर सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगी और कर्नल सोफिया कुरैशकोको “देश की बहन” कहा। राज्य सरकार ने भी अपने आधिकारिक हैंडल पर पोस्ट किया कि वह अदालत के आदेश के अनुपालन में उचित कार्रवाई कर रही है।
हालांकि, अदालत ने यह स्पष्ट किया कि वह FIR की विषय-वस्तु से संतुष्ट नहीं है और इस बात पर चिंता व्यक्त की कि इसे इस तरह से तैयार किया गया है जिससे इसकी कानूनी स्थिरता कमजोर हो सकती है।
इस बीच, विजय शाह ने अपने खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के स्वत: संज्ञान निर्देश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट कल फिर सुनवाई करेगा।





