Highcourt Instructions : हुकुमचंद मिल की जमीन का दुबारा मूल्यांकन किया जाए!

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Highcourt Instructions : हुकुमचंद मिल की जमीन का दुबारा मूल्यांकन किया जाए!

छह साल में जमीन की कीमत कैसे घटी, कोर्ट ने कहा फिर मूल्यांकन करो!

Indore : हुकुमचंद मिल की साढ़े 42 एकड़ जमीन का दोबारा मूल्यांकन होगा। मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने डीआरटी द्वारा पूर्व में किए गए जमीन के मूल्यांकन को निरस्त करते हुए मंगलवार को यह आदेश दिए। मूल्यांकन की कार्रवाई 9 नवंबर को पूरी की जाएगी। मूल्यांकन की रिपोर्ट हाई कोर्ट में प्रस्तुत होगी। मामले में अगली सुनवाई 22 नवंबर को होगी।
कोर्ट ने कहा कि मूल्यांकन की प्रक्रिया में मजदूरों के प्रतिनिधि, नगर निगम के अधिकारी, परिसमापक के प्रतिनिधि, डीआरटी के अधिकारी और दो मूल्यांकनकर्ता शामिल होंगे। हुकुमचंद मिल 12 दिसंबर 1991 को बंद हो गई थी। इसके बाद से मिल के 6 हजार मजदूर और उनके परिजन अपने हक के लिए भटक रहे हैं। कोर्ट ने 2007 में मजदूरों का मुआवजा 229 करोड़ रुपए तय किया था। मुआवजे का भुगतान मिल की जमीन बेचकर होना है, लेकिन कई बार निविदा जारी करने के बावजूद जमीन बिक नहीं पा रही।
कुछ दिन पहले डीआरटी ने जमीन बेचने के लिए नई निविदा जारी की थी। इसमें जमीन का आरक्षित मूल्य 385 करोड़ रुपए रखा गया था। मजदूरों ने इसका विरोध करते हुए हाईकोर्ट में एक आवेदन प्रस्तुत किया था। इसमें कहा था कि 6 वर्ष पहले भी जमीन के बेचने के लिए निविदा बुलाई गई थी। उस समय जमीन का आरक्षित मूल्य 400 करोड़ रुपए रखा गया था।
छह साल में जमीन की कीमत कई गुना बढ़ गई है। इसके बाद हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने डीआरटी द्वारा पूर्व में किए गए जमीन के मूल्यांकन को किया निरस्त, अब 9 नवंबर को दोबारा होगा। इस दौरान मजदूरों के प्रतिनिधि, नगर निगम के अधिकारी, डीआरटी के अधिकारी रहेंगे मौजूद।

दोबारा मूल्यांकन प्रक्रिया
मजदूरों का पक्ष कोर्ट के समक्ष रख रहे एडवोकेट धीरज पंवार ने बताया कि मंगलवार को कोर्ट ने इस संबंध में आदेश दिया है। कोर्ट ने डीआरटी द्वारा पूर्व में किए गए जमीन के मूल्यांकन को निरस्त करते हुए नए सिरे से मूल्यांकन करने को कहा है। कोर्ट ने कहा है कि डीआरटी 9 नवंबर को दोबारा मूल्यांकन की प्रक्रिया करे। मूल्यांकन की प्रक्रिया में डीआरटी के अधिकारी, मजदूरों के प्रतिनिधि, नगर निगम के अधिकारी, परिसमापक प्रतिनिधि और दो मूल्यांकनकर्ता शामिल होंगे। डीआरटी पुनर्मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट में प्रस्तुत करेगा।