Hijab Controversy : कर्नाटक HC के हिजाब बैन पर SC में फैसला नहीं हुआ!

दोनों जजों के फैसले अलग-अलग होने से मामला CJI को सौंपा गया!

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Hijab Controversy : कर्नाटक HC के हिजाब बैन पर SC में फैसला नहीं हुआ!

New Delhi : हिजाब को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में एकमत फैसला नहीं हो सका। डबल बैंच के दोनों जस्टिस का फ़ैसला अलग-अलग होने से मामले को CJI (चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया) को सौंप दिया गया।

कर्नाटक के स्कूल, कॉलेजों में हिजाब पर बैन के मामले में एक जज ने कर्नाटक सरकार के हिजाब बैन के फैसले को सही ठहराया, दूसरे जज ने इसे गलत कहा। इसलिए अब यह मामला बड़ी बेंच में चला गया। रिटायर होने जा रहे जस्टिस हेमंत गुप्ता ने हिजाब बैन को सही कहा। जबकि, जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले और राज्य सरकार के आदेश को रद्द करने का आदेश दिया।

जस्टिस हेमंत गुप्ता ने शिक्षण संस्थानों में हिजाब समेत सभी तरह के धार्मिक पोशाकों पर प्रतिबंध से जुड़े कर्नाटक सरकार के सर्कुलर को सही कहा। उन्होंने हिजाब बैन को सही ठहराने वाले कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील को खारिज कर दिया। दूसरी तरफ, जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए राज्य सरकार के आदेश को रद्द कर दिया। दोनों जजों की बंटी हुई राय की वजह से बेंच ने अब मामले को CJI को सौंप दिया।

जस्टिस धूलिया ने कहा कि उनके लिए विचार का प्रमुख मुद्दा मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा का था। उन्होंने कहा कि हिजाब मजहब का अनिवार्य हिस्सा है या नहीं, इस पर विचार की जरूरत ही नहीं थी। यह सिर्फ एक चॉइस से जुड़ा सवाल है। यह पंसद से जुड़ा मसला है। मेरे लिए जो सबसे ऊपर था वह लड़कियों की शिक्षा था। जस्टिस धूलिया ने कहा कि लड़कियों को स्कूल जाने से पहले घर का काम-काज निपटाना पड़ता है और हम उनकी जिंदगी को बेहतर बना रहे हैं। यह आर्टिकल 19 और 25 से जुड़ा मामला है।

जस्टिस सुधांशु धूलिया सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किए जाने से पहले गुवाहाटी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस थे। उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में 1960 में जन्मे धूलिया के पिता केसी धूलिया इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज रह चुके हैं। सुधांशु धूलिया ने 1981 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन किया। 1983 में मॉर्डन हिस्ट्री में मास्टर्स किया और उसके बाद 1986 में एलएलबी की डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट में वकालत शुरू की। 1 नवंबर 2008 को वह उत्तराखंड हाई कोर्ट में जज नियुक्त किए गए। जनवरी 2021 में वह गुवाहाटी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने। इसी साल 9 मई को वह सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त किए गए।