किसी बयान पर देश को दंगों की आग में झोंकना कितना उचित ?

कीर्ति कापसे की विशेष रिपोर्ट

क्या देश में कोई बयान जो TV शो में किसी सवाल के जवाब में दिया गया और अब जो बयान सोशल मीडिया पर दिए जा रहे है क्या वो देश की एकता अखण्डता से बड़े है? क्या किसी भी समुदाय को लोगों को उकसाने और सड़कों पर उतर कर गुंडागर्दी करने का अधिकार है?

जुम्मे की नमाज़ के बाद भी एक समुदाय के लोगों ने बड़ी संख्या में जुट कर प्रदर्शन किया और तख़्तियाँ दिखाई जिनमें अलग अलग वाक्य लिखे थे और आसमान नारों से गूंज रहा था । दिल्ली में भी जामा मस्जिद पर कई लोगों ने इकट्ठा हो कर नारेबाज़ी के साथ प्रदर्शन किया साथ ही जगह जगह पत्थर बाज़ी की ।

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क्या सहारनपुर क्या प्रयागराज क्या हुबली और क्या राँची और ये सारे प्रदर्शन शुक्रवार के दिन ही किए गए ।
ऐसा कार्य वो भी इस पाक दिन प्रयागराज में पुलिसकर्मी घायल हुए तो राँची में गोली चलाने की नौबत तक आ गई ।देश के अलग अलग शहरो में हुए प्रदर्शनो में सड़के पत्थरों से पटी हुई है ।पुलिस के वायरलेस सेट लगातार बज रहे है ।एम्बुलेंस सायरन बजाती दौड़ लगा रही है ।उन्मादियों ने पुलिस को भी नही छोड़ा जहाँ पुलिसकर्मी दिखे वही पत्थर चलना शुरू हो गए इनमें ख़ास नोट करने वाली बात यह है कि उन्मादियों ने पंद्रह सोलह वर्ष के किशोरो को इसने आगे किया है । और इनका नाम पुलिस रिकोर्ड में दर्ज करवा दिया है।

मौक़ा मिलने पर इन्हें बरगलाना आसान है और पकड़े जाने पर मासूम बताना भी ।ये कट्टर पंथियों की सोची समझी रणनीति है ।देश को आग में झोकने का कार्य किया जा रहा है। नुपुर शर्मा वाले मुद्दे को उछाला जा रहा है । नुपुर शर्मा ने ऐसा कुछ नही कहा जिस पर इतना बवाल?

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जो बोला सच ही बोला … क्या ये सच नही है कि प्रॉफ़िट मुहम्मद ने छः साल की मासूम बच्ची से शादी की थी?
क्या ये सच नही है प्रोफ़िट मुहम्मद की ११ बीवियाँ थी?

ये हदीस में दर्ज है अगर सच है तो इस बवाल की क्या ज़रूरत है ।

कभी CAA के नाम पर ,तो कभी हिजाब के नाम पर ,तो कभी किसान आन्दोलन के नाम पर तो कभी राम नवमी पर तो कभी हनुमान जयंती पर और अब बेचारी नूपुर शर्मा को टार्गेट बनाए बैठे है।

इन्हें सिर्फ़ कारण चाहिए बवाल करने का।इसे खोजने की ज़रूरत है कि कौन है इन सब के पीछे और किस तरह इस मानसिकता को ख़त्म किया जाए।

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अरब देश भी एक जुट हो जाते है और जैसे ही अरब से विरोध दर्ज होता है देश के कट्टर पंथी भी जुट जाते है दंगा करने । विरोधी दलो की भी भूमिका देखनी चाहिए।

देश में किसी को ये अधिकार नही है कि वो पुलिस से हाथापाई करे। पत्थर फेंके पब्लिक प्रॉपर्टी आग लगाये। किसी ने अगर कुछ ग़लत कहा है ऐसा यदि किसी को लगता है तो माफ़ी माँग ली है । प्रोफ़िट मुहम्मद तो बहुत विनम्र थे एक महिला रोज़ उनपर कचरा फ़ेकती थी उन्होंने तो उसका क़त्ल करने की बात नही है तो आप कौन हो ?क्या आप अपने आप को मुहम्मद से भी बड़ा समझते हो ।विचार आपको करना है , नाहक फ़िज़ूल बातो को तूल न दे देश को दंगो की आग में न झोके। अगर आप तरक़्क़ी का कारण नही बन सकते तो बाधा भी न बने यही विनम्र अपील है ।

Author profile
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कीर्ति चितले कापसे

एजुकेशन: MA history , Masters of journalism
Experience: 22 years Working
School teacher : high secondary school HOD social sciences 2001 to 2007
Dainik bhaskar : as GRC head (Group combind head )2007 to 2015
Naidunia : senior manager 2016 to 2018
Prajatantra 2018 to 2019
Fairconnects solutions pvt AVP media 2019 to march 2022
Now working with Mediawala as sub editor : march2022 to till now .

मेरे कई आर्टिकल लोकल अखबारो में छापे जा चुके है मुख्य रूप से वे विदेशी मामलों पर लिखे गए थे ।
मै कहानियाँ भी लिखती हूँ साथ ही पाड्कास्टिंग भी करती हूँ जिसने व्यंग्य और कहानियाँ मुख्यरूप से शामिल है ।