How do we go to school: शिक्षा तो दूर की बात पानी को तरस रहे बच्चे खुले में शौच करने को मजबूर
छतरपुर से राजेश चौरसिया की रिपोर्ट
छतरपुर: जिले के नौगांव में गरीब बच्चों को शिक्षा देने के उद्देश्य से सरकार ने प्राइवेट स्कूल की तर्ज पर इंग्लिश मीडियम स्कूलों की शुरुआत की गई जिसको लेकर नगर में भी जनपद शिक्षा केंद्र के निकट शासकीय एक्सीलेंस ईएम स्कूल की शुरुआत की गई जिसमें पानी पीने के लिए वाटर टैंक शौचालय सहित अन्य सुविधाएं दी गई जिसमें वर्तमान में 400 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत है लेकिन परिसर में लगा हेड पंप का पानी दूषित होने की वजह से प्रतिबंधित कर दिया गया। जिससे स्कूल के बच्चों को पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे तो वहीं शौच की समस्या भी बढ़ती जा रही है। स्थिति यह है कि 400 छात्र-छात्राओं को प्यास बुझाने सौ डेढ़ सौ मीटर दूर जाना पड़ता है।
स्कूल प्रधानाचार्य ने बताया कि इस समस्या के समाधान के लिए 2 माह पूर्व दिनांक 28 सितंबर 2021 को जनसुनवाई में आवेदन दिया गया था जिसके बाद नगरपालिका कार्यालय से नल कनेक्शन के लिए कहा तो विभागीय अधिकारी ने बताया कि नल कनेक्शन के लिए ₹5000 जमा कर दीजिए जिस के पैसों की असमर्थता के चलते बच्चे बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं और पानी की जुगाड़ में पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है।
सबसे बड़ी समस्या पानी की है जिससे छात्र छात्राएं तो ठीक स्टाफ भी परेशान है इसे प्रशासन की अक्षमता कहे या कुछ और कि महज ₹5000 के चलते 400 बच्चे पानी को तरस रहे जब मुख्यालय का यह हाल है तो ग्रामीण क्षेत्रों की हालात कैसे होंगे अंदाजा लगाया जा सकता है।
●छात्र-छात्राओं की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहा प्रबंधन..
नौगांव नगर में संचालित शासकीय स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की सेहत से प्रबंधन किस तरह का खिलवाड़ कर रहा है इसका अंदाजा स्कूलों में लगी पानी की टंकियों की स्थितियों को देखकर लगाया जा सकता है भूल से भी इन टंकियों को ऊपर से एक बार देख लिया जाए तो इसका पानी पीना तो दूर मुंह धोने लायक भी नहीं है। स्कूलों में लगी टंकियों का मुआयना किया तो हालत बद से बदतर नजर आए टंकियों के अंदर काई जमा थी तो कहीं टंकियों के अंदर मेंढक केंचुए नजर आये जिससे बच्चों में बीमारियां फैलने का खतरा बना हुआ है।
●2015 में आया था आदेश..
सप्ताह में एक बार सफाई हो स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 2015 में आदेश जारी कर सभी स्कूलों को हर सप्ताह स्कूल की पेयजल टंकियों की साफ सफाई कराने के आदेश जारी किए गए थे लेकिन अधिकांश स्कूलों बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर लापरवाही बरत रहे हैं स्कूल की टंकियों को देखकर ऐसा लगता है इनकी सफाई कई महीनों से नहीं की गई है।
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