“मैं मध्यप्रदेश”…उड़ान भरने तैयार हूं…
“मैं मध्यप्रदेश” वर्ष 2023 को अलविदा कह रहा हूं और 2024 का स्वागत पूरा दिल खोलकर कर रहा हूं। मध्यप्रदेश की राजनैतिक तस्वीर पूरी तरह साफ है। कमल खिला है और मोहन मध्यप्रदेश की साढ़े आठ करोड़ आबादी का मन मोह रहे हैं। विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर वरिष्ठ नेता नरेंद्र सिंह तोमर आसीन है। उनकी उपस्थिति अहसास करा रही है कि सदन की गरिमा में चार चांद लगेंगे। नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर उमंग सिंघार विराजमान हैं। जो सत्ता को आईना दिखाने के लिए हर पल तैयार हैं। नेतृत्व क्षमता विकसित हो, इसलिए युवा चेहरे हेमंत कटारे को उप नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपकर कांग्रेस निश्चिंत है। दो दलों को दिल में बसाए यह प्रदेश बिना इनकी चर्चा के अधूरा रहेगा। तो पहले चर्चा करें कमल दल की। प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के नेतृत्व में संगठन ने रिकॉर्ड 8 प्रतिशत ज्यादा मत हासिल कर इतिहास रच दिया है। 48.62 फीसदी मत हासिल कर कमल जितना दिल खोलकर खिला है, वह संगठन की समृद्धि पर मुहर लगा रही है। तो चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस ने संगठन में बड़ा बदलाव कर जीतू पटवारी के हाथ कमान सौंपी है। “मैं मध्यप्रदेश” यह देख रहा हूं कि नरेंद्र, मोहन, विष्णु, उमंग, हेमंत, जीतू सभी की यह पहली-पहली पारी है। विष्णु अपनी पहली पारी में विशेष योग्यता के साथ उत्तीर्ण हो चुके हैं, तो बाकी की योग्यता पद पाकर साबित हो गई है लेकिन उनके परफोर्मेंस पर मुहर लगना बाकी है।
पहले बात करें विभागों के वितरण के बाद मध्यप्रदेश सरकार की। मुख्यमंत्री मोहन यादव दस का दम दिखाने में सफल हुए हैं। परिवहन को छोड़कर कोई भी दमदार विभाग मोहन की नजर से नहीं बच पाया। अब सामान्य प्रशासन विभाग, गृह, जेल, उद्योग, खनिज का पंजा ही मोहन की मजबूत मुट्ठी का वर्णन कर रहे हैं।जनसंपर्क, लोकप्रबंधन, प्रवासी भारतीय, एनवीडीए और विमानन का पंच भी मोहन की माया का बखान कर रहा है। इतने विभाग सीएम के पास रहेंगे, यह अकल्पनीय था। गृह, जेल और जनसंपर्क पर तो चारों तरफ की नजर थी, पर बेअसर ही रही। इसमें खास तौर से यह समझ में नहीं आया कि दो उप मुख्यमंत्री किसलिए बनाए गए। जगदीश देवड़ा के पास वही विभाग है, जो पहले भी थे जब वह शिवराज के कैबिनेट मंत्री थे। और राजेंद्र शुक्ला ने भी सेहत से जुड़कर अपनी सार्थकता साबित करेंगे, यह उनने भी नहीं सोचा था। इस लिहाज से देखा जाए तो सांसदी छोड़ विधायक बने उदय का सूर्य चमक गया। जिस परिवहन पर मारामारी होती है, वह उन्हें पहली पारी में सहज ही हासिल हो गया।
शिवराज कैबिनेट में राजस्व और परिवहन महकमों के मालिक रहे गोविंद सिंह राजपूत अब महज खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण जैसे विभाग से सेवाकार्य में जुटेंगे। कुंवर विजय शाह जनजातीय कार्य में सिमट गए तो कैलाश विजयवर्गीय नगरीय विकास एवं आवास, संसदीय कार्य, प्रहलाद सिंह पटेल पंचायत एवं ग्रामीण विकास, श्रम और राकेश सिंह लोक निर्माण विभाग में अपना हुनर दिखाएंगे। करण सिंह वर्मा राजस्व महकमे में दूसरी बार अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। संपतिया उइके लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, तुलसी सिलावट जल संसाधन, एदल सिंह कंसाना किसान कल्याण एवं कृषि विकास, निर्मला भूरिया महिला एवं बाल विकास, विश्वास सारंग खेल एवं युवा कल्याण, सहकारिता, नारायण सिंह कुशवाह सामाजिक न्याय एवं दिव्यांग जन कल्याण, नागर सिंह चौहान वन, पर्यावरण, अनुसूचित जाति कल्याण, प्रद्युम्न सिंह तोमर ऊर्जा, राकेश शुक्ला नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा, चेतन काश्यप सूक्ष्म, लधु एवं मध्यम उद्यम और इंदर सिंह परमार उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा और आयुष की बागडोर संभालेंगे। कृष्णा गौर पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण,विमुक्त घुमंतू ,अर्धघुमंतू, धर्मेंन्द्र सिंह लोधी संस्कृति,पर्यटन,धार्मिक न्यास और धर्मस्व, दिलीप जायसवाल कुटीर एवं ग्रामोद्योग, गौतम टेटवाल तकनीकि शिक्षा,कौशल विकास एवं रोजगार, लखन पटेल पशुपालन एवं डेयरी और नारायण सिंह पंवार मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विभाग को स्वतंत्र तौर पर आबाद रखने का जतन करेंगे। वहीं राज्य मंत्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल स्वास्थ्य, प्रतिमा बागरी नगरीय विकास एवं आवास,दिलीप अहिरवार वन एवं पर्यावरण और श्रीमती राधा सिंह पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्यमंत्री के रूप में कैबिनेट मंत्री बनने की प्रणाली समझने में भी मन लगाएंगे।
अब बात करें पहली बार विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे नरेंद्र सिंह तोमर की। वह ऐसी शख्सियत हैं जो बोलने में कम और खुद को साबित करने में ज्यादा भरोसा रखते हैं। जैसी कहावत है कि गरजने वाले बादल बरसते नहीं हैं और बरसने वाले बादल गरजते नहीं हैं, तो नरेंद्र सिंह तोमर बिना गरजे ही बरसने में धनी हैं और आगामी समय में यह सदन में साबित होने वाला है। वहीं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने यह बता दिया है और जता भी दिया है कि ज्यादातर बूथ पर 51 फीसदी का रिकॉर्ड बना दिया है और सौ फीसदी बूथ पर 51 फीसदी मत पाने का रिकॉर्ड भाजपा उनके ही कार्यकाल में बनाएगी।
बात करें नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की, तो 15 माह की कांग्रेस सरकार में वह वन महकमे में खुद को साबित कर चुके हैं। अब नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी का हुनर दिखाने को वह तैयार हैं। एक दबंग आदिवासी नेता की उनकी पहचान है और नेता प्रतिपक्ष के बतौर वह सत्ता पक्ष को चैन नहीं लेने देंगे, यह जताने की कोशिश वह कर चुके हैं। जीतू पटवारी कांग्रेस के वह कद्दावर नेता हैं जो विधायक का चुनाव हारे, लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनकर यह जता दिया है कि राहुल गांधी की वह खास पसंद हैं। लोकसभा चुनाव में बतौर संगठन के मुखिया वह परीक्षा देने को पूरी तरह से तैयार हैं।
मध्यप्रदेश की राजनीति का जिक्र शिवराज के बिना अधूरा है। उन्होंने साल के अंतिम दिन कहा है कि 2023 जा रहा है 2024 आ रहा है। नए वर्ष का स्वागत…लेकिन जब पुराने की तरफ मैं नजर डालता हूं तो मेरा मन आनंद और आत्मसंतोष से भर जाता है। मन में संतोष है मध्यप्रदेश की प्रगति और विकास में बहुत उल्लेखनीय काम हम दे पाए। अब यह काम निरंतर आगे बढ़ते रहेंगे। तो “मैं मध्यप्रदेश” पहले ही उड़ान भर रहा था और अब ऊंचे आकाश में और ज्यादा गति से उड़ान को तैयार हूं…।