मै करवा, वो चौथ हमारी

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Rakesh Achal Column-01

व्रत -कथाएं और आरतियां लिखने वालों से मुझे सख्त चिढ है. चिढ इसलिए की इन लोगों की वजह से हम पतियों की नाक में दम है.नाक में दम क्या होती है ये केवल पति ही जान सकता है. पत्नी त्याग करने वालों को इसका अहसास कभी नहीं हो सकता. ‘बाँझ कि जाने प्रसव की पीरा ‘.गोस्वामी तुलसीदास ने सही लिखा है कि –

साचेहुँ उन्ह कें मोह न माया। उदासीन धनु धामु न जाया॥
पर घर घालक लाज न भीरा। बाँझ कि जान प्रसव कै पीरा॥

दरअसल इंडिया में पार्वतियों को बरगलाने का काम नारद जी ने किया .वे ही मन वांछित पति पाने कि लिए पार्वती को व्रत करने का उपदेश देने वाले हैं .पार्वतियों ने जान लिया है की व्रत करने से जब मनभावन पति मिल सकता है तो व्रत करने से उसकी उम्र को भी बढ़ाया जा सकता है .पतियों की जितनी लम्बी उम्र होगी उतना उन्हें सताया जा सकता है,निचोड़ा जा सकता है, उनकी जेब काटी जा सकती है .कायदे से इस खोज कि लिए नारद जी को नोबल पुरस्कार मिलना चाहिए था ,लेकिन चयन संती में कायदे-क़ानून चलते कहाँ हैं ?

कलिकाल में पतियों का शोषण करने कि लिए ही किसी खतरनाक आदमी ने करवा चौथ व्रत कथा की रचना की है .मुझे लगता है की पतियों से चिढ़ने वाले ही किसी विद्वान की ये करतूत है .उसने ये व्रत भारतीय पतियों से पूर्व जन्म का बदला लेने कि लिए सृजित किया है .

भारत कि बाहर किसी दूसरे देश में पतियों का शोषण करने कि लिए महिलाएं ऐसा खतरनाक व्रत नहीं करतीं .मै तो अक्सर विदेश जाता रहता हूँ.मैंने देखा है कि वहां कम ही महिलायें लम्बी आयु वाला पति चाहती हैं. विदेशों में तो कम आयु वाले पति पसंद किये जाते हैं ,क्योंकि एक तो इनसे जल्द छुटकारा मिल जाता है दूसरे नए पति को पाने का विकल्प भी मिल जाता है .

पता नहीं क्यों भातीय पत्नियों की दिलचस्पी पुरातत्व में है. वे क्यों लम्बी आयु वाला यानि पुराना पति चाहतीं हैं ? एक दिन निर्जला व्रत रख कर वे पूरे साल अपने पति कि शोषण की व्यवस्था और अधिकार दोनों हासिल कर लेती हैं .एक दिन कि निर्जला व्रत के बदले पत्नियां अपने पतियों से मन चाहिए चीजें मांग लेती है और पति बेचारा अपनी त्याग की मूर्ति बनी पत्नी कि सामने हथियार डालने कि लिए विवश हो जाता है. भूखी-प्यासी पत्नी की इच्छा पूरी करने कि लिए बेचारे पति को क्या ठठकर्म करने पड़ते हैं,ये कुंवारे लोग क्या जानें ?

करवा चौथ व्रत कथा लिखने वाले ने पत्नियों को फिलटर लगाकर पतियों का चेहरा देखने की सलाह क्यों दी ,मै आजतक नहीं समझ पाया .हमारे जमाने में पत्नियां व्रत समापन से पहले पति का चेहरा जरूर देखतीं थीं किन्तु फिलटर नहीं लगातीं थीं .लगता है की पतियों कि चेहरे पर बढ़ते प्रदूषण की वजह से ये इंतजाम किया गया है. अन्यथा फिलटर यानि चलनी कोई माइक्रोस्कोप तो है नहीं जो पति कि मन का सारा हाल बता दे !

करवा चौथ की शुरुआत सुबह-सुबह की रस्म ‘सरगी’ से शुरू होती है. सास के द्वारा तैयार सरगी खाने के बाद से ही महिलाओं का व्रत शुरु हो जाता है . जिन खुशनसीब महिलाओं कि यहां सास नहीं होती वे थोड़ी देर कि लिए अपनी पड़ौसन को सास बना लेतीं हैं,आखिर सरगी को जो खाना है.

सरगी खाने कि बाद पत्नियों को तो धरती पर है सरग [स्वर्ग] नसीब हो जाता है लेकिन बेचारे पति की शामत आ जाती है .बेचारे पति को अपनी पत्नी का स्वर्गवास रोकने कि लिए उसे करवा चौथ कि दिन कीमती से कीमती गिफ्ट खरीदकर लाना पड़ता है .पति करवा चौथ कि दिन गिफ्ट न लाये तो समझिये के उसका पूरा साल कड़वा हो सकता है रिश्तों कि लिहाज से .

करवा चौथ व्रत की ही वजह से अब बाजार में करवा चौथ के दिन गिफ्ट देने की सलाह देने वाली कंसल्टेंसी की दुकाने खुल गयीं है. ये सलाहकार कंपनियां आपकी हैसियत देखकर आपको बताती हैं की आप करवा चौथ के दिन अपनी पत्नी को कौन सी गिफ्ट दें ?

पत्नियों के लिए वो भी पतिव्रता पत्नी के लिए गिफ्ट खरीदना हमेशा कन्फ्यूजन का काम होता है ,इसलिए मै तो हमेशा कंसल्टेंट्स की सेवाएं लेता हूँ.मै जानता हूँ की जरा सा कन्फ्यूजन रिश्तों का फ्यूज उड़ा सकता है.गिफ्ट खरीदने के मामले में समझदार पति वो ही है जो ‘ खतरों का खिलाड़ी ‘ न बने और विशेषज्ञों की सेवाएं ले .

करवा चौथ रखने वाली पत्नियां आजकल केवल लाल गुलाबों का गुलदस्ता लेकर खुश नहीं होतीं.महंगी मेकअप किट देकर भी नहीं रिझा सकते.आप उन्हें डिजायनर साडी,बैग या घड़ी भी अब पुराना गिफ्ट माना जाता है. आजकल डायमंड के जेवर और सरप्राइज डेटिंग का जमाना है.

पतिव्रता पत्नी को खुश रखने के लिए भले ही आपको बैंक से ऋण लेना पड़े या अमेजन से ईएमआई पर कोई गिफ्ट खरीदिये जरूर ,अन्यथा आपका कल्याण नहीं होगा .आप स्वर्गवासी होने से पहले ही धरती पर ही नर्क में रहने के लिए अभिशप्त हो सकते हैं .

पतियों की लम्बी उम्र के लिए महिलाएं तीज का व्रत भी करतीं है किन्तु उन्हें फलदायी करवा चौथ का व्रत ही लगता है .महिलाएं मिटटी के करवों के साथ आजकल शक़्कर के करवे भी पूजने लगीं हैं. शक़्कर के करवे पूजने का विधान एकदम नया-नया है .किसी समझदार ने पतियों को तात्कालिक मूर्ख बनाने के लिए करवा मीठा पूजने का विकल्प दिया है .

बहरहाल जो है सो है .जिनकी पत्नियां अपने पतियों से ऊब चुकीं है उन्होंने इस करवा चौथ का उद्यापन जरूर कर दिया होगा ,लेकिन जो अब भी पुराना माल बापरतीं हैं वे जरूर करवा चौथ का व्रत रखतीं हैं .विदेशों में महिलाएं भारतीय महिलाओं की इस कोशिश को बड़ी जिज्ञासा से देखतीं हैं .सोचतीं हैं कि – पति भी कोई पूजने की चीज है ? करवा चौथ का पतियों को एक ही फायदा है वो ये कि वे करवा चौथ वाली रात पत्नियों से अपनी आरती उतरवाने कि साथ ही उन्हें अपने कदमों में झुका देख क्षणिक सुख अनुभव कर सकते हैं,अन्यथा पत्नियां न झुकती हैं और न आरती उतारतीं हैं .

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RAKESH ANCHAL
राकेश अचल

राकेश अचल ग्वालियर - चंबल क्षेत्र के वरिष्ठ और जाने माने पत्रकार है। वर्तमान वे फ्री लांस पत्रकार है। वे आज तक के ग्वालियर के रिपोर्टर रहे है।