

संस्मरण 4 – बारिश और बचपन
जिन्दगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की बात: लौटते में यदि बारिश मिलती तो हम लोग बरसाती नहीं पहनते थे!
सभी को बचपन की बारिश आज भी रोमांचित करती होगी| हमने भी बचपन में बारिश में बहुत भीगा है और अभी भी याद है कि जब भी बारिश में भीग कर आते थे तो मम्मी हमेशा गर्मागर्म कॉफ़ी पिलाती थी इसलिए भीगने में और भी मजा आता था|
बात उस समय की है जब हम लोग साइकिल से शाला जाते थे| जब बारिश का मौसम आता तो बरसाती भी अपने बस्ते में रख कर ले जाते थे परन्तु शाला से लौटते में यदि बारिश मिलती तो हम लोग बरसाती नहीं पहनते थे| जब घर पहुंचते तो पहले तो माँ का प्यार जिसमें चिंता छुपी होती वो देखने मिलती, वो जल्दी से हम तीनों बहनों के लिए तौलिये लाती फिर अपने हाँथों से पौंछती जाती और कुछ कुछ बोलती भी जाती हमारे लिए कपड़े लेकर आती और जल्दी से अँगीठी सुलगाती और कॉफी बनाने के लिए दूध पानी मिलाकर चढ़ाती| जब तक पानी खौलता तब तक वो हमारे बालों को सुखाती अगर ज्यादा ठंडा मौसम होता तो हम को अँगीठी के चारों ओर बैठा देती थी| बीच बीच में डांट भी पड़ती की, ” इतनी महंगी बरसाती किस दिन के लिए खरीदी थी” आदि आदि| हमलोग भी जवाब तैयार रखते कि आज रीता दीदी ने बरसाती नहीं रखी थी या आज शशि रखना भूल गई थी और कभी बस्ता लपेट दिया नहीं तो किताबें भीग जाती, या फिर “अभी यहीं तो बारिश आई हमारी शाला के पास तो बिल्कुल सूखा था” आदि आदि|
हमलोग माँ को बुद्धू बना कर बड़े खुश होते पर ये पता ही नहीं था कि माँ को सब पता है| एक दिन इतवार को ही बारिश हो रही थी माँ ने हम सभी को बोला कि जल्दी जल्दी बारिश में नहा लो नहीं तो बारिश रुक जायेगी| हम सभी बारिश में भीगने लगे जोर जोर से गाना गाने लगे तभी मम्मी ने अँगीठी सुलगाई और हम सभी के साथ नहाने आ गई और तब माँ ने कहा कि यदि गीला होना अच्छा लगता है तो कोई बात नहीं वो तो सभी को अच्छा लगता है पर झूठ बोलना गलत बात है और जब थोड़ी भी तबीयत गड़बड़ लगे तो बरसाती जरूर पहनना है| हम लोगों ने माँ से क्षमा माँगी और हमेशा इस बात का ध्यान रखा कि झूठ नहीं बोलना है|
अब सोचती हूँ कि उस समय घर में गैस नहीं थी और कॉफ़ी बड़ी मंहगी चीज़ मानी जाती थी तो भी माँ कैसे सब करती थी पर हाँ जब मेरे बच्चे छोटे थे तो मैं भी उनके साथ बारिश में खूब भीगती और फिर सब मिलकर कॉफ़ी पीते|
अपर्णा खरे,भोपाल
जिन्दगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की बात :जब गीले कपड़ों में पर्चा दिया !