
संस्मरण-2
जिन्दगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की बात- पुलिस अधिकारी की पत्नी और बेटा सड़क पर मस्ती कर रहे है लोग क्या कहेंगे!
आज का विषय अभी देखा दिमाग़ पर जोर दिया तो याद आया की बारिश में मैं कभी उलझी या फँसी तो नहीं थी पर एक बारिश को मैंने खूब दिल से एंजॉय किया था वही संस्मरण लिख देतीं हूँ आज.
बात बहुत पुरानी है पर यादों के एल्बम में आज एकदम नई हो गई है मेरे पति सोनकच्छ एस डी ओ पी थे. मैं रहती तो इंदौर में थी पर हर शनिवार -रविवार वहाँ बेटे प्रदीप जिसे हम प्यार से छोटू कहते है के साथ जाती थी छोटू आठवीं में पढ़ता था। एसे ही एक संडे को हम दौलतपुर डाक बंगले में गए हुये थे सोन कच्छ से भोपाल जाते समय बीच में है ज़्यादा दूर नहीं सोन कच्छ से.

अचानक तेज बारिश आ गई छोटू बच्चा था उसे बारिश में भीगने का मन हुआ उसने कुछ नहीं सोचा और मैं रोड पर बाहर आकर पानी में मस्ती कर डांस करने लगा उसका वो आनंद देख मैं भी ख़ुद को नहीं रोक पाई और मैं भी रोड पर सब कुछ भूल बारिश में आकर भीगने लगी पानी से भरे गड्डे और सड़क पर आ ती जाती गाड़ियो के पहिए से उछल कर आने वाली पानी की बौछारों ने जो मजा और जो मस्ती दी वो भुलाये नहीं भूलती सभी गाड़ियो में से बैठे लोग भी हमे देख कर हाथ हिलाते और हसते हुए जाते रहे अंदर बैठे मेरे पति गुस्से से परेशान थे एक पुलिस अधिकारी की पत्नी और बेटा सड़क पर भीग कर मस्ती कर रहे है लोग क्या कहेंगे पर हम तो भूले थे सब बस याद था तो पानी में त र ब तर भीगते रहना शायद अपने बचपन के बाद मैं भी पहली बार इतना फ्री भीगी जब भी भोपाल जाती हूँ जैसे ही वो स्पॉट आ ता है यादे ताजा हो उठ ती है
सच है यादें कभी बूढ़ी नहीं होतीं और कभी धूमिल भी नहीं होतीं दिल के किसी कोने में बसी रहती है

डॉ. रजनी भंडारी,इंदौर
जिन्दगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की बात :जब गीले कपड़ों में पर्चा दिया !




