

संस्मरण -6
जिन्दगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की बात:उस रात राम राम कर घर पहुंचे घर वाले परेशान थे!
प्रभा तिवारी
बरसात आते ही पुरानी यादो में घिर जाती हूँ, जब हमारी शादी के बाद पहली बरसात हुई थी।उस दिन हम घर से बाहर थे घन घोर घटा छाई थी मन प्रफुल्लित हो रहा था घर की ओर न जाते हम मौसम का नजारा देखने डेम की ओर चल दिए धीरे-धीरे बारिश हो रही थी बडा मजा आ रहा था। रास्ते में आनंद लेते हुए मनोरम सीन के फोटो लेते हुए साथ में अपनी भी तस्वीर खींचते हुए डेम पर पहुंचे वहां का नजारा देखने लायक था।
डेम के एक दो गेट खुले थे धीरे-धीरे बरसात ने अपना रूप दिखाया और आंधी तूफान के साथ काफी बरसात तेज हो गई थी पुरे गीले हो गए थे कीचड़ में साड़ी लथपथ हो गई थी चलते चलते नहीं बन रहा था अंधेरा घना छा रहा था मन में जो खुशी लेकर चले थे वो धीरे धीरे गायब हो रही थी वैसे ही हम दोनों कार में बेठे।इतना तेज पानी आया की कार चलाने में तकलीफ आ रही थी। आगे जाकर एक चाय की दुकान पर रुके यहां चाय पी सोचा बरसात थोड़ी रुक जावे फिर चले।
घर वालों को मालूम भी नहीं था.उस समय मोबाइल नहीं होता था कि हम बता दे कहां हैं।
ये डर मन में अलग सता रहा था की वो फिक्र कर रहे होंगे घर जाकर डाट अलग पडेगी।
लेकिन पानी थमने का नाम नहीं ले रहा था वापस कार में बैठे आगे बड़े थोड़ी दूर पहुंचे ही थे की कार पंचर हो गई अंधेरा छा गया था।
पास से गाड़ियां निकलती जा रही थी डर बढ़ता जा रहा था बस भगवान को याद कर रही थी हे भगवान अब पहिया कैसे बदलें कोई को तो भेज दो हमारी मदद के लिए नई नई शादी हुई थी सब जेवर भी पहनी थी डर भी लग रहा था ।
अन्दर ही अन्दर भगवान का नाम रटे जा रही थी साथ में घर वालों की डांट का डर अलग सता रहा था जैसे भगवान ने मेरी सुन ली
एक स्कूटर वाला आकर रुका और बोला साब में दुकान पर से कब से आपको परेशान होते देख रहा हू इसलिए आप से पुछने चला आया क्या हुआ?
हमने बताया गाड़ी पंचर हो गयी हैं वो बोला में आपकी मदद कर देता हूं आप मत घबराइए उसने उसने तुरंत कैसे भी हमारी गाड़ी का पहिया बदला पानी में वो पुरा गिला हो गया था और हमारी मदद की वो बहुत ही भले घर का लड़का दिख रहा था उसको बोला आप हमारे कारण बहुत गीले हो गए हो थोड़ा चाय नाश्ता कर लेना इस बहाने कुछ देना चाहा पर उसने मना कर दिया अरे साहब मैंने तो इंसानियत निभाई उसको धन्यवाद दिया दुआ देकर आगे बडे ।
रात काफी हो गई थी कार चलाना मुश्किल हो रहा था कैसे भी राम राम कर घर पहुंचे घर वाले परेशान हो गए थे हमें देखकर उन्होंने राहत की सांस ली सास का चेहरा तमतमाया था और मन में हमें देखकर राहत भी चेहरे पर दिख रही थी
नाराज होकर बोले कपडे बदलो कल बात करेंगे ऐसी हमारी पहली बरसात थी तबसे यह सबक लिया अकेले बरसात में कही न जायेंगे।
बरसात जब घनघोर होती है आज भी याद आ जाती है वह दिन ।
प्रभा तिवारी इंदौर