IAS – IPS Controversy: IAS कैडर पदों पर तैनात दो वरिष्ठ IPS अधिकारियों को वापस पुलिसिंग सेवा में भेजा 

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IAS – IPS Controversy: IAS कैडर पदों पर तैनात दो वरिष्ठ IPS अधिकारियों को वापस पुलिसिंग सेवा में भेजा 

नायब सिंह सैनी सरकार द्वारा IAS कैडर पदों के रूप में माने जाने वाले पदों पर आसीन दो वरिष्ठ IPS अधिकारियों को वापस भेजने के फैसले से हरियाणा में IAS लॉबी के पक्ष में सत्ता का संतुलन फिर से झुक गया प्रतीत होता है।

सरकार ने हाल ही में भारतीय पुलिस सेवा में 1994 बैच के दो ADG रैंक के अधिकारी (IPS दंपति) नवदीप सिंह विर्क और कला रामचंद्रन का तबादला मुख्यधारा की पुलिसिंग में कर दिया है।

माना जाता है कि वे IAS कैडर के पदों पर कार्यरत थे। विर्क खेल विभाग के प्रधान सचिव के पद पर तैनात थे, जबकि रामचंद्रन विरासत एवं पर्यटन विभाग में प्रधान सचिव के रूप में कार्यरत थे। परंपरागत रूप से ये दोनों पद IAS अधिकारियों के लिए आरक्षित रहे हैं।

राज्य सरकार का यह कदम दोनों अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों के बीच सत्ता के कथित संतुलन को बहाल करने का प्रयास प्रतीत होता है, जिनके बीच इस मुद्दे पर लंबे समय से विवाद चल रहा है। IAS कैडर ने लगातार गैर-आईएएस अधिकारियों को इन निर्धारित कैडर पदों पर तैनात किए जाने का विरोध किया है।

इस कार्रवाई से उन लोगों को भी झटका लगा है जो कहते हैं कि राज्य सरकारों को एआईएस अधिकारियों को कैडर पदों पर नियुक्त करने का असीमित अधिकार प्राप्त है। इसका प्रभाव केवल इन्हीं तक सीमित नहीं है। लगभग आधा दर्जन गैर-आईएएस अधिकारी जो वर्तमान में आईएएस कैडर के पदों पर कार्यरत हैं, जो ऐतिहासिक रूप से आईएएस अधिकारियों के लिए आरक्षित रहे हैं, उनमें भी बेचैनी की भावना पैदा हो गई है।

हरियाणा में आईएएस-नामित कैडर के पदों पर आईपीएस अधिकारियों के नियंत्रण के लिए संघर्ष का एक लंबा इतिहास रहा है, लेकिन मनोहर लाल खट्टर के मुख्यमंत्री रहते हुए यह मामला चरम पर पहुंच गया, जब उन्होंने विवादास्पद IPS अधिकारी शत्रुजीत कपूर को हरियाणा की बिजली उपयोगिताओं का अध्यक्ष नियुक्त किया । यह पद परंपरागत रूप से एक आईएएस अधिकारी के पास होता है।

इस फैसले से बवाल मच गया, लेकिन खट्टर ने दृढ़ता से इसका सामना किया और नियुक्तियों पर सरकार के अधिकार का दावा किया। इसका नतीजा यह हुआ कि आईएएस और आईपीएस के बीच कैडर पदों को लेकर शीत युद्ध छिड़ गया।

यह मुद्दा 2021 में फिर से सामने आया, जब तत्कालीन गृह मंत्री अनिल विज और मुख्य सचिव विजय वर्धन ने गैर-कैडर अधिकारियों की आईएएस कैडर पदों पर नियुक्ति पर आपत्ति जताई। विज ने तब तर्क दिया था कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) की पूर्व स्वीकृति के बिना आईपीएस अधिकारियों को आईएएस कैडर पदों पर नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए।

केंद्र को तब हस्तक्षेप करना पड़ा जब राज्य सरकार द्वारा आईपीएस, आईएफएस और आईआरएस के नौ गैर-आईएएस अधिकारियों को आईएएस कैडर के पदों पर प्रतिनियुक्त किया गया। बताया जाता है कि वर्धन ने आईएएस कैडर नियमों का हवाला देते हुए इसका कड़ा विरोध किया था।

हालांकि, भाजपा सरकार लगातार यह कहती रही है कि AIS अधिकारियों की नियुक्तियां पूरी तरह से सत्ताधारी दल के विवेकाधिकार के अंतर्गत आती हैं।