IAS Neetu Mathur: आलीराजपुर की तीसरी महिला कलेक्टर ने आज कार्यभार ग्रहण किया, 17 वर्षों में जिले ने देखे 12 कलेक्टर!

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IAS Neetu Mathur: आलीराजपुर की तीसरी महिला कलेक्टर ने आज कार्यभार ग्रहण किया, 17 वर्षों में जिले ने देखे 12 कलेक्टर!

राजेश जयंत की खास रिपोर्ट 

ALIRAJPUR: मध्य प्रदेश के पश्चिमी सीमांत जनजातीय बहुल आलीराजपुर जिले को नई कलेक्टर के रूप में 2014 बैच की IAS अधिकारी नीतू माथुर मिली हैं। शुक्रवार को उन्होंने पदभार ग्रहण किया। पदभार ग्रहण करने से पूर्व माथुर ने प्रसिद्ध मालवाई मंदिर पहुंचकर मां चामुंडा के दर्शन किए।

पदभार ग्रहण अवसर पर पूर्व कलेक्टर डॉ. अभय अरविंद बेडेकर ने पुष्पगुच्छ भेंट कर उनका स्वागत किया। वहीं, नीतू माथुर ने डॉ. बेडेकर को नई जिम्मेदारी के लिए शुभकामनाएं दीं। डॉ. बेडेकर को पर्यटन विकास बोर्ड, भोपाल में अपर प्रबंध संचालक बनाया गया है।

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जिले की 13वीं और तीसरी महिला कलेक्टर

अलीराजपुर के इतिहास में नीतू माथुर तीसरी महिला कलेक्टर बनी हैं। जिले की पहली महिला कलेक्टर Pushpa Lata Singh मात्र छह माह में ही बदल दी गई थीं, जबकि दूसरी महिला कलेक्टर Surbhi Gupta ने यहां दो वर्ष तीन माह तक प्रभावी प्रशासन संभाला। अब तक जिले में 12 कलेक्टर रह चुके हैं और Neetu Mathur ने शुक्रवार को 13वें कलेक्टर के रूप में कार्यभार ग्रहण किया।

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आलीराजपुर: 17 वर्षों की यात्रा

अलीराजपुर जिले का गठन 17 मई 2008 को झाबुआ से अलग कर किया गया था। यह मध्य प्रदेश का 49वां जिला बना। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पहले कलेक्टर चंद्रशेखर बोरकर को अपने साथ हेलीकॉप्टर से यहां लेकर आए थे। अब तक के 17 वर्षों में 12 कलेक्टर बदल चुके हैं। आज Neetu Mathur ने 13 वें कलेक्टर के रूप में जिम्मेदारी संभाली हैं।

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कलेक्टर और उनका कार्यकाल

1. चन्द्रशेखर बोरकर – 17-05-2008 से 08-07-2009 (1 वर्ष 2 माह)
2. अशोक देशवाल – 08-07-2009 से 15-06-2011 (1 वर्ष 11 माह)
3. पुष्पलता सिंह – 23-06-2011 से 22-12-2011 (6 माह)
4. राजेन्द्र सिंह – 03-01-2012 से 12-03-2013 (1 वर्ष 2 माह)
5. एन. पी. देहरिया – 13-03-2013 से 21-08-2014 (1 वर्ष 5 माह)
6. शेखर वर्मा – 21-08-2014 से 31-10-2016 (2 वर्ष 2 माह)
7. गणेश शंकर मिश्र – 01-11-2016 से 22-12-2018 (2 वर्ष 2 माह)
8. शमीम उद्दीन – 26-12-2018 से 03-06-2019 (5 माह)
9. सुरभि गुप्ता – 04-06-2019 से 06-09-2021 (2 वर्ष 3 माह)
10. मनोज पुष्प – 09-09-2021 से 04-02-2022 (5 माह)
11. रघवेंद्र सिंह – 04-02-2022 से 12-07-2023 (1 वर्ष 5 माह)
12. डॉ. अभय अरविंद बेडेकर – 12-07-2023 से 02-10-2025 (2 वर्ष 3 माह)

नई कलेक्टर के सामने चुनौतियां

Neetu Mathur के कार्यकाल को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक दृष्टि से बेहद चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है। अलीराजपुर आदिवासी बहुल, सीमावर्ती और विकास की दृष्टि से पिछड़ा हुआ जिला है। यहां शिक्षा का स्तर निम्न है, विशेषकर बालिकाओं की पढ़ाई और उच्च शिक्षा में सहभागिता कम है। युवाओं का पलायन बढ़ रहा है, वहीं स्वास्थ्य व पोषण की स्थिति भी चिंताजनक है। कुपोषण, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और बुनियादी ढांचे (सड़क, बिजली, पेयजल) का अभाव जिले की बड़ी बाधाएं हैं। भ्रष्टाचार के भी कई बड़े मामले सामने आए हैं और लगातार आ रहे हैं।

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राजनीतिक रूप से भी जिला संवेदनशील है। भाजपा खेमे से कैबिनेट मंत्री नागरसिंह चौहान व उनकी पत्नी सांसद अनीता चौहान सक्रिय हैं, तो कांग्रेस खेमे से महेश पटेल और उनकी पत्नी सेना पटेल (जोबट विधायक एवं भाई मुकेश पटेल (कांग्रेस जिलाध्यक्ष) प्रशासन पर दबाव बनाए रखते हैं। ऐसे में कलेक्टर के लिए निष्पक्ष प्रशासन और राजनीतिक संतुलन बनाए रखना एक बड़ी चुनौती होगी।

अनुभव से उम्मीदें

Neetu Mathur अपने कार्यकाल में अब तक जमीनी कार्यशैली के लिए जानी जाती रही हैं। गुना जिला पंचायत सीईओ रहते हुए उन्होंने आजीविका कैंटीन जैसी नवाचारी योजना शुरू की, जिसे प्रधानमंत्री ने सम्मानित किया। रीवा संभाग में राजस्व अपर आयुक्त रहते हुए उन्होंने भूमि विवादों और राजस्व मामलों को तेजी से निपटाया। ग्वालियर स्मार्ट सिटी में रहते हुए स्वयं निरीक्षण कर योजनाओं को आगे बढ़ाया।

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उनकी कार्यशैली यह बताती है कि वे केवल फाइलों पर निर्भर नहीं रहतीं, बल्कि मैदान में उतरकर समस्याओं को समझने और समाधान लागू करने पर जोर देती हैं। यही शैली अलीराजपुर जैसे संवेदनशील जिले में उनकी सबसे बड़ी ताकत साबित हो सकती है।

अपेक्षाएं और विश्वास

अलीराजपुर जिले में जनता नई कलेक्टर से शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और बुनियादी सुविधाओं में सुधार की बड़ी उम्मीद लगाए बैठी है। नीतू माथुर की संवेदनशील दृष्टि और संवाद करने की क्षमता से लोगों को विश्वास है कि वे राजनीतिक दबावों के बीच भी निष्पक्ष और पारदर्शी प्रशासन देंगी।

उनकी नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब जिला गरीबी, कुपोषण, शिक्षा और बुनियादी ढांचे की चुनौतियों से जूझ रहा है। यदि वे अपनी जमीनी कार्यशैली और अनुभव को यहां लागू करती हैं तो यकीनन अलीराजपुर में वास्तविक बदलाव की नई शुरुआत हो सकती है।