सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के विरोध में MP में सरकारी उपक्रमों के दो रिटायर्ड IAS अफसरों द्वारा हस्ताक्षर चर्चा में!
भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा की टिप्पणी ने कई जगह राजनीतिक असर डाला। उनके खिलाफ कई राज्यों में मामले दर्ज हुए। इस पर नूपुर शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई कि मेरे खिलाफ लगे सभी मामलों को एक जगह चलाया जाए। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाल की पीठ ने मौखिक टिप्पणी की कि नूपुर शर्मा का बयान देशभर में आग लगाने के लिए जिम्मेदार है। नूपुर शर्मा को टीवी पर आकर इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी की केरल हाईकोर्ट के पूर्व जज पीएन रवींद्रन ने आलोचना की। उन्होंने इस बारे में चीफ जस्टिस एनवी रमना को पत्र भी लिखा है। इसमें कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी से लक्ष्मण रेखा लांघ दी। पीएन रवींद्रन के इस पत्र पर 117 लोगों ने दस्तखत किए। इनमें मध्यप्रदेश के भी तीन पूर्व नौकरशाह हैं। मुद्दा ये है कि इन तीन में से दो रिटायर IAS अरुण भट्ट और बीआर नायडू ऐसे अफसर हैं, जिन्हें रिटायरमेंट के बाद सरकारी उपक्रमों में नियुक्ति मिली है। ऐसे में यह प्रश्न उठना लाजमी है कि क्या ये दोनों अफसर किसी राजनीतिक मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का विरोध करते हुए अपना पक्ष रख सकते हैं!
अरुण भट्ट मध्य प्रदेश स्टेट एनवायरमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (सिया) के चेयरमैन हैं। यह नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है। अरुण भट्ट गत एक साल पहले ही इस पद पर नियुक्त किए गए थे। भट्ट मध्य प्रदेश कैडर के 1993 बैच के रिटायर्ड अधिकारी हैं।
बीआर नायडू 1986 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और वे रिटायरमेंट के पहले राज्य सरकार में अपर मुख्य सचिव पद पर थे। वे राज्य सरकार द्वारा संचालित ‘जन अभियान परिषद’ के डायरेक्टर जनरल है। जन अभियान परिषद राज्य शासन का उपक्रम है और राज्य शासन के योजना विभाग के अंतर्गत आता है। इस ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वालों में भारतीय प्रशासनिक सेवा के रिटायर्ड अधिकारी शमशेर सिंह उप्पल भी हैं। लेकिन वह किसी शासकीय उपक्रम में तैनात ना होकर, बीजेपी के सक्रिय सदस्य हैं और पार्टी की कई समितियों के सदस्य भी हैं। उनका हस्ताक्षर करना तो पार्टी लाइन का मामला है। पर अरुण भट्ट और बीआर नायडू के हस्ताक्षर को लेकर प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों में जरूर प्रश्न चिन्ह लगाए जा रहे हैं।
कम वोटिंग पर बीजेपी, गरमाई और कांग्रेस चुप!
नगर निकाय चुनाव का पहला चरण निपट गया है। हर जगह से कम वोटिंग की शिकायत सामने आई। इसका कारण वोटर लिस्ट में गड़बड़ी और मतदाता पर्चियों का सही वितरण न होना बताया गया। इंदौर, उज्जैन और भोपाल जैसी बड़ी जगहों से ऐसी शिकायतें मिलना वास्तव में गंभीर मसला है। पर, इस मामले में बीजेपी जितना प्रलाप कर रही है, उतना कांग्रेस नहीं कर रही! जबकि, कम वोटिंग का जितना असर कांग्रेस को होगा उतना भाजपा को भी।
पर, कांग्रेस ऐसा कुछ नहीं कर रही जो भाजपा में हो रहा है। भोपाल में भाजपा का प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग के दफ्तर में शिकायत करने गया, ज्ञापन दिया और दोषियों को सजा देने की मांग की। इंदौर से विधायक आकाश विजयवर्गीय और उज्जैन से विधायक पारस जैन ने आयोग की चिट्ठी लिखी। इसके अलावा भी कई विधायकों ने आवाज उठाई। पर, आश्चर्य है कि कांग्रेस में इस मुद्दे पर खामोशी है। क्या कम वोटिंग में बीजेपी कोई खतरा देख रही है और कांग्रेस को उसमें फायदा नजर आ रहा है! दबी छुपी कोई बात तो है, जो एक पार्टी विरोध कर रही है और दूसरी चुप्पी साधकर मजे ले रही है!
छह महीनों में केंद्र में 38 वरिष्ठ IAS अधिकारी सचिव लेवल पर इंपैनल्ड
वर्ष 2022 के छह महीनों में केंद्र में 38 वरिष्ठ IAS अधिकारी सचिव तथा सचिव के समकक्ष इंपैनल्ड हुए हैं । ये अधिकारी 1987 से 1991 तक के बैच के हैं। इनमें से मध्य प्रदेश काडर के केवल दो IAS अधिकारी ही इंपैनल्ड हुए है।
7 जुलाई को जारी आदेश में जिन 27 IAS अधिकारियों को इंपैनल किया गया है उनमें एमपी कैडर के मनोज गोविल सहित १० अधिकारी सचिव समकक्ष है।
इसके पूर्व आशीष उपाध्याय भी सचिव लेवल पर इंपैनल हो चुके हैं।
भारतीय सूचना सेवा के 50 अधिकारियों का तबादला
सूचना तथा प्रसारण मंत्रालय ने एक लंबे समय के बाद भारतीय सूचना सेवा के ५० अधिकारियों का तबादला कर दिया। इनमें सहायक निदेशक से लेकर अपर महानिदेशक तक के अधिकारी हैं। मंत्रालय ने आठ अधिकारियों अतिरिक्त चार्ज भी दिया है। यह इस बात का संकेत है कि निकट भविष्य में और अधिकारियों के तबादले किये जा सकते हैं।
हो सकता है दो बैंकों के निजीकरण का रास्ता साफ
बताया जा रहा है कि बैंकों में सुधार लाने से संबंधित बिल सरकार १८ जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में ला सकती है। यदि यह बिल पास हो जाता है तो सेंट्रल बैंक आफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक के निजीकरण का रास्ता साफ हो जाएगा।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के मुखिया को लेकर कयास का बाजार गर्म
सत्ता के गलियारों में इन दिनों भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के मुखिया को लेकर कयास का बाजार गर्म है। वर्तमान मुखिया डाक्टर त्रिलोचन महापात्र रिटायर होने के बाद लगभग एक साल से सेवा विस्तार पर चल रहे हैं। वे परिषद के सचिव के साथ ही महानिदेशक भी है। कृषि मंत्रालय के तहत आने वाले इस परिषद के मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर है।
केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग में अध्यक्ष के पद के लिए लाबिंग जारी
केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग में अध्यक्ष के खाली चल रहे पद को हथियाने के लिए इन दिनों लाबिंग जारी है। लगभग एक दर्जन सेवानिवृत्त अधिकारी जोड तोड़ में लगे हैं। इनमें आईएएस अधिकारियों के अलावा कुछ टेक्नोक्रेट भी दौड में शामिल है।