IAS के पद-नाम से ठगी के प्रयास: कलेक्टर्स तक साइबर अपराधियों के निशाने पर

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IAS के पद-नाम से ठगी के प्रयास: कलेक्टर्स तक साइबर अपराधियों के निशाने पर

– राजेश जयंत

Indore/Jhabua: बीते कुछ महीनों से एक नया Cyber ​​Trends प्रशासनिक तंत्र के लिए चुनौती बनता जा रहा है। अब Cyber ​​criminals ​​ ने आम नागरिकों या व्यापारियों के बाद देश के उच्च प्रशासनिक IAS अधिकारियों, जिला कलेक्टरों के नाम और पहचान का दुरुपयोग शुरू कर दिया है।

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देश के कई जिलों में ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं, जहां अज्ञात व्यक्ति कलेक्टर के नाम से फर्जी प्रोफाइल बनाकर या विदेशी नंबरों (+84, +998 आदि) से whatsapp message भेजकर रुपए की मांग कर रहे हैं।

चौंकाने वाली बात यह है कि इन घटनाओं में से अब तक किसी भी ठोस गिरफ्तारी या अपराधी की पहचान नहीं हो सकी है।

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*कलेक्टरों के नाम से फर्जी मैसेज, जनता और अधिकारी दोनों परेशान*
आलीराजपुर के पूर्व कलेक्टर डॉ. अरविंद अभय बेडेकर, वर्तमान कलेक्टर नीतु माथुर, खरगोन कलेक्टर भव्या मित्तल, झाबुआ कलेक्टर नेहा मीना, तथा तत्कालीन जबलपुर कलेक्टर (वर्तमान में जनसंपर्क आयुक्त) डॉ. दीपक सक्सेना- इन सभी के नाम से फर्जी व्हाट्सएप अकाउंट बनाए जाने की घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं।
इसी क्रम में आज Jhabua Collector Neha Meena ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर एक चेतावनी जारी करते हुए बताया कि- “वियतनाम कोड (+84) वाले नंबर से कुछ लोग मेरे नाम पर संदेश भेज रहे हैं। यह नंबर पूरी तरह फर्जी है। सभी नागरिक, अधिकारी और मीडिया बंधु ऐसे किसी कॉल या मैसेज का उत्तर न दें।” उन्होंने स्पष्ट किया कि जिला प्रशासन केवल आधिकारिक सरकारी नंबरों से ही संवाद करता है।

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*ठगी का पैटर्न-आपात सहायता या पैसे की मांग का बहाना*
इन साइबर ठगों की कार्यप्रणाली लगभग एक जैसी है। पहले वे किसी अधिकारी की फोटो और नाम से नया जाली प्रोफाइल बनाते हैं, फिर उसके ज़रिए अधिकारियों या परिचितों को संदेश भेजते हैं कि– “मीटिंग में हूं, तुरंत कुछ राशि ट्रांसफर करनी है” या “जरूरी काम के लिए मदद चाहिए।”

अधिकांश मामलों में वे विदेशी नंबरों Vietnam, Uzbekistan code का उपयोग करते हैं, जिससे उनकी लोकेशन ट्रेस नहीं हो पाती।

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*MP और राजस्थान में बढ़े मामले, पर अपराधी अज्ञात*
राजस्थान के कई जिलों के कलेक्टरों के नाम से फर्जी प्रोफाइल बनाए जाने की खबरें मिल चुकी हैं। मध्यप्रदेश में Indore, Khargone, Jabalpur, Jhabua, Alirajpur जैसे जिलों के अधिकारी भी इसका शिकार बने हैं।

जबलपुर में एक मामले में तो कलेक्टर के परिजन से ₹25,000 की ठगी की गई थी। फिर भी अब तक किसी एक भी घटना में अपराधी की पहचान या गिरफ्तारी नहीं हो पाई है।

Police and Cyber ​​Cell इन मामलों में विदेशी सर्वर व VPN के उपयोग की आशंका जता रहे हैं।

*Cyber ​​crimes की नई दिशा- भरोसे का दुरुपयोग*
विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटनाएं सिर्फ ठगी नहीं, बल्कि प्रशासनिक भरोसे पर हमला हैं। जब किसी District Collector जैसा उच्च पदाधिकारी जनता से सतर्क रहने की अपील करता है, तो यह दर्शाता है कि अपराधी अब भरोसे के प्रतीक नामों का दुरुपयोग करने लगे हैं।

Cyber ​​Experts का कहना है– “जनता ‘कलेक्टर’ नाम देखकर तुरंत भरोसा कर लेती है। फर्जी प्रोफाइल बनाना आसान है, लेकिन इसका असर प्रशासनिक विश्वसनीयता पर पड़ता है।”

*Cyber ​​security: चुनौती और समाधान*
प्रशासन एवं साइबर विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसे मामलों को रोकने के लिए–
1-सभी सरकारी अधिकारियों के सत्यापित WhatsApp Business Account बनाए जाएं।
2-Social media verification को सरकारी प्रोफाइलों के लिए अनिवार्य किया जाए।
3-International cyber agencies से तकनीकी सहयोग लेकर विदेशी सर्वर तक Tracking बढ़ाई जाए।

फिलहाल अधिकारियों और नागरिकों दोनों को सावधानी बरतने की आवश्यकता है- किसी भी संदिग्ध कॉल या संदेश पर तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत दर्ज कराएं।