

IAS Transfer List : IAS अधिकारियों की इस लिस्ट में बहुत से इशारे और संदेश, बस समझने की जरूरत!
मीडियावाला के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी का विश्लेषण
Bhopal : सोमवार रात IAS अधिकारियों की बहुप्रतीक्षित लिस्ट आ गई। इसमें 42 अधिकारियों के पद और जिम्मेदारियां बदल दी गई। 12 जिलों के कलेक्टरों को बदला गया है। ये बात अलग है कि इनमें से जिन 5 कलेक्टरों को बदला गया, उन्हें सालभर भी पद पर रहने का मौका नहीं मिला। गौर करने वाली बात यह भी है, कि इसमें सिर्फ एक ही प्रमोटी IAS अधिकारी विवेक क्षोत्रिय को जिले की कमान सौंपी गई। बाकी 11 जगह 2014 और 2015 बैच के डायरेक्ट IAS अधिकारियों को कलेक्टर बनाया गया।

सबसे ज्यादा चौंकाने वाला बदलाव मुख्यमंत्री सचिवालय से भरत यादव को हटाना माना जा रहा है। उन्हें साइड लाइन करके मुख्यमंत्री ने एक नया संदेश भी दिया कि किसी अधिकारी को उसके सरनेम का फायदा नहीं मिलेगा। इस बात में संदेह नहीं कि उन्हें शिकायत के आधार पर ही सीएम हाउस और नगरीय प्रशासन के आयुक्त पद से हटाया गया।

लेकिन, उनकी जगह सीबी चक्रवर्ती को मुख्यमंत्री ने अपनी टीम में शामिल करने के साथ-साथ नगरीय प्रशासन विभाग का आयुक्त पद का दायित्व भी सौंप दिया। इस बहाने उन्होंने यह इशारा भी कर दिया कि सीबी चक्रवर्ती के तार सीएम हाउस से सीधे जुड़े हुए हैं। यानी नगरीय प्रशासन का करंट सीएम हाउस तक बहेगा।

ध्यान देने वाली जो बातें हैं, उनमें एक यह भी है कि भव्या मित्तल जो अभी तक बुरहानपुर कलेक्टर थीं, उन्हें इसी पद पर खरगोन कलेक्टर बना दिया गया। जबकि, सप्ताह भर पहले बुरहानपुर के एक जिलाबदर मामले में सरकार की किरकिरी हुई थी और हाईकोर्ट ने ₹50,000 का जुर्माना किया था। लेकिन, इन सब बातों को नजर अंदाज करते हुए उन्हें निमाड़ के दूसरे बड़े जिले का मुखिया बना दिया गया।
सामान्यत यह माना जाता है कि जब किसी सत्ताधारी पार्टी का कोई महत्वपूर्ण उम्मीदवार चुनाव हारता है, तो उसकी सजा उस जिले के कलेक्टर को किसी ने किसी बहाने मिलती है। इस नजरिये से यह समझा जा रहा था कि विजयपुर उपचुनाव में कैबिनेट मंत्री रामनिवास रावत की हार के बाद श्योपुर के कलेक्टर किशोर कान्याल को साइड लाइन किया जा सकता है।

राजनीतिक हार का बदला अकसर सरकारें प्रशासनिक डंडे से लेती आई हैं और ऐसा कई बार हुआ। लेकिन, सोमवार को निकली लिस्ट में किशोर कान्याल को श्योपुर की अपेक्षा बड़े और राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण जिले गुना की जवाबदारी सौंप दी गई। क्या इसे भाजपा उम्मीदवार की हार का पुरस्कार समझा जाए!

इस लिस्ट का एक सकारात्मक पक्ष यह है कि रायसेन कलेक्टर अरविंद दुबे को मुख्यमंत्री की टीम में अपर सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई। यह काफी महत्वपूर्ण पद है और निश्चित रूप से उनके अनुभव का मुख्यमंत्री की टीम को फायदा मिलेगा। क्योंकि, वे पिछले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की टीम में भी उप सचिव के रूप में काम कर चुके हैं।

गौर करने वाली बात यह भी है कि 2010 बैच के अधिकारी भास्कर लक्षकार जो अभी तक महत्वपूर्ण पद पर नहीं थे, अब उन्हें कोष एवं लेखा का आयुक्त बनाया गया। निश्चित रूप से इसे उनके अनुभव,परिणाम देने और कार्य कुशलता का प्रमाण ही माना जाएगा।

इस लिस्ट में एक महत्वपूर्ण नाम है नेहा मारव्या का, जो अभी तक राजस्व विभाग में अपर सचिव थी। कल की लिस्ट में उन्हें कलेक्टर डिंडोरी बनाया गया। जबकि, वे वरिष्ठता क्रम में काफी ऊपर है। लेकिन, प्रशासनिक जगत में सब जानते हैं कि पिछले चीफ सेक्रेटरी इकबाल सिंह बैस से हुए एक विवाद को लेकर वे उनके निशाने पर आ गई थी और साइड लाइन रही। जबकि, उन्हें कलेक्ट्री चार साल पहले ही मिल जाना थी, जो कि उनके बैच के दूसरे IAS अधिकारियों को मिल चुकी है। अब वे बमुश्किल दो साल ही जिले की कमान संभाल पाएंगी। क्योंकि, 2 साल बाद वे सुपर टाइम स्केल में आ जाएंगी।

IAS अधिकारियों की इस लिस्ट से एक और बात स्पष्ट हो गई कि 2009 बैच के मनीष सिंह ने मुख्यमंत्री का विश्वास हासिल कर लिया है। उन्हें वर्तमान दायित्व के साथ-साथ जेल विभाग का सचिव भी बनाया गया है। जाहिर है वह अब सकारात्मक रूप से मुख्यमंत्री की नजरों में आ गए हैं।सब जानते हैं कि मध्य प्रदेश के प्रशासनिक गलियारों में उनकी गिनती परिणाम देने वाले अधिकारी के रूप में होती है।

जिन अधिकारियों को इस लिस्ट से नुकसान आंका जा रहा है, उनमें एक ललित दाहिमा भी हैं, जिनका कुछ महीने पहले सीनियर IAS अधिकारी मनीष रस्तोगी से बड़ा विवाद हुआ था। उन्हें तत्काल तो उसकी सजा नहीं मिली, पर कल रात जारी लिस्ट में उन्हें सचिव जेल से राजस्व मंडल ग्वालियर भेजकर सजा के रूप में देखा जा रहा है। जो एक तरह से संदेश भी है कि जूनियर और सीनियर का सम्मान तो करना ही है।
कुल मिलाकर कल रात जारी IAS अधिकारियों की इस लिस्ट में बहुत से इशारे और संदेश है, बस आपको समझने की जरूरत है!