
अलीराजपुर के दाऊदी बोहरा समाज के प्रेरणास्रोत इब्राहिम सेठ नहीं रहे: कर्म-सेवा, आयुर्वेद ज्ञान और सामाजिक समर्पण की अनूठी मिसाल, पूरे नगर ने दी श्रद्धांजलि
अलीराजपुर। दाऊदी बोहरा समाज में 94 साल की उम्र में जीवन की अंतिम सांस लेने वाले इब्राहिम सेठ केवल एक व्यवसायिक हस्ती नहीं थे, बल्कि वे इस समाज की जिंदा प्रेरणा थे। कल उनके इंतकाल की खबर आते ही व्हाट्सएप ग्रुप्स, फेसबुक और सोशल मीडिया पर शोक और श्रद्धांजलि संदेशों की बाढ़ सी आ गई। हर किसी ने माना- इब्राहिम सेठ का जाना जैसे एक युग का जाना है।
उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा सबक “कर्म करते-करते अंतिम सांस लेना” था। नीम चौक से जामा मस्जिद मार्ग की दुकान हो या अलीराजपुर का कोई सार्वजनिक स्थल, उन्हें कभी खाली नहीं देखा गया। वे हमेशा कर्म, अनुशासन और समाज के प्रति निष्ठा को अपने व्यवहार में दिखाते रहे। उनके पास सेठ नाम के साथ जो जुड़ी थी, वो व्यापार की चमक दमक ही नहीं, बल्कि ईमानदारी, मेहनत, भाईचारा और नीति के साथ समाज के लिए कुछ करने की जिद थी।
इब्राहिम सेठ का दूसरा बड़ा परिचय उनकी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों की गहरी जानकारी थी। कई जरूरतमंदों को उन्होंने अपनी जड़ी-बूटी, घरेलू नुस्खों और निःशुल्क सेवा से राहत दी। दर्जनों लोग आज भी याद करते हैं कि इब्राहिम सेठ से आयुर्वेदिक सलाह मिलना यानी बीमारी का समाधान मिल जाना। उनकी निस्वार्थ मदद और मानवता प्रेम को नगरवासियों ने हमेशा सराहा। वे राजनीति, पद और प्रचार से दूर, लेकिन आत्मीय संबंध, मधुर व्यवहार और सहजता से सबके दिलों में बसे रहे।
उनकी अंतिम यात्रा पर शहरभर के लोगों ने सादगी, दुआ और दुआओं के साथ विदाई दी। बोहरा समाज की धार्मिक-सामाजिक परंपराओं के अनुसार हुई अंतिम विदाई में हर वर्ग और उम्र के लोग शामिल हुए।
सैंकड़ों श्रद्धांजलि संदेशों में यह गूंजता रहा- सेठ साहब के बिना अलीराजपुर पूरा नहीं होगा, लेकिन उनका काम और विचार सभी के दिलों-दिमाग पर हमेशा छाया रहेगा।
उनकी विरासत- कार्य के प्रति निष्ठा, समाजसेवा, ईमानदारी, नि:स्वार्थ सेवा, भाईचारा और आयुर्वेदिक ज्ञान- सिर्फ बोहरा समाज के लिए ही नहीं, पूरे नगर के लिए एक मार्गदर्शक की तरह है।
उनके परिवार- खुर्शीद भाई, मुस्तन भाई और समस्त मर्चेंट परिवार को इस कठिन समय में हिम्मत और धैर्य मिले, ऐसी सबकी प्रार्थना है।
ईश्वर से कामना है कि इब्राहिम सेठ की आत्मा को शांति प्रदान हो तथा उनका जीवन-संदेश नई पीढ़ी को प्रेरित करता रहे।
सेठ साहब अमर रहें, उनकी यादें हमेशा महकती रहें।
सादर श्रद्धांजलि सहित
– राजेश जयंत





