ICC Women’s World Cup: ऑस्ट्रेलियाई खिलाडियों से छेड़छाड़- देश शर्मसार, कौन है जिम्मेदार!

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ICC Women’s World Cup: ऑस्ट्रेलियाई खिलाडियों से छेड़छाड़- देश शर्मसार, कौन है जिम्मेदार!

रंजन श्रीवास्तव

अंतर्राष्ट्रीय बदनामी को स्थानीय बयानों से ढकने की कोशिश हो रही है और दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से खिलाडियों को ही दोषी ठहराने की कोशिश हो रही है.अपनी गलती को ढकने के लिए इससे अच्छा तरीका क्या हो सकता है कि पीड़िता को ही कटघरे में खड़ा कर दिया जाए.

गनीमत है कि सवाल करने वाले सिर्फ इस बात तक सीमित हैं कि दोनों महिला ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी जिनके साथ इंदौर में सरेआम छेड़छाड़ की घटना हुई वे बिना सिक्योरिटी ऑफिसर्स को बताये होटल से बाहर घूमने क्यों गईं. नहीं तो ऐसे लोगों की कमी नहीं जो उनके चरित्र पर भी सवाल उठा सकते थे.

इसमें कोई संदेह नहीं है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल रही टीमों को चाहे वे पुरुषों की टीम हो या महिला टीम उनसे अपेक्षित है कि वे दूसरे देशों में दौरों के समय सुरक्षा सम्बन्धी प्रोटोकॉल का अनिवार्य रूप से पालन करें जिससे खिलाडियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.

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मेजबान देश को भी प्रोटोकॉल के तहत सुरक्षा सम्बन्धी कई कदम अनिवार्य रूप से उठाने पड़ते हैं. चूँकि ऑस्ट्रेलियाई टीम इंटरनेशनल क्रिकेट कौंसिल द्वारा आयोजित वर्ल्ड कप 2025 में भाग ले रही है जिसके 2 मेजबान देशों में भारत प्रमुख मेजबान देश है अतः सुरक्षा सम्बन्धी प्रोटोकॉल के महत्व का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है.

चूँकि कई मैच इंदौर में खेले जाने के लिए प्रस्तावित थे अतः मध्य प्रदेश और इंदौर के लिए यह प्रतिष्ठा को बढ़ाने वाला टूर्नामेंट था पर एक अपराधी के कुकृत्य ने देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर और मध्य प्रदेश के ऊपर एक बड़ा धब्बा लगा दिया जो कि हमेशा के लिए चस्पा हो गया है.

जब भी कोई भी प्रतिष्ठित प्रतियोगिता मध्य प्रदेश के किसी भी शहर विशेषकर इंदौर में आयोजित की जाएगी चाहे वह क्रिकेट हो या अन्य कोई खेल यह घटना हमेशा याद किया जायेगा.

पुलिस ने मामले को दो दिन दबाये रखा पर जब मीडिया को इसकी भनक लगी तो यह घटना पूरे विश्व में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और पूरे देश की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बदनामी हुई.

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पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया. उसे सबक भी सिखाया. आईसीसी, बीसीसीआई तथा राज्य सरकार ने भी घटना की निंदा की. चूँकि मुख्यमंत्री मोहन यादव के पास गृह मंत्रालय के मंत्री पद का दायित्व भी है और वे इंदौर जिले के मिनिस्टर इन चार्ज भी हैं अतः मध्य प्रदेश शासन, प्रशासन और पुलिस के लिए यह घटना और भी बड़ी शर्मिंदगी वाला था.

प्रदेश सरकार में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय जिनका गृह जिला इंदौर ही है उन्होंने खिलाड़ियों को भी दोष दिया कि उनको बिना सिक्योरिटी को सूचित किये हुए होटल से बाहर नहीं निकलना चाहिए था. आईसीसी का इंटरनेशनल प्रोटोकॉल हर टीम को यह ताकीद करता है कि उनको होटल से बाहर जाने के लिए सिक्योरिटी को सूचित करना चाहिए जिससे उन्हें सुरक्षा मुहैया करवाया जा सके.

घटना के बाद महिला खिलाडियों ने अपने टीम के सिक्योरिटी स्टाफ को तुरंत सूचित किया पर यह जानना अभी बाकी है कि क्या महिला खिलाड़ी बिना अपने सिक्योरिटी स्टाफ को बताये होटल से बाहर कैफ़े पर जाने के लिए निकलीं थीं या सिक्योरिटी स्टाफ को सूचित करने के बाद कोई सिक्योरिटी लैप्स हुआ?

पर इसके बाद भी बहुत से ऐसे सवाल अनुत्तरित हैं जिसका जवाब स्थानीय पुलिस या प्रदेश के बड़े अधिकारी ही दे सकते हैं.

सवाल यह है कि क्या ऑस्ट्रेलिया टीम के इंदौर आने के बाद इंदौर के पुलिस कमिश्नर या उनके मातहत किसी अधिकारी ने सीधे या बीसीसीआई के माध्यम से ऑस्ट्रेलियाई टीम से संपर्क स्थापित करके होटल या उसके बाहर सिक्योरिटी अरेंजमेंट के बारे में उन्हें ब्रीफ किया था? क्या होटल पर स्थानीय पुलिस ने पर्याप्त सिक्योरिटी का इंतज़ाम किया था या स्थानीय थाने के भरोसे पुलिस अधिकारियों ने पूरी सुरक्षा व्यवस्था को छोड़ दिया?

अगर पुलिस होटल पर वाकई मौजूद थी तो उन्हें क्या इस बात के निर्देश थे कि बिना सिक्योरिटी किसी विदेशी खिलाड़ी को बाहर नहीं जाने दिया जाए और अगर कोई ऐसा खिलाड़ी बिना सुरक्षा बाहर जा रहा हो तो उससे विनम्रतापूर्वक बात करके यह बता दिया जाए कि प्रोटोकॉल के हिसाब से उन्हें बिना सुरक्षा होटल के बाहर नहीं जाना है? क्या कोई बड़ा अधिकारी इस सिक्योरिटी अरेंजमेंट को समन्वय कर रहा था या नहीं?

वर्ल्ड कप का आयोजक आईसीसी है इस नाम पर मध्य प्रदेश क्रिकेट कमेटी (एमपीसीसी) इस मामले से पल्ला झाड़कर किनारे खड़ी हो गई है। पर चूँकि मैच इंदौर में आयोजित है जहाँ एमपीसीसी का हेडक्वार्टर्स है तो क्या एमपीसीसी का यह दायित्व नहीं बनता था कि वह स्थानीय पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों से बात करके इस बात को सुनिश्चित करे कि कोई भी अनहोनी खिलाडियों के साथ घटित ना हो?

वस्तुतः देखा जाए तो इस घटना के लिए आरोपी और सम्बंधित खिलाडियों को दोष देकर बड़े तस्वीर से ध्यान हटाने की कोशिश हो रही है वह यह है कि खिलाडियों के लिए सुरक्षा किस किस स्तर और कितना होना चाहिए था; कौन ऐसे अधिकारी थे जो विभिन्न स्तरों पर सुरक्षा के लिए जिम्मेदार थे; उनके बीच समन्वय की जिम्मेदारी किसकी थी; क्या होटल पर उस समय पुलिस के लोग मौजूद थे जब खिलाड़ी बाहर गए और अगर खिलाड़ी बिना किसी को जानकारी दिए बाहर जा रहे थे तो पुलिस और होटल पर तैनात गार्ड्स उनको देख क्यों नहीं पाए?