

वैचारिक परिचर्चा : “भारत में आतंकवाद की समस्या आपकी नजर में कारण और समाधान “
पंडित दीनानाथ व्यास स्मृति प्रतिष्ठा समिति भोपाल द्वारा पहलगाम के आतंकी हमले के बाद एक वैचारिक परिचर्चा हुई।कश्मीर की घटना और वहां के संकट सभी से मन दुखी ,विचलित और अस्थिर हो रहा है। आगे देश में और क्या क्या संकट आ सकते हैं ,य यह सब चिंता के विषय है। हम इश्वर से प्रार्थना करें दुबारा ऐसी दर्दनाक स्थिति कहीं भी कभी भी ना होने पाय ,सभी को सद्बुद्धि मिले। जो परिवार इन सबसे प्रभावित हुए हैं उनके प्रति हमारी संवेदना के लिए शायद शब्द खोजना भी कठिन है तो उन्हें झेलना कितना और कैसा पीड़ा भरा होगा इसकी कल्पना भी असहनीय है। हमें आनेवाली पीढ़ियों को जीवन मूल्यों के प्रति और अधिक संस्कारित और सचेत करना होगा। जागरूक होना होगा। हम उन सभी को जो इस घटना में चले गए हैं उन्हें अश्रुपूरितश्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। ॐ शान्ति आतंकवाद आज के समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। यह एक ऐसी गतिविधि है जो समाज और राष्ट्र की सुरक्षा, शांति और विकास के लिए गंभीर खतरा पैदा करती है। शक्ति से जनता में भय की भावना का निर्माण कर अपना उद्देश्य सिद्ध करने की नीति ही आतंकवाद कहलाती है। आतंकवाद एक हिंसात्मक कुकृत्य है जिसको अंजाम देने वाले समूह को आतंकवादी कहते हैं। इसका कोई नियम कानून नहीं होता, आम लोगों को डराने-धमकाने के लिए इसका इस्तेमाल हो रहा है।वर्तमान समय में आतंकवाद का भयावह वीभत्स रूप घटा ,हम सब आहत हैं। आइये इसी पर बार करते है——
संयोजक – डॉ रूचि बागड़देव ,सचिव -प्रतिष्ठा ,प्रधान सम्पादक -मीडियावाला
1 .सबसे पहले तो इन जयचंदों को सबक सिखाना चाहिए-शीला मिश्रा ,कहानीकार
पहलगाम में हिन्दुओं की नृशंस हत्या मानवता के लिए कलंक है। जिन्होंने इस घटना को अंजाम दिया है ,वे इंसान कहलाने के लायक नहीं है। इतनी बड़ी घटना आतंकवादी अकेले नहीं कर सकते थे। साथ दिया है हमारे ही देश के लोगों ने। धिक्कार है ऐसे नागरिकों को ,जो हमारे देश में रहकर सारी सुख सुविधाओं का लाभ उठा रहें हैं और सहायता कर रहें हैं दुश्मनों की। सबसे पहले तो इन जयचंदों को सबक सिखाना चाहिए। अब समय आ गया है कि कठोर से कठोर कदम उठायें जायें दुश्मनों के खिलाफ भी और दुश्मनों का साथ देने वालों के खिलाफ भी। यह हमारे देश का दुर्भाग्य रहा है कि चंद सिक्कों के लिए लोग अपना ईमान धर्म बेच देते हैं। हम हिन्दुओं को भी आगे आना पड़ेगा। सहिष्णुता का आवरण ओढ़कर हमने कट्टरवाद को पनपने दिया है। जब बाकी लोग अपने धर्म के प्रति कट्टर होकर निर्मम हत्या कर रहें हैं तो क्या हम क्या केवल अहिंसा की माला जपते रहेंगे।
सरकार को जो कदम उठाना है वह तो उठायेगी ही ,अब हमें अपने देश व धर्म के प्रति कर्त्तव्य निभाने के लिए और प्रयत्नशील होना होगा।
2 . मजहब के नाम पर सारा खेल हो रहा है,इसे बंद करना होगा -संध्या राणे ,लेखिका
हिंदुओं को जागना ही होगा, हिंदुओं को एक होना ही होगा। अब हम संघी है, या यादव है,या जाट है कह कर काम नहीं चलेगा गंगा – जमुना तहजीब बोलकर हिंदुओं को अब बरगलाना बंद हो। मजहब के नाम पर सारा खेल हो रहा है, मजहब के नाम पर ही बटवारा हुआ व पाकिस्तान बना। मजहब जानकर ही हिंदुओं को मारा जा रहा है।संविधान में संशोधन जरूरी है। आर्थिक रूप से जो मदद आतंकवादियों को हो रही आर्थिक मदद , उस पर लगाम कसना बहुत जरूरी है। जयचंदों पर कड़ी नज़रे रहे व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर(अनाप-शनाप बोलने पर पाबंदी) देश को जो हानि हो रही है पर बंधन लगाएं जाने चाहिएं।
3 .-कुछ देशद्रोही अपनी अपनी रोटियां सेंकने में लगे हैं- प्रभा जैन, समाज सेवी
मेरे भारत देश की तरक्की,,,,शायद फूटी आंख सुहा नहीं रही है।भारतीय बच्चे आज दुनिया के हर कोने में अपना परचम फैला रहे हैं।यही बात कहीं न कहीं कुछ को दिल मे चुभती है।और यही कारण है आज धर्म के नाम पर सत्ता की होड़ में लगे हैं।एक विशेष कौम चाहती है, खुले आम कहती भी है।पूरी दुनिया पर हमारा राज होगा।ये भावना ही वैमनस्य फैला रही है देश मे।ऐसे में कुछ देशद्रोही अपनी अपनी रोटियां सेंकने में लगे हैं।जिन्हें मातृभूमि की कोई फिक्र नहीं,न ही वहां के देश वासियों की।कटु लगे तो माफ करिएगा,,,महसूस तो यही हो रहा है।बस यही प्रार्थना,मेरे भारत में सुख शांति बनी रहे।
4 .जिस जगह रोटी और आटा तक की भुखमरी आ गई वो …..वो अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद को पाल रहा है। -मधु सोनी -शिक्षक
कैसे घुसे सोचिए ना सारा जाल दिखावे का। ४७के बंटवारे ओर ३७०के बाद भी क्या हिंदुस्तान सुरक्षित है??
बरगलाया जाता है हमें पाकिस्तान के नाम पर ओर हम सोचते हैं हां यही से सबकुछ चल रहा ।चल रहा वो तो शह और मात की बिसात बिछी हुआ है पांसे फेंकने वाले कितने आगे की रणनीति बनाकर चल रहे हैं।कश्मीर का सारा तंत्र मात्र दिखावे का चल रहा पर्यटन,इनके रोज़गार वगैरह वगैरह।भावुकता में हिंदू घूमने जाते हैं और ये हादसा?धर्म के नाम पर??
पाकिस्तान ने सदा चाहा काश्मीर हमारा है और लेकर रहेंगे। कश्मीर के हर घर में सुरंग मंहगे मंहगे कालीनों के भीतर तो होगी ही।
पूरे भारत को डराने के लिए काश्मीर भी चंद सिक्के में बिक गया,अरे जिस जगह रोटी और आटा तक की भुखमरी आ गई वो …..वो तो हे मोहरा। चाल तो अंतरराष्ट्रीय जिहाद है जिसकी कल्पना तक सोच सोच कर में भी हैरान हूं ।टीवी पर हर चैनल अलग अलग डिबेट देखकर भी मन में अनेक प्रश्न की आतंक के नाम पर कोई बड़ी कीमत हम भारतीयों को चुकानी पड़े उससे अच्छा है सुरक्षा तंत्र और सेना के तीनों अधिकारियों को व अन्य प्रमुख सभी को त्वरित निर्णय से उस पर करवाई जाए जहां भीतरघात लगाई जा रही हो।
बदल दीजिए पृष्ठ ही सारे ,जो भीतर से चलते हैं
भुजाओं के विषदंत कई जो , आस्तीन में पलते हैं।
फिर कोई गांडीव धरे अर्जुन का पाठ पढ़ाइए
महाराणा और वीर शिवा का पाठ्यक्रम ही ले आईए ।
6 .प्रत्येक स्तर पर निगरानी और अराजक तत्वों की गिरफ्तारी के निर्देश दिए जाने होगें और इनमे राजनीतिक हस्तक्षेप ना हो -डॉ रजनी भंडारी
5 .-हिन्दुओं को चेतावनी मत जाओ कश्मीर जो स्वर्ग से नरक बन गया-उषा सक्सेना,लेखिका
आखिर ऐसा कब तक चलेगा । यात्रा पर निकले हिन्दू ही उन आतंकवादियों के टारगेट क्यों होते हैं । आतंकवादी भूल जाते हैं कि उस क्षेत्र की गरीब जनता यात्रियों के पर्यटन से ही अपना पेट पालते हैं ।धर्म पूंछ कर गोली मारने वाले भूल जाते हैं कि इन्ही यात्रियों के कारण उनका पेट पल रहा है। यदि यात्री अपनी यात्रायें ही बंद कर दें तो उस क्षेत्र की गरीब जनता तो भूखे ही मर जायेगी क्यों कि वही उनकी जीविकोपार्जन का साधन है ।आतंकवादी जो स्वयं दूसरों के इशारे पर कार्य कर रहे क्या उन्हें खिला पायेंगे । किसके लिये लड़ रहे केवल भय फैला कर हिंसा के द्वारा किसी की जमीन को हथियाना और लूट खसोट कर हराम की कमाई पर पलना तो कोई भी धर्म नहीं सिखलाता । यह तो स्वयं अपने घरों से इसी हिंस्रक वृत्ति के कारण निकाले गये और जिन्होंने पनाह दी उन्हें ही मार रहे । काश ! यह सच्चे मुस्लमान होते तो शायद यह नहीं करते ।यह हिन्दुओं पर नहीं भारत की आत्मा पर हमला है जिसने पूरे देश को एक साथ झिंझोड़ कर रख दिया ।
प्रश्न उठता है आज हिन्दू क्या अपने ही देश में सुरक्षित नहीं तो 1947 के बंटवारे का क्या अर्थ। अपने नागरिकों की सुरक्षा ही सरकार का प्रथम दायित्व है । हिन्दुओं को चेतावनी मत जाओ कश्मीर जो स्वर्ग से नरक बन गया अपनी आहुति देने क्यों जाना।
अपने ही देश में छिपे गद्दारों की पहचान आवश्यक है जो कभी इस देश के नहीं हुये । जिन्हें भारत से अधिक पाकिस्तान की चिंता है ।
6 . निगरानी और अराजक तत्वों की गिरफ्तारी के निर्देश दिए जाएँ और इनमे राजनीतिक हस्तक्षेप ना हो -डॉ रजनी भंडारी ,समाज सेविका
आतंकवाद का इस्तेमाल सरकार को डराने के लिए किया जा रहा है कुछ हद तक सही हो सकता है डर और भय का वातावरण बनाकर बेकसूर लोगों को मारकर मुट्ठी भर आतंकवादी क्या सरकार को डराकर ज़िंदा रह पायेगे देश और दुनिया में इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने वालो के अब दिन पूरे हो गए है अति होने पर अंत तो होता ही है २२ की घटना अति से भी अधिक अति है और हमारा देश और सरकार घुटने टेकने वाली नहीं है और न ही डरने वाली है सरकार आतंकवाद को नष्ट करने के सभी उपायों को अपनानकर इन देश के दुश्मनों का सफाया करेगी। कड़े सुरक्षा इंतज़ाम और इस तरह के सभी लोकल लोगों की जानकारी पुलिस और सेना के पास होती है उनको अरेस्ट करके क़ानूनी कार्यवाही शीघता से की जानी चाहिए प्रत्येक स्तर पर निगरानी और अराजक तत्वों की गिरफ्तारी के निर्देश दिए जाने होगें सबसे बड़ी बात किसी भी तरह का राजनीतिक हस्तक्षेप इन को छोड़ने के लिए पूरे देश में नहीं मान्य होना चाहिए
संबंधित सभी विभागों को इसी तरह के निर्देश दिए जाने चाहिए।
7 .धर्म के नाम पर निर्दोषों की हत्याएं करना अधर्म है-डॉ सुरेखा भारती, आध्यात्मिक स्पीकर
जब आध्यात्म से संवाद बंद हो जाता है तब आतंकवाद का जन्म होता है।आतंकवाद ऐसा नासूर है जिसे हम खत्म नहीं कर पा रहे हैं, यह बढ़ता ही जा रहा है दिन पर दिन और समूचे राष्ट्र को पीड़ा दे रहा है। हम अनुभव कर रहे हैं,राष्ट्र इससे खोखला होता जा रहा है।
धर्म के नाम पर हत्याएं यह कहां तक उचित है ?धर्म के नाम पर निर्दोषों की हत्याएं करना अधर्म है ।मेरी कुछ पंक्तियां हैं –
मेरे देश में आग लगी है
मेरे देश में आग,
अब तो जागो रे
अपने खूनी रंग की कोई
मत खेलो रे फाग,
भैया अब तो जागो रे
रेशम के मत धागे तोड़ो
कश्मीर से लहरे जोड़ो
वरना फिर से जल उठेगा
जलियांवाला बाग
भैया अब तो जागो रे
मेरे वतन में आग लगी है
मेरे वतन में आग
रोज-रोज हत्याएं करना,
हत्याओं से दहशत भरना ,
कब तक खून कलम के होंगे
कौन करेगा त्याग
भैया अब तो जागो रे
मेरे वतन में आग लगी है
मेरे वतन में आग
भैया अब तो जागो रे
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