Illegal Building Fraud : अवैध बिल्डिंग बचाने के लिए बिल्डर ने किया फर्जीवाड़ा, हाई कोर्ट ने सारा खेल समझकर अजब फैसला सुनाया!

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Illegal Building Fraud : अवैध बिल्डिंग बचाने के लिए बिल्डर ने किया फर्जीवाड़ा, हाई कोर्ट ने सारा खेल समझकर अजब फैसला सुनाया!

हाई कोर्ट ने निगम के मामले से जुड़े उन इंजीनियरों को भी लपेटा जो रिटायर हो गए!

Bengaluru : कर्नाटक हाई कोर्ट ने बेंगलुरु के जेपी नगर स्थित नंजनदेश्वर में एक अवैध इमारत को लेकर बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने यहां न सिर्फ उस इमारत को गिराने का आदेश दिया, बल्कि इसे ढाहने में आने वाला खर्च बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) के लापरवाह अधिकारियों से वसूलने को भी कहा। जस्टिस संजय गौड़ा ने 26 अप्रैल को यह आदेश सुनाया था, जो अब सामने आया। स्थानीय लोगों ने फरवरी 2020 में शिकायत की थी कि इलाके में एक रिहायशी इमारत बिना किसी मंजूर प्लान के बन रही है। बीबीएमपी के संयुक्त आयुक्त ने निरीक्षण के दौरान पुष्टि की कि निर्माण अवैध है और आश्वासन दिया कि इमारत गिराई जाएगी। हालांकि इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।

बिल्डर ने इंजीनियरों से मिलकर किया खेल

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, बिल्डर ने बीबीएमपी इंजीनियरों से सांठगांठ कर 2021 की बिल्डिंग प्लान को पिछली तारीख में जारी कराया, ताकि यह दिखाया जा सके कि निर्माण से पहले अनुमति ली गई थी। हालांकि एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) की जांच में इस फर्जीवाड़े की कलई खुल गई। इससे पहले कर्नाटक अपीलीय अधिकरण (केएटी) ने भी इस भवन को गिराने का आदेश दिया। लेकिन, बीबीएमपी ने फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की।इसके उलट, बिल्डर ने वही फर्जी दस्तावेज लेकर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लेकिन, अदालत इस छलावे से प्रभावित नहीं हुआ।

हाईकोर्ट ने क्या कहा?

हाई कोर्ट ने साफ कहा कि 6 मार्च 2021 को मंजूर की गई योजना और उससे पहले 28 फरवरी 2021 को हुए निरीक्षण की तारीख खुद इस सांठगांठ को उजागर करती है। जस्टिस संजय गौड़ा ने 26 अप्रैल के अपने आदेश में कहा कि जब संयुक्त आयुक्त ने स्थल निरीक्षण किया था, तब यह साफ हो चुका था कि भवन अवैध रूप से बन रहा है। इसके बावजूद, सहायक नगर नियोजन निदेशक (एडीटीपी) ने 6 मार्च 2021 को भवन योजना को मंजूरी दी और 24 मार्च 2021 को निर्माण लाइसेंस भी जारी कर दिया।

अदालत ने कहा कि यह दर्शाता है कि बिल्डर और संबंधित इंजीनियरों के बीच मिलीभगत थी। कोर्ट ने कर्नाटक नगर निगम अधिनियम की धारा 321-B का हवाला देते हुए साफ किया कि अगर किसी अवैध निर्माण को रोकने में बीबीएमपी के अधिकारी विफल रहते हैं, तो उन्हें दंडित किया जा सकता है। जितने अधिक उल्लंघन होंगे, जुर्माना उतना ही अधिक होगा।

अब कोर्ट ने बीबीएमपी को सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए। इसमें न केवल अवैध मंजूरी देने वाले अधिकारियों की जांच शामिल है, बल्कि उनमें से जो रिटायर हो चुके हैं, उन्हें भी जवाबदेह ठहराने को कहा गया। कोर्ट ने खास तौर से उस एडीटीपी के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है, जिसने 19 मार्च 2021 को आदेश पारित होने के बाद भी भवन योजना को मंजूरी दी थी। कोर्ट ने कहा कि इमारत को गिराने का पूरा खर्च इन अधिकारियों से वसूला जाए।