तीन साल से विधि, भूमि सुधार आयोग और राजस्व के बीच झूल रहा स्थावर सम्पत्ति स्वामित्वाधिकार विधेयक

2021 में बना लैँड टाइटलिंग बिल, नाम बदलने में लग गया एक साल, सितंबर 22 से राजस्व के पास अटका, अब तक फाइनल नहीं

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तीन साल से विधि, भूमि सुधार आयोग और राजस्व के बीच झूल रहा स्थावर सम्पत्ति स्वामित्वाधिकार विधेयक

 

 

भोपाल: वर्ष 2021 में तैयार मध्यप्रदेश लैंड टाइटलिंग बिल पर सरकार कछुआ चाल से चल रही है। विधि विभाग की आपत्ति के बाद इसका नाम बदला गया इसमें एक साल लग गया और नाम बदलने के बाद पिछले सितंबर माह से यह राजस्व विभाग के पास अटका हुआ है। विभाग अब तक इसे लागू करने के लिए आगे की कार्यवाही नहीं कर पाया है।

मध्यप्रदेश में जमीन के स्वामित्व को लेकर होंने वाले विवादों को खत्म करने मध्यप्रदेश लैंड टाइटलिंग बिल 2021 तैयार किया गया था। भूमि सुधार आयोग ने इसका अंग्रेजी प्रारुप तैयार कर 2021 में राज्य सरकार के पास भेजा था। इसके नाम पर विधि विभाग ने आपत्ति दर्ज कराई। इसका नाम सुधारने के लिए सुझाव दिया। इसके बाद भूमि सुधार आयोग ने इसका नाम बदलकर मध्यप्रदेश स्थावर सम्पत्ति स्वामित्वाधिकार विधेयक 2022 के रुप में चार सितंबर 2022 राजस्व विभाग को उपलब्ध कराया है। इतने समय इसे राजस्व विभाग के पास भेजे हो गए है। विधानसभा चुनाव इस बार होंने है और इस विधानसभा का यह आखिरी मानसून सत्र है। राजस्व विभाग अब तक इस विधेयक को चर्चा के लिए विधानसभा में पेश करने के लिए नही भेज पाया है। इसके चलते इस सरकार में इसके लागू होंने की संभावनाएं न के बराबर रह गई है। राजस्व विभाग को इस विधेयक का हिंदु अनुवाद भी तैयार कर भेजा जा चुका है। जब विधेयक विधानसभा में पारित होगा उसके बाद इसके लिए नियम बनाने होंगे।

क्या होगा विधेयक के लागू होंने पर-
मध्यप्रदेश में अभी अचल सम्पत्ति के विवादों में एक ही सम्पत्ति कई लोगों को बिकने की समस्याएं सामने आती रहती है। कई बाद एक ही सम्पत्ति के कई दावेदार भी खातों में दर्ज हो जाते है। कब्जा एक ही का रहता है। इन विवादों को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने हर जमीन का एक टाइटिल देने की कवायद शुरु की है। खसरे में दर्ज हर जमीन के टुकड़े का अलग टाइटिल दर्ज होगा। उसमें मालिकाना हक उस व्यक्ति के नाम से दर्ज होगा। उस जमीन पर लिए गए कर्ज, उस पर दी गई जमानत, गिरवी रखे जाने, पट्टे पर दिए जाने, , किरायेदारी से उठाई गई सम्पत्ति की जानकारी भी दर्ज रहेगी। इससे उस जमीन का पूरा ब्यौरा उस टाइटिल के साथ रहेगा। इससे विवादों को कम करने में मदद मिलेगी।