MP में प्रदेश से बाहर सरकार की करीब एक लाख करोड़ रुपए की सम्पत्ति,विभागों से तलब की जानकारी- कहां है कितनी सम्पत्ति और क्या है स्टेटस!
भोपाल:प्रदेश के कई सरकारी महकमों की राज्य के बाहर अरबों-खरबों की सम्पत्ति है। किस विभाग की कहां कितनी सम्पत्ति है और उनका संधारण किस तरह किया जा रहा है उस पर कितना खर्च आ रहा है, वित्त विभाग ने सभी सरकारी विभागों से इसकी जानकारी तलब की है। मुख्य सचिव वीरा राणा जल्द ही इसकी समीक्षा करेंगी।
प्रदेश के कई सरकारी महकमों की राज्य के बाहर अरबों रुपए की सम्पत्ति है। इनमें धर्मस्व विभाग, वित्त विभाग, पर्यटन एवं संस्कृति विभाग,नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, जलसंसाधन विभाग सहित कई महकमों की सम्पत्त्तियां राज्य के बाहर अन्य राज्यों में स्थित है। मध्यप्रदेश सरकार की प्रदेश से बाहर करीब एक लाख करोड़ रुपए की सम्पत्ति है। देखरेख के अभाव में इन पर अतिक्रमण हो रहे है जिसके चलते राज्य सरकार को इन्हें बेचने या किराये से देने में दिक्कत आ रही है। अब प्रदेश के बाहर स्थित राज्य सरकार के विभिन्न महकमों की सम्पत्ति का आंकलन किया जाएगा। कहां कितने अतिक्रमण है, कहां कितनी आमदनी हो रही है। किस सम्पत्ति को बेचना चाहिए और किस सम्पत्ति पर आगे विस्तार कर उसका उपयोग किया जाना है इसको लेकर राज्य सरकार नीति बनाने जा रही है। इसके लिए मुख्य सचिव अगले माह सभी विभागों के साथ समीक्षा करेंगी। इसलिए सभी विभागों से राज्य के बाहर की सम्पत्ति की जानकारी मांगी गई है।
*कहां कितनी सम्पत्ति-*
अकेले मुंबई में राज्य सरकार की पचास हजार करोड़ से अधिक की लगभग 466 सम्पत्तियां है। इसमें सर्वाधिक 365 एकड़ जमीन मुंबई के ठाढे में है। इसमें से 90 एकड़ जमीन एयरफोर्स ने अधिगृहित कर ली हे। कोलाबा काचवे में 4 हजार 256 स्क्वायर यार्ड, 10-12 मांगलिक रोड पर 590.69 स्क्वायर यार्ड में दो बिल्डिंग है। इसके अलावा माधार पागड़ी रोड पर 12 हजार 274 स्क्वायर यार्ड और एडवर्ड विला प्रमुख सम्पत्तियों में शामिल है।
मुंबई में प्रिंसेस बिल्डिंग 2 हजार 294.66 वर्ग मीटर और टेक बंदर रोड 10 हजार 460 वर्ग मीटर है। केरल के वायनाड जिले में 550 एकड़ जमीन है। केरल के वायनाड में में हजारों करोड़ की 550 एकड़ जमीन पर कॉफी की खेती ककी जा रही है। नागपुर और झांसी में मध्यप्रदेश सड़क परिवहन निगम की जमीने है। झांसी की जमीनों पर अवैध कब्जे हो गए है। मध्यप्रदेश के बाहर की सम्पत्ति के आंकलन करने और इन्हें बेचने के लिए राज्य सरकार ने प्रोविडेंट इन्वेस्टमेंट कंपनी भी बनाई है। देखरेख के अभाव में इन बेशकीमती जमीनों पर अवैध कब्जे हो रहे है इसके कारण इन्हें बेचना सिरदर्द बन गया है। इसलिए अब सरकार इनकी एकजाई नीति बनाकर इस सम्पत्ति को ठिकाने लगाएगी और जो सम्पत्ति राज्य के लिए उपयोगी होगी उसका विस्तार करेगी। वहां रेस्टहाउस, धर्मशाला का निर्माण कर मध्यप्रदेश के रहवासियों को उन राज्यों में जाने पर ठहरने के लिए रियायती दरों पर यहां सुविधा मुहैया कराई जाएगी। इसके अलावा इन सम्पत्तियों को किराए पर उठाकर भी राज्य सरकार आमदनी अर्जित करना चाहती है।