ऊर्जादाता बनने में अन्नदाता को कोसों मील चलना है…

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी पीएम कुसुम-ए योजना का सपना है कि अन्नदाता को न केवल ऊर्जादाता बनते देखना है, बल्कि इसके जरिए उनका आर्थिक स्तर भी तलघर से ऊपर ले जाकर पहली मंजिल तक पहुंचाना है। पर अन्नदाता को लेटर ऑफ अवार्ड (एलओए) लेने के बाद ही पसीना आ रहा है। बैंकर्स के साथ मीटिंग हुई तो बताया गया कि 70 फीसदी लोन बैंंक देगा और 30 फीसदी मार्जिन मनी की व्यवस्था किसान को करनी है। तब सवाल हॉल में तैर गए किसानों के…क्या यह फायनेंस 90 फीसदी तक नहीं हो सकता?
किसान आखिर 30 फीसदी मार्जिन मनी कहां से लाएगा? बैंकों के प्रतिनिधियों ने कहा कि यह पॉलिसी है, जिसमें बदलाव संभव नहीं है। किसानों के चेहरे एलओए लेते समय जितने खिले थे, यह जवाब सुनकर उतने ही मुरझा गए। सवालों का सिलसिला पर थमा नहीं। क्या राजस्थान की तर्ज पर मध्यप्रदेश में भी सरकार ब्याज दर में पांच फीसदी छूट देकर किसानों की चिंता दूर नहीं कर सकती? जवाब मिला कि राजस्थान का नोटिफिकेशन लेकर आओ, फिर बात करेंगे। फिर आवाज आई कि यदि ओले गिर गए, आंधी चल गई और विपदा आन पड़ी तो सोलर प्लेट्स के होने वाले नुकसान और ऊर्जा उत्पादन बंद होने के घाटे से कौन उबारेगा?
क्या मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम फसल बीमा योजना की तर्ज पर प्रोजेक्ट का इंश्यारेंस नहीं करवा सकती? जवाब मिला कि यह संभव नहीं है। तो फिर नया सवाल कि कुसुम-बी और कुसुम-सी योजना की तरह कुसुम-ए योजना में सब्सिडी जैसा कोई प्रावधान किया जा सकता है। फिर सवाल कि क्या योजना को एग्रीकल्चर इंफ्रा फंड के अंतर्गत लाभ मिलेगा? … सवाल,सवाल, सवाल…क्योंकि किसान असमंजस में है कि एलओए मिलने के बाद भी कहीं मार्जिन मनी उनकी राह का रोड़ा न बन जाए।
तो दूसरी तरफ एमडी कर्मवीर शर्मा सहानुभूति पूर्वक सुझाव देते हैं कि ज्यादा फायनेंस मिले, इसके लिए बैंकों से बात करेंगे। राजस्थान वाले नोटिफिकेशन देखकर मध्यप्रदेश में भी बदलाव लाने पर विचार करेंगे। सलाह देते हैं कि किसान जल्दी से जल्दी सोलर पैनल लगाकर उत्पादन शुरू करें। हां इंश्यारेंस करवाने में खुद ही पहल करनी होगी और ऊर्जा विकास निगम भी मदद को तैयार है। तो अन्य सवालों के जवाब के बाद किसानों का हौसला बढ़ाते हैं कि कदम आगे बढ़ाओ, रास्ते बनते जाएंगे।
तो यह भी सुझाव देते हैं कि सोलर प्लेट्स को ऊंचाई पर लगाकर किसान पॉली हाउस बनाकर 22-25 कामर्सियल फसलों का उत्पादन कर भी अपनी अतिरिक्त कमाई कर लखपति बन सकते हैं। तो यह भी कहते हैं कि ऊर्जा विकास निगम हर तरह की तकनीकी मदद करेगा और पंद्रह दिन में ही वर्चुअली जुड़कर किसानों से बात कर जो भी मदद होगी, वह भी करेगा। भाव यही कि प्रदेश में सौर ऊर्जा उत्पादक किसानों की संख्या बढ़े और 500 मेगावाट का लक्ष्य भी हासिल किया जा सके। मंशा यही कि प्रदेश के किसानों की आय में बढ़ोतरी हो।
किसानों के आर्थिक उत्थान की दृष्टि से भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाअभियान योजना (कुसुम) के ‘‘घटक अ’’ के तहत किसानों की अनुपयोगी भूमि सौर संयत्रं स्थापना हेतु चयनित 40 विकासकों को लेटर ऑफ अवार्ड का वितरण किया गया। कर्मवीर शर्मा ने विकासकों से चर्चा कर आवंटित लैटर ऑफ अवार्ड के अनुसार शीघ्र सौर संयत्रों की स्थापना की कार्यवाही करने हेतु कहा, ताकि योजनांतर्गत भारत सरकार द्वारा आवंटित लक्ष्य की पूर्ति हो और किसानों का लाभ बढ़े।
हालांकि इसके लिए किसानों को कोसों मील की दूरी तय करना है, क्योंकि बैंकों के ब्याज दर और मार्जिन मनी की व्यवस्था को लेकर सांसें ऊपर-नीचे हो रही हैं। अन्नदाता का ऊर्जादाता बनने का सफर रोमांच और संघर्ष से भरा है। पर कह सकते हैं कि किसानों का हौसला कर्मवीर शर्मा कुछ इसी तरह बढ़ाते हैं कि हम होंगे कामयाब, हम होंगे कामयाब, हम होंगे कामयाब …। तो मुख्यमंत्री शिवराज किसान पुत्र होने के नाते सहूलियतें बढ़ाकर किसानों की राह आसान करेंगे, उद्यमी बनने जा रहे किसानों को यह पूरा भरोसा है।