शताब्दी वर्ष में संघ का विस्तार गांव-गांव तक …!

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शताब्दी वर्ष में संघ का विस्तार गांव-गांव तक …!

लोकसभा चुनाव के बाद यह  सवाल हवा में तैर रहा है कि संघ अब भाजपा के संग तो है लेकिन मोदी के संग कितना है? बयानबाजी से तो ऐसा लग रहा है कि दुनिया के सबसे बड़े राजनैतिक दल होने के भाजपा के भ्रम को पूरी तरह से चकनाचूर करने का मन शायद मोहन और संघ ने बना लिया है। और बहुमत न मिलने और अयोध्या जैसी सीट गंवाने के बाद आधा भ्रम तो खत्म हो ही चुका होगा। जो बाकी होगा, वह अब गांव-गांव तक संघ के विस्तार के ऐलान के बाद खत्म हो जाएगा। लगता है कि शताब्दी वर्ष में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत का टॉप एजेंडा गांव-गांव तक पहुंचने का है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि वर्ष 2025 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। यह संघ के लिए सौभाग्य का वर्ष रहेगा। इसे और भी सौभाग्यशाली बनाना है। स्थापना वर्ष तक हर खंड व गांव तक संघ को पहुंचाना है। गांव-गांव में स्वयंसेवकों का समूह बनाकर खंड स्तर पर शाखाएं लगवानी हैं, जिससे राष्ट्र व समाज के विकास में संघ की भूमिका अंतिम पायदान तक सुनिश्चित हो सके।

तात्पर्य यही है कि उसके बाद किसी भी भाजपाई दिग्गज की हिम्मत संघ को चुनौती देने की नहीं रहेगी। गोरखपुर में संघ प्रमुख का यह शताब्दी वर्ष संकल्प ही बयां कर रहा है कि भाजपा और संघ के बीच सब कुछ ठीक नहीं है। हालांकि संघ का मन बहुत बड़ा है और अहंकार रहित उदारता भाजपा के प्रति है ही, इसलिए एक बार जब माफ करने का मन बनेगा तो फिर पुराने कड़वे अनुभव सब विसर्जित हो जाएंगे। क्योंकि संघ विचारधारा की भाजपा के संग अनुकूलता को नकारा नहीं जा सकता। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार आरएसएस प्रमुख और सीएम योगी की गोरखपुर में मुलाकात की चर्चा जोरों पर है। मोहन भागवत का गोरखपुर में प्रवास पांच दिन का है। वह 16 जून तक स्कूल में ही प्रवास करेंगे। कार्यकर्ता विकास वर्ग में हिस्सा लेने के अतिरिक्त उनका गोरखपुर में कोई अन्य कार्यक्रम नहीं है। 17 जून की सुबह वह गोरखपुर से रवाना हो जाएंगे। लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद पहली बार गोरखपुर में सीएम योगी आदित्‍यनाथ और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का मिलन एक बार फिर कई कयास लगाने की पूरी स्वतंत्रता दे रहा है। खैर यूपी में चुनाव नतीजों के बाद यह बैठक बहुत अहम मानी जा रही है।

संघ को लेकर इतनी चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि एक दिन पहवे ही जयपुर में आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने तीखा हमला बोलते हुए बगैर नाम लिए भाजपा को इशारों-इशारों में अहंकारी तक कह दिया। उन्होंने कहा कि जो अहंकारी बन गए, भगवान राम ने उन्हें 240 पर ही रोक दिया। बता दें की भाजपा की अयोध्या में हार तो हुई हैं। साथ ही भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा चुनाव में 240 सीटें ही मिली। यानी के पार्टी बहुमत से भी लगभग 32 सीटें दूर रह गई हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा था कि राम सबके साथ न्याय करते हैं। जिस पार्टी ने घमंड किया, उसे पूरी ताकत नहीं दी। उन्होंने कहा, ‘लोकसभा चुनाव 2024 के रिजल्ट को देख लीजिए। जिन्होंने राम की भक्ति की, उन्हें अहंकार आ गया और वह पार्टी 240 पर सिमट गई। उन्हें जो पूर्ण बहुमत मिलना चाहिए था, जो शक्ति मिलनी चाहिए थी। अहंकार की वजह से वो शक्ति (ताकत) नही मिली। भगवान राम ने इन अहंकारी लोगों को सबक सिखाया हैं। भगवान राम भेदभाव नहीं करते हैं। सबको उसकी नीयत के आधार पर प्रतिफल देते हैं। रामजी सजा नहीं देते हैं और ना ही किसी को *”विलाप”* करने का मौका देते हैं। रामजी सबको न्याय देते हैं, देते थे, और आगे भी देते रहेंगे। भगवान राम सदैव न्याय प्रिय रहे हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) नेता इंद्रेश कुमार के बयान पर एनडीए के सहयोगी दल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के नेता और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने प्रतिक्रिया दी थी कि “जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी। वो (आरएसएस) उसी में खुश रहें।”उन्होंने कहा, “राम जी ने हमें काम करने के लिए मैन्डेट दिया हैं। हम लोग काम कर रहे हैं और काम करेंगे भी। जो कह रहे हैं वो अपना समझें, उनकी क्या गति रहेगी या क्या गति होगी।” गौरतलब है कि एनडीए सरकार में जीतन राम मांझी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री हैं।

तो संघ की ताकत का अंदाजा सबको है, लेकिन इस समय भाजपा और संघ दोनों तरफ से चल रही बयानबाजी लोगों में संशय पैदा कर रही है, जिसका समाधान भी समय ही करेगा। संघ बहुत विस्तारित है और अब शताब्दी वर्ष में संघ का विस्तार गांव-गांव तक होगा, तब किसी भी राजनैतिक दल की हिम्मत संघ को आइना दिखाने की नहीं रहेगी…यह बात तो तय है.

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