सूचना आयुक्त की कतार में रिटायर्ड IAS के खिलाफ उनके ही सीनियर ने खोला मोर्चा

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भोपाल: राज्य सूचना आयुक्त बनने के लिए के लिए आवेदन करने वाले रिटायर्ड आईएएस अफसरों के खिलाफ दूसरे रिटायर्ड आईएएस अफसरों ने ही मोर्चा खोल लिया है। सूचना आयुक्त के लिए आवेदन करने वाले भोपाल के पूर्व संभागायुक्त रिटायर्ड आईएएस अधिकारी कविन्द्र कियावत की पूर्व शहडोल कमिश्नर रिटायर्ड आईएएस आरबी प्रजापति ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से शिकायत करते हुए उन्हें किसी तरह की नियुक्ति प्रदान नहीं करने की मांग की है।
उन्होंने कियावत पर विदिशा जिले के ग्यारसपुर में एतिहासिक शासकीय धरोहर मानसरोवर तालाब को लेकर धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है।

प्रजापति ने मुख्यमंत्री को भेजी शिकायत में कहा है कि विदिशा जिले की ग्यारसपुर तहसील में बना मानसरोवर राज्य की शासकीय एतिहासिक धरोहर के रुप में गजेटियर में दर्ज है। विदिशा कलेक्टर ने 8 अक्टूबर 1985 को प्राइवेट पक्षकारों द्वारा मानसरोवर तालाब की जमीन हड़पने की साजिश के तहत दिए गए आवेदन को निरस्त कर दिया था।

कलेक्टर के आदेश के विरुद्ध प्राइवेट पक्षकारों ने अपर आयुक्त भोपाल संभाग के न्यायालय में अपील की थी अपर आयुक्त भोपाल ने 25 नवंबर 1992 को निरस्त कर दी थी। प्रजापति ने आरोप लगाया है कि कलेक्टर विदिशा ने 27 अक्टूबर 2005 को अनाधिकृत रुप से राजस्व पुस्तक परिपत्र का हवाला देकर बिना किसी नियम कानून काउल्लेख किए बिना धोखाधड़ी करते हुए तालाब की जगह दूसरी शासकीय जमीन का विनिमय निजी पक्षकारों के साथ कर दिया।

पूर्व संभाग आयुक्त केके सिंह पर भी आरोप
इस प्रकरण में उस समय भोपाल संभागायुक्त के पद पर रहे केके सिंह ने भी 9 सितंबर 2006 को बिना कानून का उल्लेख किए सभी तथ्यों को नकारते हुए कलेक्टर के आदेश को बरकरार रखा। इस पूरे मामले में सामान्य प्रशासन विभाग ने भोपाल संभागायुक्त से प्रतिवेदन बुलाया लेकिन तत्कालीन भोपाल संभागायुक्त कवीन्द्र कियावत ने नियम-कानून का उल्लेख किए बिना सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों से चर्चा कर गलत प्रतिवेदन एक अक्टूबर 2020 को भेज दिया।

प्रजापति का कहना है कि केके सिंह ने नियम-कानून का परीक्षण किए बिना 9 सितंबर 2006 को आदेश पारित किया और कियावत ने नियम-कानून तथा तथ्यों का उल्लेख किए बिना गलत प्रतिवेदन सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा इसलिए इन दोनो ने शासन के साथ धोखाधड़ी कर शासन को करोड़ों का नुकसान पहुंचाने आदेश एवं प्रतिवेदन दिए है इसलिए इन दोनो को किसी भी पद पर नियुक्ति नहीं दी जाए। इस मामले की जांच कराई जाए और कार्यवाही की जाए। करोड़ों रुपयों की वसूली भी दोषी अधिकारियों से की जाए।