Incidently – Special: 400 लोगों की मौत प्रतिदिन सड़क दुर्घटनाओं में — – – – चिंता जनक है
मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट
क्या आप यात्रा से, कार्यस्थल से, देव दर्शन से, स्कूल कॉलेज से कृषि मंडी से, मार्केट से, अन्य स्थानों से सकुशल अपने घर या गंतव्य तक पहुंचना चाहते हैं तो यह कठिन होता जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा जारी रिपोर्ट तो यही बताती है। सड़कों पर दुर्घटनाओं और इसमें मरने वालों की संख्या बढ़ रही है।
हाल में जारी रिपोर्ट के मुताबिक सर्वाधिक सड़क हादसों के लिए चिन्हित किए गए 10 देशों में भारत सबसे ऊपर है। हमारे देश में सड़क दुर्घटनाओं में 44 प्रतिशत दुर्घटनाएं और इनसे होने वाली मौतों में भी 44 प्रतिशत हिस्सा दोपहिया वाहनों का होता है। सावधान करती रिपोर्ट में अंधाधुंध चलते वाहनों से पैदल चलने वालों की मौत भी चोंकाती है।
देश में रोजाना औसतन 400 से अधिक लोग सड़क हादसों के चलते जीवन गंवा देते हैं। अर्थात प्रति घंटे 18 लोगों की और हर मिनट कोई 3 लोग दुर्घटना में कालकवलित होरहे हैं इससे कोई गुणा अधिक अंग भंग के शिकार हो रहे।
गत दिनों हरियाणा, पंजाब सरकार ने चंडीगढ़ में अब चार साल से बड़ी उम्र के हर बाइक सवार के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य किया गया है। वैसे यह हाईकोर्ट के फैसले से जुड़े ये दिशा-निर्देश हैं। आम बात है देश में टू व्हीलर चालक तेज़ रफ्तार के साथ ट्रैफिक नियमों की भी अनदेखी करते हैं व दुर्घटनाओं की वजह बनते हैं।
बच्चे परिवार का भविष्य होते हैं। समाज और देश की भावी पीढ़ी माने जाते हैं। घर के भीतर ही नहीं, बाहर निकलने पर भी सबसे ज्यादा संभाल-देखभाल की दरकार बच्चों को ही होती है। बावजूद इसके पैरेंट्स हों या परिजन, नयी पीढ़ी की सुरक्षा में कोताही करते दिख जाते हैं। तकलीफदेह है कि बड़ों द्वारा सड़क यातायात में सख्त नियमों की अनदेखी करना तो नौनिहालों का जीवन ही खतरे में डाल देता है। ऐसे में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के एक फैसले के आदेश बच्चों का जीवन सहेजने वाले हैं। हाल ही में सार्वजनिक हुए आदेशों के तहत हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ में अब चार साल से बड़ी उम्र के हर बाइक सवार के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य कर दिया गया है।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि हेलमेट केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मानकों के मुताबिक होना चाहिए। आदेश के अनुसार केवल पगड़ी पहनने वाले सिख महिला और पुरुषों को हेलमेट से छूट मिलेगी। निर्देशों से स्पष्ट है कि यह नियम मोटरसाइकिल चालक, पीछे बैठे व्यक्ति या साथ ले जाए जा रहे बच्चों तक, चार साल से ऊपर प्रत्येक व्यक्ति पर लागू होंगे।
सुरक्षा से जुड़े इन निर्देशों में बच्चों को भी शामिल किए जाने के बाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को भी दोपहिया वाहनों की सवारी करने वाले चार साल से छोटे बच्चों की सुरक्षा के लिए विशेष नियम बनाने की बात कही है। हमारे यहां टू व्हीलर वाहनों के दुर्घटनाओं के आंकड़े डराने वाले हैं। फिर भी देश के हर हिस्से में दोपहिया वाहन चालक तेज़ रफ़्तार के साथ ट्रैफिक नियमों की भी अनदेखी करते हैं।
मोटरव्हिकल एक्ट आमजन के हित संरक्षण के लिये बने हैं पर उनके परिपालन में गंभीरता कम है। बुरे परिणाम व्यक्ति, परिवार और समाज को भोगना पड़ रहे हैं।
दो साल पहले सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने भी दोपहिया वाहन चालकों के लिए बनाए गए नियमों में बच्चों की सुरक्षा से जुड़ा नियम शामिल किया था। इस मंत्रालय ने भी चार साल से कम उम्र के बच्चों को दोपहिया वाहन पर ले जाने के लिए विशेष सुरक्षा नियमों का अनुसरण करने को कहा था। इनके तहत दोपहिया वाहन चालक को अनिवार्य रूप से बच्चों के लिए हेलमेट और सुरक्षा बेल्ट का इस्तेमाल करने की बात कही गई थी। वाहन की रफ्तार भी 40 किमी प्रति घंटे तक सीमित रखने की बात शामिल थी। देश में सड़क हादसों में जा रही जानें समाज और सरकार के लिए फिक्र का कारण बनी हुई हैं। सेफ़्टी के हिसाब से समय-समय पर न सिर्फ इससे जुड़े नियम भी बदलते रहते हैं बल्कि नये नियम भी जुड़ते हैं। जरूरी है कि हर परिवार इन नियमों को लेकर भी जागरूक रहे।
यातायात नियमों का उल्लंघन तो शान समझा जाता है वहीं यातायात पुलिस, परिवहन विभाग होमगार्ड्स और सुरक्षा कर्मी भी खासे उदासीन पाए जाने से ख़ासकर युवाओं में तेज़ और करतबों के साथ वाहन चालन समस्या बढ़ा रहे हैं।
दुख और दुश्वारियां झोली में डाल देने वाले सड़क हादसे बच्चों के लिए शारीरिक पीड़ा देने वाले ही नहीं मनोवैज्ञानिक रूप से भी एक सदमे के समान होते हैं। हालांकि दुर्घटनाओं में मरने वाले वृद्ध पुरूष महिला भी कम नहीं हैं, शहरी क्षेत्रों के समीप स्थित ग्रामीण इलाकों के व्यापारी , किसान , युवाओं , विद्यार्थियों, महिलाओं का आवागमन प्रतिदिन सुबह शाम बढ़ जाता है और वाहनों की गति गंतव्यों को पहुंचने पर अबाध हो रही है एक्सीडेंट की गति बढ़ा रही है। सबको जल्दी है, सड़कों पर धैर्य की कमी और दैनंदिन जीवन में बढ़ता तनाव भी जानलेवा दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ा रहा है।
इसीलिए दोपहिया वाहनों पर सफर करते हुए बच्चों की सुरक्षा से जुड़ी सख्ती आवश्यक भी है। सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वालों में हेलमेट न पहनने वाले वाहन चालकों की संख्या सबसे अधिक है। अपनों के साथ यात्रा कर रहे मासूम बच्चों का जीवन छिन जाना परिवार-समाज की न पूरी हाने वाली क्षति है। दुर्घटनाओं में शारीरिक रूप से अक्षम और अंग भंग होने वालों बच्चों का जीवन भी सदा के लिए दुश्वारियों से घिर जाता है।
इसीलिए ज़िम्मेदारी नागरिक और अपने बच्चों का जीवन रक्षक बनने की सोच के साथ सड़क नियम पालन करने चाहिए। जागरूकता ही बेहतर उपाय है और इसका दैनिक जीवन में व्यवहार हो । हमारी, समाज की और राष्ट्र जिम्मेदारी है कि अपने साथ परिवार को, बच्चों को और दूसरों को भी बचाएं।
सरकारें और विभागीय व्यवस्थाऐं प्रयास कर रही हैं कि दुर्घटनाओं कम हो आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल भी होरहा पर जब हम और हमारे लोग ही पालन नहीं करेंगे तो कैसे रुकेगी यह मौतों की हानि?