Income Tax : पुराने मामले खोल सकता है इनकम टैक्स विभाग, सुप्रीम कोर्ट का फैसला!

फाइनेंस एक्ट 2021 में धारा 148ए के अनुसार 10 साल पुराने मामलों को खोलना संभव!

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Income Tax : पुराने मामले खोल सकता है इनकम टैक्स विभाग, सुप्रीम कोर्ट का फैसला!

 

New Delhi : आयकर विभाग देश में टैक्स चोरी के मामलों को पकड़ने के लिए हमेशा तैयार रहता है। आयकर (Income Tax) विभाग को इसको लेकर कई शक्तियां मिली हुई है। कानून अनुसार आयकर विभाग मामलों की जांच कर पता लगा सकता है कि टैक्स चोरी हुआ है या नहीं! लेकिन, सवाल आता है कि आयकर विभाग कितने साल पुराने मामलों में फिर से जांच कर सकता है, अब यह फैसला भी सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया।

आयकर विभाग के पास किसी की भी आईटीआर की जांच करने का अधिकार है। आयकर विभाग कितने साल पुराने मामले खोल सकता है, यह केस हालात पर निर्भर करता है। अलग-अलग अलग मामलों में नियम कुछ अलग है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अहम सुनवाई की। इसके अनुसार आयकर विभाग 3 साल से ज्यादा पुराने मामले नहीं खोल सकता। नए कानून के अनुसार आम तौर पर 3 साल से ज्यादा पुराने मामलों में रिअसेसमेंट ऑर्डर जारी नहीं किया जा सकता है। यह कुछ साल पहले ही सरकार ने नया नियम बनाया है। सामान्य मामलों में तो तीन साल के केस ही खुल सकते हैं, लेकिन अगर किसी के ऊपर गंभीर मामला है तो यह दस साल तक के केस आयकर विभाग रिएसेसमेंट के लिए खोल सकता है। 50 लाख रुपये से ज्यादा आय छुपाने पर भी 10 साल तक रिएसेसमेंट हो सकता है।

हाईकोर्ट ने सुनाया था फैसला
रिएसेसमेंट से जुड़े एक मामले में सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ किया कि 3 साल से पुराने और 50 लाख से कम के आयकर मामले में रिएसेसमेंट नहीं किया जा सकता। ‘लॉ ऑफ लिमिटेशन’ के कारण 3 साल पुराने मामले सामान्यत समय बाधित हैं। वहीं, किसी सीरियस फ्रॉड और 50 लाख से ऊपर ये नियम लागू नहीं होते हैं। यह आयकर कानून के हिसाब से है और तीन साल पुराने मामले में सामान्य नोटिस नहीं भेजा जा सकता है।

सरकार ने संसद में बजट 2021-22 के दौरान रिएसेसमेंट को लेकर नया इनकम टैक्स कानून बनाया था। इसमें 6 साल से रिएसेसमेंट पीरियड को घटा दिया गया था। अब यह 3 साल है। इसी दौरान 50 लाख से ज्यादा और सीरीयस फ्रॉड में 10 साल तक रिएसेसमेंट का प्रावधान किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा रिएसेसमेंट मामला
सुप्रीम कोर्ट ने भी अभिसार बिल्डवेल मामले में अप्रैल में फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आईटी कानून की धारा 153-ए के अनुसार आयकर अधिकारी रिएसेसमेंट प्रोसेसिंग के दौरान करदाताओं की आय में कोई एडीशन नहीं कर सकते हैं। ऐसा करने के लिए उनके पास ठोस सबूत होना चाहिए। हालांकि कोर्ट ने साथ ही स्पष्ट किया कि इनकम टैक्स कानून की धारा 147 और 148 अनुसार रिएसेसमेंट को रिस्टोर कर सकते हैं।

आयकर की धारा 148 (पुरानी व्यवस्था) के अनुसार आईटी अधिकारी 6 साल पुराने मामलों को खोल सकता है। वहीं, फाइनेंस एक्ट 2021 में जोड़ी धारा 148ए के अनुसार 10 साल पुराने मामलों को खोल सकते हैं। इसमें सालाना आय 50 लाख रुपये से अधिक होनी चाहिए। इससे कम आय में यह नहीं खोले जा सकते हैं, जब तक कोई सीरियस फ्रॉड न हो।