
India vs England Test Series: वाह टेस्ट क्रिकेट…राजा तो तुम ही हो
डॉ. सुशीम पगारे
महान नाटककार जॉर्ज बर्नार्ड शॉ ने अंग्रेजों और क्रिकेट के बारे में एक बार कहा था “अंग्रेज लोग बहुत आध्यात्मिक नहीं हैं इसीलिए उन्होंने क्रिकेट का खेल ईजाद किया। उन्हें ताकि पता चल सके कि कुछ पारलौकिक भी होता है।”
केंसिंग्टन ओवल,लंदन पर जैसे ही आज भारतीय तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज ने गस एटकिंसन के डंडे बिखेरे इसने अंग्रजों को फिर से दर्शाया होगा कि क्रिकेट में कुछ तो पारलौकिक है। अन्यथा जब 4 विकेट हाथ मे हों और मात्र 35 रन बनाने हों तो मुश्किल ही क्या था। वे हार गए और मानों परालौकिक घट गया। इस परिणाम ने यह फिर से सुनिश्चित कर दिया कि क्रिकेट के सभी प्रारूपों में राजा तो टेस्ट क्रिकेट ही है।
भारत और इंग्लैंड के बीच जब इस टेस्ट श्रंखला का पहला टेस्ट लीड्स में 20 जून को प्रारम्भ हुआ था तो क्रिकेट विशेषज्ञ पलड़ा इंग्लैंड का ही भारी बता रहे थे।कुछ ने सीरीज का फैसला 3-1 से इंग्लैंड के पक्ष में तो कुछ ने 4-1 अंतर से गोरों के नाम सीरीज कर दी थी।रोहित शर्मा, विराट कोहली और रविचंद्रन अश्विन के श्रंखला के पूर्व टेस्ट क्रिकेट से सन्यास ने टीम पर दबाव बढ़ाया ही था। नए कप्तान शुभमन गिल को भी लोगों ने आगाज़ के पहले ही खारिज कर दिया था।
आज ठीक 45 दिन बाद टीम इंडिया ने हर बात का जवाब दे दिया है। विशेषज्ञों की भविष्यवाणियों की गिल की अगुवाई में न केवल घड़ी कर दी गई यह भी बता दिया कि हमारा क्रिकेटिंग सिस्टम अब इतना तगड़ा है कि कोई भी आए या जाए भारतीय क्रिकेट को फर्क नहीं पड़ता।आज भी जो ओवल टेस्ट भारत जीता है, वह बुमराह के बगैर जीता।
इस श्रंखला में भारत और इंग्लैंड ने जिस तरह की संघर्षपूर्ण क्रिकेट खेली उसने विश्व क्रिकेट में कई दिनों से चली आ रही उस बहस का भी अंत कर दिया कि वन डे और टी 20 क्रिकेट के कारण टेस्ट मैचों का भविष्य अंधकारमय है। पांच टेस्ट मैचों के 25 दिन हर गेंद पर द्वंद हुआ, हर क्षण गेंद की बल्ले के ऊपर या बल्ले की गेंद के ऊपर श्रेष्ठता सिद्ध करने की होड़ हुई। पलड़ा कभी इस तरफ तो कभी उस तरफ झुका।आज भी जिस गेंद पर सिराज ने विकेट लिया,उससे पहले कोई नहीं कह सकता था कि भारत जीत रहा है या इंग्लैंड। शानदार अनिश्चितता ही टेस्ट क्रिकेट की पहचान है और वह बखूबी इस श्रंखला में देखने को मिली।
श्रंखला में भले ही भारत के लिए कप्तान गिल,के एल राहुल,यशस्वी जायसवाल,रविन्द्र जडेजा,वाशिंगटन सुंदर और मोहम्मद सिराज हीरो बन कर उभरे हों,प्रतिष्ठा तो कोच गौतम गंभीर की दांव पर थी।परिणाम ने बताया दिया कि वे नई टीम को ऊंचाइयों पर लेकर जाने वाले हैं।उन्होंने ड्रेसिंग रूम में डिसिप्लिन भी कायम किया है और स्टार सिस्टम खत्म कर वर्क कल्चर लौटाया है। कोई अनहोनी नहीं हुई तो अब 2027 तक वे ही टीम इंडिया कोच रहेंगे।
(लेखक वरिष्ठ खेल समीक्षक और कमेंटेटर हैं )





