Indian snakes : राष्ट्रीय सम्पदा कदापि न मारें, एक इंच की दरवाजे की गैप से आपके आवास में प्रवेश कर सकते हैं,सावधानी बहुत जरुरी है .

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Indian snakes : राष्ट्रीय सम्पदा कदापि न मारें, एक इंच की दरवाजे की गैप से आपके आवास में प्रवेश कर सकते हैं,सावधानी बहुत जरुरी है .

मोबाइल एप्लिकेशन गूगल पर उपलब्ध है जो सांप की पहचान करने में मदद करता है, चिकित्सा में भी मदद करता है

डॉक्टर तेज प्रकाश व्यास
 सरीसृप वैज्ञानिक

नागेन्द्रहराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।।*नित्याय सुद्धाय दिगम्बराय तस्मै न कराय नमः शिवाय।।

हे महेश्वर!जिनके गले का हार नागराज हैं और जिनकी तीन आंखें हैं। जिनका शरीर पवित्र भस्म से अलंकृत है । वे जो शाश्वत हैं, जो पूर्ण पवित्र हैं और चारों दिशाओं को जो अपने वस्त्रों के रूप में धारण करते हैं। उस शिव को नमस्कार है, जिन्हें “न” अक्षर द्वारा दर्शाया गया है।

नाग देवता वसुन्धरा पर रक्षक जीव हैं । उनकी उत्पत्ति मानव से करोड़ों वर्ष पूर्व हुई है। यह सहज संयोग है कि छाया चित्र में दर्शाए गए कोबरा, करैत, वाइपर और फुर्सा या सा स्केल्ड वाइपर का विष मानव शरीर के विरुद्ध कार्य करते हैं । इनके दंशों की 100% चिकित्सा ए एस वी एस शासकीय चिकित्सालयों में उपलब्ध है। दंशित को तुरंत चिकित्सा के लिए जाना चाहिए। चूहे खेतों की खड़ी फसलों और गोदामों में अन्न न केवल खाते हैं, वरन अपने बिलों में ढेर सारा अन्न जमा करते हैं । सर्पों द्वारा इन घातक रेट्स और रोडेंट्स को भोजन के रूप में उपयोग कर इनकी संख्या को नियंत्रित कर भारत देश के लगभग 20 करोड़ मानवों का भोजन बचाते हैं। अपने शास्त्रों में सर्प को देवता समझा जाता है। वे आपको समस्त पापों से सुरक्षित रखेंगे और आपको जीवन में विजयी बनाएंगे।

अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शङ्ख पालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा॥
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायङ्काले पठेन्नित्यं प्रातःकाले विशेषतः।
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्॥

मंत्र का अर्थः नौ नाग देवताओं के नाम अनंत, वासुकी, शेष, पद्मनाभ, कम्बल, शंखपाल, धृतराष्ट्र, तक्षक और कालिया हैं। यदि प्रतिदिन प्रातःकाल नियमित रूप से इनका जप किया जाता है तो नाग देवता आपको समस्त पापों से सुरक्षित रखेंगे और आपको जीवन में विजयी बनाएंगे।

भारत में 270 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं , इनमें से चार प्रजातियों के विष मानव शरीर के विरुद्ध कार्य करते हैं। सरीसृपों का आविर्भाव हुआ मानव के धरती पर आने के करोड़ों वर्ष पूर्व हुआ है।

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सर्प राष्ट्रीय संपत्ति है।
चूहे प्लेग सहित अनेकों बीमारियों के वाहक हैं। चूहे खेत से ढेर सारा अनाज अपने बिलों में जमा करते हैं। मद्रास में इरुला जाति चूहे के बिलों से अनाज प्राप्त कर खाने में उपयोग करते हैं । चूहे अन्न के गोदामों में मूत्र मल त्याग कर भी बीमारियां फैलाने में मदद करते हैं। अजगर परिवार और चारों विषैले सर्प चूहों को भोजन बनाकर चूहों की संख्या का अद्वितीय नियंत्रण करते हैं । अनुमानतः सर्प चूहों को भक्षण कर राष्ट्र के 20 करोड़ मानवों का भोजन बचाते हैं। सर्प राष्ट्र की इकोनॉमी को परदे के पीछे रात्रि को चूहों को खाकर राष्ट्र के हितैषी ,सेवक और राष्ट्र हितकारी जीव हैं ।

सर्प की मानव से कोई भी दुश्मनी नहीं है।सर्पों की मानव से कोई भी दुश्मनी नहीं है। यह मात्र सहज संयोग है कि भारत में पाए जाने वाले 4 विषैले सर्पों का विष मानव शरीर के विरुद्ध कार्य करता है ।

प्रतिविष चिकित्सा

विषैले सर्प दंश होने पर तत्काल दंशित मानव को प्रतिविष चिकित्सा मिल जाती हैं, तो जीवन 100% सुरक्षित हो जाता है। प्रतिविष चिकित्सा विषैले सर्पों के दंश की रामबाण चिकित्सा है । हॉफकिन इंस्टीट्यूट परेल, मुंबई, सीरम रिसर्च लैब,पुणे और सेंट्रल रिसर्च लैब , कसौली , हिमाचल प्रदेश में इन्हीं चारों विषैले सर्पों के विष से प्रति विष चिकित्सा तैयार की जाती है। चारों विषैले सर्पों का विष क्रमशः डोज बढ़ाकर स्वस्थ घोड़ों में इंजेक्ट कर प्रतिरोधात्मक शक्ति पैदा की जाती है । घोड़ों के रक्त से सीरम अलग कर प्रतिविष तैयार कर किया जाता है। यही चिकित्सा विषैले सर्पों के विष से मानव के जीवन की रक्षा करता है। सर्प दंश पर वैकल्पिक चिकित्सा में समय गंवाना जीवन गंवाना है। विषैले कुख्यात ‘बिग फोर’ में शामिल हैं – इंडियन ब्लैक या स्पेक्टेल्ड कोबरा, इंडियन कॉमन क्रेट, इंडियन रसेल वाइपर और इंडियन सॉ-स्केल्ड वाइपर।

सर्प दंश से नुकसान
रिपोर्टों का अनुमान है कि भारत में हर साल साँपों के काटने से औसतन 50,000 हजार मौतें प्रतिवर्ष भारत में होती हैं, जिनमें से सबसे ज़्यादा मृत्यु ‘बिग फोर’ के कारण होती हैं। इन प्रजातियों के काटने पर तत्काल प्रतिविष चिकित्सा शासकीय चिकित्सालय से प्राप्त की जा सकती है।

सावधानियां:

भवन के दरवाजे के नीचे गैप नहीं होना चाहिए। इनकी सिर की हड्डियां और शरीर की पसलियां को फैलाकर एक इंच की गैप में अपना शरीर दरवाजे से आवास में प्रवेश कर सकते हैं। कोबरा न्यूरोटिक्सिक है, याने इसका दंश मानव के मस्तिष्क एवम तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है।

सभी सांपों में वृक्ष पर चढ़ने की अदम्य क्षमता होती है।आवास की कोई भी पेड़ की टहनी खिड़की या उजालदान को छुए नहीं। अन्यथा इस सरल मार्ग से भी सर्प घर आवास में प्रवेश कर सकता है। ऐसी टहनियां काट दीजिएगा।

गांव में घर की मोरियां में जो पाइप बाहर निकला होता है , उसे जाली लगाकर रखिए, वरना सर्प पाइप से भी आवास में प्रवेश कर सकता है।

गावों में घर में कंडे लकड़ी में चूहे बिल बना लेते हैं । चूहों का पीछा करते हुए सर्प भी घर में प्रवेश कर जाते हैं। सावधान रहियेगा।

सदैव चमड़े के जूते उपयोग करें । रबर के शूज में सर्प काटकर विष छोड़ सकता है।अतः सावधानी रखें।
जैसे हम फोटो खींचते है । बस इतने अल्प समय में ही स्नेक बाइट कर लेता है। सर्प सदैव स्वयं की रक्षा में दंश करता है। सर्प दंश से सर्प को तनिक भी पता नहीं कि सर्प दंश से मानव का हश्र क्या होगा।

रात्रि को सदैव नई सेल डली टॉर्च का उपयोग कीजियेगा।

सर्प जमीन से निकली ध्वनि तरंगों को आसानी से ग्राह्य करते हैं। ग्रामीणों ने लाठी का उपयोग करना ही चाहिए। लाठी की ठक ठक आवाज से पगडंडी या
मार्ग पर चलते हुए ग्रामीणों के लिए जीवन रक्षक सिद्ध होता है।

रात में आप चल रहे हैं। लाइट बंद है । टॉर्च या मोबाइल भी नहीं है, तो अपने शूज को जमीन पर ठक ठक की आवाज करते निकलें । धरती पर आवाज की स्पंदन से यदि सर्प समीप है , तो दूर चला जाएगा।सुरक्षात्मक कदम है। दंश नहीं करेगा।

ग्रामीण नंगे पैर बरसात में खेतों में कार्य करते हैं और सर्प दंश का शिकार होते हैं । उनके लिए सावधानियां आवश्यक है।

सर्प से छेड़छाड़ न करें। अच्छे अच्छे सर्प जानकारों की सर्प से खिलवाड़ से मृत्यु हो चुकी है।

वाइपर के काटने और गैंग्रीन हो जाने से अनगिनत मानवों के हाथ पैर काटने पड़े हैं ।

खिलवाड़ का जीव नहीं है।

कोबरा को 12 बरस पालो , खिलाओ पिलाओ। सर्प अल्प बुद्धि प्राणी है। मालिक को पहचानता नहीं है। बुधवारिया उज्जैन में रहने वाला मुन्ना को जो सर्पों का जानकर भी था। मिट्टी के मटकों में सांप रखता था। सर्प दंश से मृत्यु हो गई।

सर्प पर सामान्य नियंत्रण

घर में सर्प आगया। ऊंचे टेबल कुर्सी पर चढ़कर , चुन्नी तोलिया ,कपड़ा हौले से सर्प  के ऊपर छोड़ दीजिए। सर्प भीरू प्राणी है। कपड़े में तुरंत दुबकेगा। बड़ा तपेला तगारी से ढक दीजिएगा । सर्प बाहर नहीं निकलेगा।सर्प के जानकार को काल कर सर्प से मुक्ति पा सकते हैं।

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