रंगपंचमी पर इंदौर की गेर को मिले यूनेस्को की विश्व धरोहर का दर्जा

इंदौर में रंगपंचमी भव्य और ऐतिहासिक त्योहार के रूप में मनाई जाती है। रंगपंचमी पर लाखों हुरियारों के जमावड़े वाला जो जुलूस, यानी गेर निकलती हैं, वे अपने आप में अनूठी होती हैं।

लाखों मस्ताने लोगों का जमावड़ा इंदौर शहर के मध्य में होना और उसे रंगारंग जुलूस की शक्ल में निकालना अद्भुत होता है।

रंगपंचमी पर निकलने वाली ये गेर 1955-56 से शुरू हुई थीं जो धर्मनिरपेक्षता की मिसाल के रूप में भी देखी जा सकती है।

सार्वजनिक रूप से मनाए जाने वाले इस भव्यतम आयोजन को जान सहयोग से मनाया जाता है जिसमें हाथी, घोड़े, ऊंट, बैंड-बाजे भी होते हैं।

गेर निकलने वाले मार्ग पर स्थित तीन-चार मंजिला मकान तक रंगों की बौछार की जाती है और रंग-बिरंगे गुलाल के बादल घुमड़ते रहते हैं।

इंदौर की यह ऐसी सांस्कृतिक परंपरा है जो न केवल लोकप्रिय है, बल्कि अपने आप में विलक्षण भी है। इंदौर की रंगपंचमी को कोई भी केवल शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता।

यह बात सही है कि इंदौर में होली और धुलेंडी से ज्यादा उत्साह रंगपंचमी के मौके पर देखने को मिलता है, लेकिन ऐसा लगता है कि रंगपंचमी के इस मशहूर आयोजन को लेकर जितना कुछ किया जाना चाहिए, वह अभी तक नहीं हो पा रहा है।

यह दुनिया का एक ऐसा अनूठा लोक पर्व है, जिसमें लोगों की सक्रिय भागीदारी होतीहै। इन गेर के जुलूस में तीन से पांच लाख पुरुष और महिलाएं शामिल होती हैं।

पूरा समारोह रंगारंग और मस्ती भरा होता है। हालांकि यहां आयोजन एक ही दिन का होता है।

स्पेन का ‘ला टोमाटीना फेस्ट’ भी एक ही दिन का होता है, उसकी जितनी ज्यादा ब्रांडिंग और मार्केटिंग की गई है कि पूरी दुनिया में उसकी चर्चा होती है।

यहां तक कि भारतीय फिल्म उद्योग भी उसे अपनी फिल्मों का विषय बनाता रहा है। भारतीय फिल्मों की शूटिंग भी वहां हो चुकी है। उसी दौरान वहां हफ्ते भर का फ़ूड फेस्टिवल भी होता है। शानदार आतिशबाजी की जाती है।

जुलूस में झांकियां निकलती हैं, जिनमें से सर्वश्रेष्ठ झांकियों को वहां के राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित किया जाता है।

स्पेन इस त्यौहार का उपयोग पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए करता है। स्पेन की कुल आबादी मध्यप्रदेश की आबादी से दो तिहाई भी नहीं है और स्पेन लाखों पर्यटकों को बुला लेता है।

दो साल पहले इस तरह के प्रयास शुरू किए गए थे कि इंदौर में रंगपंचमी पर निकलने वाली गेर को यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल किया जाए।

आगरा का किला, अजंता और एलोरा की गुफाएं, ताजमहल, सूर्य मंदिर, महाबलीपुरम के स्मारक, कांचीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, खजुराहो, फतेहपुर सीकरी, गोवा के चर्च, एलीफेंटा की गुफाएं, चोल मंदिर, सांची के बौद्ध स्मारक, हुमायूं का मकबरा, कुतुब मीनार, पर्वतीय रेलवे, भीमबेटका गुफा, मुंबई का छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, लाल किला, जयपुर का जंतर मंतर, पश्चिमी घाट, राजस्थान के पाली जिले का पाटन, गुजरात में रानी की वाव, नालंदा, मुंबई का विक्टोरियन गोथिक आदि वे स्थान हैं जिन्हें विश्व धरोहर का दर्ज़ा प्राप्त है।

अब कोरोना का डर काफी हद तक कम हो गया है।

माना जा रहा है कि भारतीयों में एंटीबॉडी तैयार हो गई है, इसलिए कोरोना की अगली लहर शायद इतनी खतरनाक नहीं होगी। जनजीवन सामान्य होने की दिशा में भी लौट आया है।

ऐसे में अगर इंदौर की गेर को यूनेस्को की विश्व विरासत में शामिल करने की कोशिश की जाए तो उससे इंदौर में पर्यटन को काफी बढ़ावा मिलेगा।

जिसका अर्थ यह होगा कि इंदौर में हॉस्पिटैलिटी उद्योग का और विस्तार, अधिक से अधिक लोगों को रोजगार और शहर तथा प्रदेश की आर्थिक गतिविधियांको बढ़ावा।

रंगपंचमी की अवसर को एक पर्यटन के अवसर के रूप में विकसित करने में एक बाधा यह भी है कि यह पर्व केवल एक ही दिन के लिए होता है, तो ऐसे में पर्यटक शायद कम संख्या में आकर्षित हों।

मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थलों पर रुकने की व्यवस्था, देश के अन्य राज्यों की तुलना में काफी महंगी है, इस कारण भी यहां पर्यटकों की आवाजाही कम होती है।

अगर मध्य प्रदेश की सरकार और पर्यटन को बढ़ावा देने वाली संस्थाएं इंदौर की गेर तथा आदिवासी अंचलों में होने वाले भगोरिया उत्सव में तालमेल करें और बीच के होली से रंग पंचमी के बीच के दिनों के भीतर मालवा क्षेत्र में मांडू, महेश्वर, मंडलेश्वर, ओंकारेश्वर, उज्जैन आदि स्थानों पर होने वाले उत्सवों में तालमेल करे तो धीरे-धीरे यह पूरा इलाका इस अवधि में इंटरनेशनल टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में आकार ले सकता है। ज़रूरी है कि इस दिशा में ठोस कदम उठाये जाएँ।

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डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी जाने-माने पत्रकार और ब्लॉगर हैं। वे हिन्दी में सोशल मीडिया के पहले और महत्वपूर्ण विश्लेषक हैं। जब लोग सोशल मीडिया से परिचित भी नहीं थे, तब से वे इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। पत्रकार के रूप में वे 30 से अधिक वर्ष तक नईदुनिया, धर्मयुग, नवभारत टाइम्स, दैनिक भास्कर आदि पत्र-पत्रिकाओं में कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा वे हिन्दी के पहले वेब पोर्टल के संस्थापक संपादक भी हैं। टीवी चैनल पर भी उन्हें कार्य का अनुभव हैं। कह सकते है कि वे एक ऐसे पत्रकार है, जिन्हें प्रिंट, टेलीविजन और वेब मीडिया में कार्य करने का अनुभव हैं। हिन्दी को इंटरनेट पर स्थापित करने में उनकी प्रमुख भूमिका रही हैं। वे जाने-माने ब्लॉगर भी हैं और एबीपी न्यूज चैनल द्वारा उन्हें देश के टॉप-10 ब्लॉगर्स में शामिल कर सम्मानित किया जा चुका हैं। इसके अलावा वे एक ब्लॉगर के रूप में देश के अलावा भूटान और श्रीलंका में भी सम्मानित हो चुके हैं। अमेरिका के रटगर्स विश्वविद्यालय में उन्होंने हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर अपना शोध पत्र भी पढ़ा था। हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर पीएच-डी करने वाले वे पहले शोधार्थी हैं। अपनी निजी वेबसाइट्स शुरू करने वाले भी वे भारत के पहले पत्रकार हैं, जिनकी वेबसाइट 1999 में शुरू हो चुकी थी। पहले यह वेबसाइट अंग्रेजी में थी और अब हिन्दी में है।

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी ने नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर एक किताब भी लिखी, जो केवल चार दिन में लिखी गई और दो दिन में मुद्रित हुई। इस किताब का विमोचन श्री नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के एक दिन पहले 25 मई 2014 को इंदौर प्रेस क्लब में हुआ था। इसके अलावा उन्होंने सोशल मीडिया पर ही डॉ. अमित नागपाल के साथ मिलकर अंग्रेजी में एक किताब पर्सनल ब्रांडिंग, स्टोरी टेलिंग एंड बियांड भी लिखी है, जो केवल छह माह में ही अमेजॉन द्वारा बेस्ट सेलर घोषित की जा चुकी है। अब इस किताब का दूसरा संस्करण भी आ चुका है।