Instructions for FIR Against Mines Officials : अवैध खनन और लीज आवंटन मामले में हाई कोर्ट के खनिज अधिकारियों पर FIR के निर्देश!

हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं पर भी अदालत का समय बर्बाद करने के लिए 50-50 हजार की कास्ट लगाई!

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Instructions for FIR Against Mines Officials : अवैध खनन और लीज आवंटन मामले में हाई कोर्ट के खनिज अधिकारियों पर FIR के निर्देश!

Indore : हाईकोर्ट की डबल बेंच ने खनिज विभाग के अधिकारियों पर लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज करने के आदेश दिए है। हाईकोर्ट ने साथ ही टिप्पणी की है कि बिना खनिज अधिकारियों की मिलीभगत के इस तरह के कृत्य नहीं हो सकते।
इंदौर हाईकोर्ट के जस्टिस विनय रूसिया और विनोद कुमार द्विवेदी ने खदान आवंटन में फैसला सुनाते हुए कहा कि गैर कानूनी तरीके से खदान का लीज आवंटन, नवीनीकरण और विक्रय पूर्णतः अधिकारियों के सांठगांठ के बिना संभव नहीं है। ऐसे कृत्य के लिए भ्रष्टाचार नियम के तहत अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज की जाए। यह मामला देपालपुर तहसील के रावद गांव के खसरे नंबर 33/1/4/3 और 33/1/4/4 पर स्थित खदान का लीज आवंटन किया गया था।

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उक्त खदान 1997 में दीपक वर्मा को आवंटित की गई थी। इसके बाद 1998 में लीज का नवीनीकरण किया। इसके बाद दीपक वर्मा ने यह खदान 2008 में सना खान को बेच दी। उक्त मामले में 33/1/4/3 खसरे की खदान 3.6 हैक्टेयर में आवंटित की थी। सना खान ने दीपक वर्मा के दूसरे खसरे 33/1/4/4 में भी अवैध खनन कर लिया।
इस मामले की अपर कलेक्टर गौरव बैनल को शिकायत की गई। बैनल ने जांच के आदेश दिए। जांच में सना खान ने 3.6 के जगह 5 हैक्टेयर से भी ज्यादा जमीन पर खनन कर शासन को राजस्व का नुकसान पहुंचाया। खनिज प्रभारी अपर कलेक्टर ने सना खान पर अवैध खनन और विक्रय को लेकर 29 करोड़ रुपए की वसूली का प्रकरण बनाया।
उक्त मामले में दोनों एक दूसरे की हाईकोर्ट में शिकायत कर याचिका लगाते रहे है। हाईकोर्ट डबल बेंच के जस्टिस विवेक रुसिया और विनय कुमार द्विवेदी ने फैसला सुनाते हुए खनिज अधिकारी पर लोकायुक्त में एफआईआर दर्ज करने और दोनों याचिकर्ताओं पर न्यायालय का समय बर्बाद करने को लेकर 50-50 हजार की कास्ट भी लगाई।

सात साल के बच्चे को खदान आवंटित
तत्कालीन अधिकारियों ने 1997 में जब खदान आवंटन की थी। उस समय आवेदन में दीपक वर्मा की उम्र 18 वर्ष बताई गई। जबकि, लगाए गए दस्तावेजों में उसकी वास्तविक उम्र 7 वर्ष ही थी। 1998 में नवीनीकरण के समय भी आवेदन में उम्र 19 वर्ष अंकित की गई। इस तरह एक बच्चे को खदान का आवंटन हो गया और खनिज विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने उस पर ध्यान नहीं दिया। हाई कोर्ट ने माना कि यह अधिकारियों की मिलीभगत के बिना असंभव है, इसलिए कोर्ट में लोकायुक्त को खनिज अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर करने के निर्देश दिए है।