बसंत पाल की खास रिपोर्ट
Indore MP: सोया उद्योग की बेहतरी के लिए सरकार को निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार को टैक्स में छूट, निर्यात क्रेडिट पर ब्याज सबवेंशन देना चाहिए। आयातित खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में बार-बार कटौती पर सवाल उठाते हुए, सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA )ने भारत सरकार से खाद्य तेलों पर उचित शुल्क संरचना बनाए रखने की मांग की है। क्योंकि, आयातित खाद्य तेलों पर शुल्क में कोई भी कटौती घरेलू तेल-तिलहन उद्योग के हितों के लिए घातक है। यह किसानों और राष्ट्रीय तिलहन मिशन के उद्देश्य को विफल कर देगा जिसका उद्देश्य देश में खाद्य तेल-तिलहनों की उत्पादकता बढ़ाना है।
यहां शुरू हुए अंतरराष्ट्रीय सोया कॉन्क्लेव (International SOYA Conclave) से पहले चर्चा करते हुए, सोपा के अध्यक्ष डॉ डेविश जैन ने कहा कि सरकार ने पिछले तीन महीनों में खाद्य तेलों पर आयात शुल्क को 14% तक कम कर दिया है। हालांकि, निर्यातक देशों द्वारा खाद्य तेलों पर निर्यात शुल्क में वृद्धि के बाद आयात शुल्क में कमी से घरेलू उपभोक्ताओं को शायद ही कोई लाभ हुआ है, जिससे सरकार को 8,000 करोड़ से 10,000 करोड़ के राजस्व की हानि हुई है।
डॉ जैन ने कहा कि खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में कमी के कारण, सितंबर 2021 में देश में खाद्य तेलों का आयात अगस्त की तुलना में 50% बढ़ गया, जब देश ने 13 लाख टन खाद्य तेलों का आयात किया था। उन्होने कहा कि बढ़ते आयात के कारण, देश में खाद्य तेल आयात बिल 75,000 करोड़ रुपये से बढ़कर सालाना एक लाख करोड़ हो गया है।
घरेलू पोल्ट्री उद्योगों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए 12 लाख टन सोया डीओसी आयात (Soya DOC Import) करने के सरकार के फैसले के बारे में बात करते हुए, डॉ जैन ने कहा कि ऐसे समय में जब देश में सोयाबीन की नई फसल पहले ही मंडियों में आ चुकी है और इसकी कीमतें गिरकर 5,000 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गई है।
उन्होंने कहा कि उस समय देश में सोयाबीन के बीजों की आसमान छूती कीमतों को देखते हुए पोल्ट्री उद्योग ने सरकार से सोया डीओसी आयात करने का आग्रह किया था। अब जब देश में सोयाबीन के बीज सस्ते दामों पर उपलब्ध हैं, तो कोई कारण नहीं है कि सरकार देश में सोया मील के आयात की अनुमति क्यों दे, उन्होंने कहा कि इस तरह की पहल भारतीय सोया मील के लिए प्रति-उत्पादक साबित होगी। सोपा अध्यक्ष ने कहा कि इस साल गैर आनुवंशिक रूप से संशोधित सोया डीओसी (Soya DOC) में लगभग 20 लाख टन निर्यात वृद्धि देखी गई, लेकिन जब तक खाद्य निर्यातकों को टेक्स में छूट और निर्यात पर ब्याज सबवेंशन में छूट नहीं दी जाती, तब तक इस निर्यात के आंकड़े से मेल खाना मुश्किल होगा।
उच्च निर्यात लागत से सोया डीओसी निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। चूंकि, सोयाबीन डीओसी प्रसंस्करण द्वारा बनाया जाता है। इसलिए सोया उत्पाद निर्यातकों को निर्यात पैकिंग क्रेडिट पर ब्याज छूट दी जानी चाहिए। यह भारतीय सोया मील निर्यातकों को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाएगा।
डॉ जैन ने कहा ने कहा कि प्रतिकूल मौसम के बावजूद इस साल देश में सोयाबीन का उत्पादन बढऩे की संभावना है। उन्होंने कहा, सोपा ने अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से 26 सितंबर से 4 अक्टूबर तक देश में सोयाबीन उत्पादक क्षेत्रों का व्यापक क्षेत्र सर्वेक्षण किया है और फसल की घोषणा एक या दो दिन में की जाएगी। पाम ऑयल मिशन के बाद केंद्र सरकार देश में सोयाबीन, सरसों और मूंगफली की उत्पादकता बढ़ाने के लिए इसी तरह के मिशन की घोषणा कर सकती है ताकि भारत को खाद्य तेलों और तिलहन में आत्मनिर्भर बनाया जा सके।