IPS’s Resignation Accepted to Contest Elections :भाजपा उम्मीदवार बनी IPS अधिकारी का इस्तीफा मंजूर!

लोकसभा चुनाव लड़ने का रास्ता साफ, लेकिन सेवानिवृत्ति के लाभ नहीं मिलेंगे! 

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IPS’s Resignation Accepted to Contest Elections :भाजपा उम्मीदवार बनी IPS अधिकारी का इस्तीफा मंजूर!

Chandigarh : बठिंडा से भाजपा की उम्मीदवार और आईएएस अधिकारी परमपाल कौर सिद्धू के इस्तीफे को मंजूरी मिल गई। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति अनुरोध को पंजाब सरकार द्वारा मंजूरी देने से इनकार के बाद, उन्होंने अपना इस्तीफा केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को भेजा था। जानकारी के अनुसार, केंद्र ने उनके इस्तीफे को मंजूरी दे दी है और शुक्रवार देर रात राज्य सरकार को भेजे एक पत्र के माध्यम से टिप्पणियां और अनापत्ति प्रमाण पत्र मांगा था। सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों ने पुष्टि की है कि राज्य सरकार ने एनओसी दे दी।

इसके साथ ही 2011 बैच की आईएएस अधिकारी और अकाली दल नेता सिकंदर सिंह मलूका की बहू के लिए एक जून को होने वाला लोकसभा चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि, उन्हें सेवानिवृत्ति लाभ नहीं मिलेंगे। परमपाल कौर सिद्धू ने राज्य की आम आदमी पार्टी के रवैये पर दुख जताया। उन्होंने कहा कि मुझे बताया गया कि मैं अपने सेवानिवृत्ति लाभ खो दूंगी।

उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों से चुनाव लड़ने का विकल्प चुनने वाले अधिकारियों के प्रति पहले की सरकारों ने ऐसी प्रतिशोध की भावना नहीं दिखाई थी। कांग्रेस सरकार ने कुंवर विजय प्रताप को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दे दी थी, हालांकि उन्होंने आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। इससे पहले अकाली भाजपा सरकार ने कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ने वाले कुलदीप सिंह वैद को वीआरएस की इजाजत दे दी थी।

उल्लेखनीय है कि परमपाल कौर सिद्धू ने 1 अप्रैल को राज्य सरकार से वीआरएस मांगा था। जब उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने 7 अप्रैल को डीओपीटी में वीआरएस के लिए आवेदन किया, जिसने 10 अप्रैल को इसे मंजूरी दे दी। वह 11 अप्रैल को भाजपा में शामिल हुईं, वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने उन्हें चेतावनी दी कि उनका वीआरएस आवेदन राज्य सरकार ने स्वीकार नहीं किया है और वह अपने सेवानिवृत्ति लाभ खो देंगी।

केंद्र ने इसका खंडन किया, जिसने दावा किया कि उसने वीआरएस को मंजूरी देने के लिए अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया है। राज्य सरकार ने 7 मई को यह कहते हुए उन्हें काम पर लौटने को कहा कि उनका वीआरएस स्वीकार नहीं किया गया। उन्होंने 9 मई को इस्तीफा डीओपीटी को भेजा था।