जन्माष्टमी वैष्णव मत से 19 को तो स्मार्त मत से 18 अगस्त को मनेगी- आचार्य पण्डित रामचंद्र शर्मा वैदिक

19 अगस्त को पर्वकाल में न अष्टमी तिथि न रोहिणी नक्षत्र, फिर भी मनेगी जन्माष्टमी

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इंदौर: धर्मशास्त्रीय विषयों के प्रामाणिक आचार्य पण्डित रामचंद्र शर्मा “वैदिक”, प्रदेश अध्यक्ष मध्यप्रदेश ज्योतिष एवं विद्वत परिषद ने बताया कि योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण का प्राकट्य भाद्र पद मास, कृष्णपक्ष, अष्टमी तिथि,रोहिणी नक्षत्र व वृषभ राशि के चन्द्रमा में अर्धरात्रि को हुआ था। इस वर्ष उपर्युक्त योग अर्द्ध रात्रि में प्राप्त नहीं हो रहे है।

सामान्यतः जन्माष्टमी पर्व मनाने में दो मत प्रमुख है, स्मार्त व वैष्णव, स्मार्त मतावलम्बी पर्व काल में अष्टमी तिथि को प्रमुख मानते है वही वैष्णव मत सूर्योदय कालीन अष्टमी तिथि को। इस वर्ष 18 अगस्त गुरुवार को सूर्योदय कालीन सप्तमी तिथि है जो रात्रि को 9 बजकर 20 मिनिट तक रहेगी बाद में अष्टमी प्रारम्भ होगी जो दूसरे दिन 19 अगस्त शुक्रवार को रात्रि 10.58 बजे तक रहेगी. वहीं 19 को रोहिणी नक्षत्र रात्रि 1 बजकर 52 मिनिट के बाद प्रारम्भ होगा। इस प्रकार 19 को पर्वकाल में न तो अष्टमी तिथि न रोहिणी नक्षत्र फिर भी वैष्णव मतानुसार सूर्योदय कालीन अष्टमी तिथि होने से जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा।

शहर में यशोदा माता मंदिर व इस्कॉन मंदिर में वैष्णव मत के अनुसार 19 अगस्त शुक्रवार को परम्परागत विधान से अर्धरात्रि में पर्व मनाया जायेगा। मध्यप्रदेश शासन ने भी जन्माष्टमी पर्व का अवकाश 19 अगस्त शुक्रवार को ही घोषित किया है। मथुरा वृंदावन में भी पर्व शुक्रवार को ही मनाया जावेगा। शहर के गोपाल मंदिर में पर्व स्मार्त मत के अनुसार 18 को मनेगा।