जयस, कांग्रेस और भाजपा …
मध्यप्रदेश जैसे-जैसे 2023 की तरफ बढ़ रहा है, वैसे-वैसे राजनैतिक दल सत्ता को साधने की दिशा में कदम बढ़ाने में जुट गए हैं। आदिवासी क्षेत्र मांडव में भाजपा का तीन दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग इसकी एक बानगी है। 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने करीब 60 फीसदी आदिवासी सीटों पर कब्जा कर 114 का आंकड़ा छू लिया था और फिर भाजपा को 15 माह के लिए सत्ता से वंचित कर दिया था। और अब यही वजह है कि ‘जयस’ आदिवासी संगठन और डॉ. हीरालाल अलावा, 2023 से पहले सबकी नजर में हैं। कांग्रेस ने तो जयस से गठबंधन ही मान लिया है तो भाजपा जयस को समाजद्रोही बताकर आदिवासी सीटों पर नजर गढ़ाए है। और फिर जयस के साथ कांग्रेस को भी द्रोह की परिधि में समेटकर लक्ष्य को साधने में जुटी है।
भारतीय जनता पार्टी के तीन दिवसीय प्रदेश प्रशिक्षण वर्ग का शुभारंभ शुक्रवार को धार जिले के माण्डव में हुआ। इसमें प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने निशाना साधा कि समाज को तोड़ने वाली ताकतों से मध्य प्रदेश भी अछूता नहीं है। आदिवासियों में कुछ लोगों ने सामाजिक संगठन का रूप लेकर जनजाति समाज को भ्रमित करने का काम जारी रखा है। उन्होंने तथ्य पेश किया कि कमलनाथ ने कहा है कि जयस का डीएनए कांग्रेस का है। उनके इस कथन से हम समझ सकते हैं कि समाज को तोड़ने के पीछे किन लोगों का हाथ है। आज भाजपा को पिछड़ा और जनजाति विरोधी बनाने का एक विमर्श खड़ा किया गया है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी सच्चे अर्थों में पिछड़ा वर्ग और जनजाति वर्ग की हितैषी है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने ही पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देकर उनके अधिकार संपन्न बनाया, तो वहीं राष्ट्रीय जनजाति गौरव दिवस मनाकर जनजाति समाज के उत्थान और उन्हें गौरव प्रदान करने का काम किया है। देश विरोधी ताकतें लगातार समाज को तोड़ने का प्रयास कर रही है और हम विकास और नीतियों से समाज को जोड़ने का काम कर रहे है।
तो कांग्रेस आदिवासी मुद्दों पर आक्रामक होने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देती। हाल ही में कांग्रेस विधायक पाचीलाल मेड़ा के नेतृत्व में कारम डैम से भोपाल तक निकाली गई आदिवासी न्याय यात्रा इसकी बानगी है। कमलनाथ ने इस यात्रा के अंतिम पड़ाव में भोपाल में शामिल होकर मेड़ा को भरोसा दिलाया था कि कांग्रेस का पूरा समर्थन उनके यानि आदिवासी वर्ग के साथ है। न्याय पाने की आदिवासी वर्ग की लड़ाई को कांग्रेस हर मोर्चे पर लड़ेगी। 12 माह बाद हमारी सरकार आएगी, तब भाजपा से हिसाब-किताब बराबर करेंगे। कमलनाथ ने दावा किया था कि मध्यप्रदेश ही नहीं अपितु पूरे देश में आदिवासी भाइयों के साथ दमन व अत्याचार हो रहा है। तो यह है कांग्रेस की आदिवासी वर्ग की बात जोर-शोर से रखकर उन्हें साधने की पुरजोर कोशिश। जिसका लक्ष्य है 2018 की तरह 2023 में आदिवासी वर्ग के समर्थन से सत्ता में वापसी करना।
आदिवासी वर्ग भी अब समझदार हो गया है। 2018 में डॉ. हीरालाल अलावा ने विधायक बनकर जयस संगठन पर 2023 में दाव लगाने की तैयारी कर ली है। जिस तरह अलग-अलग वर्गों के नेताओं ने समाज का साथ पाकर सत्ता के शिखर तक का फासला तय किया है। वही कोशिश जयस के कंधे पर सवार हो डॉ. अलावा भी कर रहे हैं। तो कांग्रेस अलावा के संग रहकर 2023 में सत्ता में वापसी का सपना देख रही है। वहीं भाजपा आदिवासी सम्मान जगाकर और जयस-कांग्रेस की मानसिकता को उजागर कर इस वर्ग का पूरा समर्थन पाकर सत्ता में बने रहने का जतन कर रही है। हो सकता है कि आदिवासी अंचलों में ऐसे परिदृश्य अब लगातार देखने को मिलते रहेंगे। कभी जयस, कभी कांग्रेस, कभी भाजपा के नेता आदिवासी गली-कूचों में विचरण करते नजर आते रहेंगे।