Silver Screen:एक सिलसिला जो इतने बरसों बाद भी थमा नहीं!

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Silver Screen:एक सिलसिला जो इतने बरसों बाद भी थमा नहीं!

इसे संयोग ही कहा जाएगा कि अक्टूबर की लगातार दो तारीखों को फिल्म इंडस्ट्री की सदाबहार जोड़ी अमिताभ बच्चन और रेखा के जन्मदिन होते हैं। जिस तरह दोनों के जन्मदिन 11 और 12 को होते हैं, उसी तरह कभी दोनों एक-दूसरे के आगे-पीछे घूमते थे। राजकपूर-नर्गिस और धर्मेन्द्र-हेमा मालिनी की तरह अमिताभ और रेखा की जोड़ी भी सर्वकालिक हिट रही। दोनों का प्रेम सिर्फ फिल्म के कथानक तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि परदे से बाहर आकर भी ये काफी चर्चित रहा! इस जोड़ी ने सिनेमा के इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया। वैसे भी सिनेमा को जोड़ियों की एक पुरानी आदत है। यही कारण है कि परदे पर दिखाई देने वाली प्रेम कहानियां निजी जिंदगी की भी प्रेम के बंधन में बंध जाती है! रील लाइफ का हर रियल लाइफ में तो नहीं बदला, पर इनके चर्चे खूब रहे। राज कपूर-नर्गिस, देव आनंद-सुरैया, दिलीप कुमार-मधुबाला तो परदे और चर्चा तक सीमित रहे, पर ऋषि कपूर-नीतू सिंह, रणधीर कपूर-बबीता और धर्मेन्द्र हेमा मालिनी ने जरूर रियल लाइफ में भी जोड़ी बनाई। उसी परम्परा को अमिताभ-रेखा ने आगे बढाया, पर चंद जोड़ियों की तरह ये भी परदे की जोड़ी तक ही रही। इस जोड़ी के हिट होने के साथ ही निजी जिंदगी में भी इनका प्यार गहराता गया। लेकिन, सामाजिक बंधनों और परंपराओं ने इनके बीच दूरी को कम नहीं होने दिया। लेकिन, पांच दशक बाद भी इस प्रेम की सुगंध कम नहीं हुई। परदे पर ‘दो अनजाने’ से बनी सिनेमा की इस जोड़ी ने आखिरी बार यश चोपड़ा की रोमांटिक ड्रामा फिल्म ‘सिलसिला’ तक एक साथ काम किया।

Silver Screen:एक सिलसिला जो इतने बरसों बाद भी थमा नहीं!

इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि रेखा का करियर अमिताभ का साथ मिलने के बाद ही संवरा और उसने उड़ान भरी! बतौर अभिनेत्री पहली फिल्म ‘सावन भादो’ में सांवली और मोटी सी दिखने वाली रेखा, अमिताभ से जुड़ने के बाद अलग ही रूप निखर आई। ‘मुकद्दर का सिकंदर’ में रेखा और अमिताभ की जोड़ी ने पहली बार शोहरत के आसमान को छुआ था। इसके बाद देखते ही देखते इस जोड़ी ने हिन्दी सिनेमा के इतिहास में पसंदीदा जोड़ी के रूप में अपना नाम दर्ज कराया। रेखा के दोनों रूपों का फर्क वे दर्शक ज्यादा बेहतर जानते हैं, जिन्होंने ‘सावन भादो’ से मुकद्दर का सिकंदर, मि नटवरलाल, गंगा की सौगंध से ‘सिलसिला’ तक का उनका सफर देखा है। ‘सिलसिला’ को तो दर्शकों ने फ़िल्मी कथानक से ज्यादा सच्ची प्रेम कहानी की तरह देखा! क्योंकि, उसमें इनकी लव स्टोरी का तीसरा कोण यानी जया बच्चन भी मौजूद थी और उसी भूमिका में! उस फिल्म का अंत भी कुछ इनकी प्रेम कहानी की पूर्णाहुति की तरह ही था।

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‘सिलसिला’ के बाद अमिताभ और रेखा एक-दूसरे से दूर हो गए थे। लेकिन तीन साल बाद ‘कुली’ के सेट पर अमिताभ के साथ जो हादसा हुआ, उसने उन्हें फिर नजदीक ला दिया। अमिताभ को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। बताते हैं कि रेखा तब अमिताभ से मिलने के लिए तड़प उठी थी। वो अमिताभ को देखने अस्पताल भी पहुंच गईं, लेकिन उनको मिलने नहीं दिया गया! उसके बाद रेखा ने खुलकर अमिताभ की सेहत के लिए मन्नतें ली और नंगे पैर मंदिर-मंदिर गई थी। उन्होंने ये बाते किसी से छुपाई भी नहीं! ऐसी कई कहानियां हैं, जब रेखा ने अमिताभ से मिलना चाहा और उन्हें रोका गया। ऋषि कपूर और नीतू सिंह की शादी का किस्सा तो काफी चर्चित है, जब अमिताभ पूरी फैमिली के साथ उस शादी में गए थे और रेखा वहां दुल्हन की तरह मांग में सिंदूर सजाकर आई थी! तब शादी से ज्यादा चर्चा रेखा के सिंदूर की थी! सब ये जानना चाहते थे कि रेखा की मांग में सिंदूर का राज क्या है! बताते हैं कि रेखा ने तब तो खुद को सुर्ख़ियों में रखा, पर बाद में बताया कि वे एक फिल्म की शूटिंग से सीधे इस शादी में आई थी, इसलिए मेकअप नहीं हटाया था।

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इस फ़िल्मी जोड़ी में प्रेम का अंकुर कब पनपा, इसे लेकर अकसर ‘दो अनजाने’ की शूटिंग का उल्लेख किया जाता है। बताते हैं कि रेखा सेट पर कभी टाइम से नहीं आती और न शूटिंग में सीरियस रहती थीं। एक बार अमिताभ बच्चन ने रेखा को समय पर आने और अपना काम सीरियसली करने के लिए इस तरह समझाया कि वे न सिर्फ टाइम से आने लगी, बल्कि शूटिंग में भी सीरियस होने लगीं। इन पर नजर रखने वालों का कहना है कि इस घटना के बाद रेखा और अमिताभ में नजदीकियां बढ़ने लगीं थी। लेकिन, लंबे समय तक ये मोहब्बत दुनिया की नजरों से छुपी रही। इनका प्यार तब खुलकर सामने आया, जब फिल्म ‘गंगा की सौगंध’ की शूटिंग के दौरान किसी एक्टर ने रेखा को कुछ गलत बोल दिया। उसने रेखा के साथ बदतमीजी भी की। इस पर वहां मौजूद अमिताभ यह सब बर्दाश्त नहीं कर पाए और आपा खो बैठे। फिर वहां जो हुआ, उसके बाद दोनों की नजदीकियां जगजाहिर हो गई।

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जया को अकसर इस जोड़ी की अड़चन कहा जाता है, जो स्वाभाविक भी है। लेकिन, जया ने वही किया जो एक पत्नी को करना चाहिए। किंतु, ये भी सच है कि रेखा जब अपना करियर बनाने मुंबई आई, तब उनकी पहली दोस्त जया ही थीं। उस समय जया भादुड़ी थी बच्चन नहीं! दोनों एक ही बिल्डिंग में ऊपर-नीचे रहते थे और तब मोबाइल नहीं होते थे और रेखा के पास लैंडलाइन फोन भी नहीं था। इसलिए उसने सबको जया का नंबर दे रखा था, जब किसी का फोन आता तो जया उसे बुला लेती। उस समय जया को रेखा ‘दीदी भाई’ बोला करती थी और वही सम्बोधन आज भी है। लेकिन, जब अमिताभ-रेखा की फिल्मी जोड़ी के चर्चे सरेआम होने लगे, तो जया बच्चन ने कोशिश की कि अमिताभ और रेखा साथ काम करें। लेकिन, ये संभव नहीं हुआ। उस समय टीटो टोनी ने रेखा और अमिताभ को लेकर ‘राम बलराम’ की प्लानिंग की! जया और टीटो दोस्त थे, तो जया ने टीटो से कहकर फिल्म में रेखा की जगह जीनत अमान को रखवा दिया। लेकिन, यह बात छुप नहीं सकी और रेखा ने टीटो के सामने ‘राम बलराम’ में बिना पैसे लिए काम करने का ऑफर दिया। टीटो इस ऑफर को नकार नहीं सके और जया के न चाहने के बाद भी फिल्म फिर रेखा के हाथ में आ गई। लेकिन, बताते हैं कि इस फिल्म के सेट पर जया और रेखा के बीच कुछ असहज प्रसंग भी हुआ था, जिसके बाद अमिताभ सेट से चले गए थे।

Silver Screen:एक सिलसिला जो इतने बरसों बाद भी थमा नहीं!

इन दोनों के रिश्तों पर सबकी नजरें रहती है। खासकर तब, जबकि किसी फ़िल्मी आयोजन में रेखा के अलावा अमिताभ और जया पहुंचते हैं। कैमरे पर भी इन तीनों को बार-बार दिखाया जाता है। क्योंकि, लोग आज भी इस प्रेम कहानी के प्रति सहानुभूति रखते हैं। वहां मौजूद लोग भी अमिताभ और रेखा की नजरों को परखते हैं कि किसने, किसकी तरफ कितने बार देखा। कई बार ऐसे प्रसंग भी आए, जब दोनों स्टेज पर साथ दिखाई दिए! लेकिन, जब भी ऐसी स्थिति आई अमिताभ बच्चन को संजीदा देखा गया, पर रेखा की नजरों में हमेशा शरारत दिखाई दी! इसलिए कि वे आज भी दुनिया से अपनी मोहब्बत छुपाना नहीं चाहती। ऐसे में जया की मौजूदगी का अपना अलग अर्थ होता है। इतने सालों में भी अमिताभ ने कभी न तो खुलकर न इशारों में रेखा से अपने रिश्ते की बात स्वीकारी!

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पर, रेखा कई बार इस बात को कबूल कर चुकी हैं। सिमी ग्रेवाल के शो में जब सिमी ने रेखा से अमिताभ को लेकर सवाल किए तो उन्होंने हर सवाल का जवाब बेबाकी से दिया था। इस रिश्ते पर रेखा ने कहा था कि मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि लोग क्या सोचते हैं! मैं उन्हें अपने लिए प्यार करती हूं किसी को दिखाने के लिए नहीं! मैं उनसे प्यार करती हूं और वो मुझसे, लोग बोलते हैं कि बेचारी रेखा पागल है! लेकिन मुझे फर्क नहीं पड़ता कि कौन क्या सोचता है! रेखा ने तो यहां तक स्वीकार किया था कि वो किसी और के हैं और ये सच्चाई मैं बदल नहीं सकती! वे शादीशुदा आदमी हैं लेकिन ये बात उनको अलग नहीं करती! मैं उनको पसंद करती थी और करती हूं। दोनों के प्रेम की सबसे बड़ी बात यह है कि दोनों ने न तो कभी अपनी मर्यादा लांघी और न कभी सार्वजनिक जीवन में एक-दूसरे के बारे में अनुचित टिप्पणी की। इसका सीधा सा मतलब यह कि ये नदी के दो किनारों की तरह वो पाक मोहब्बत है, जो कभी मिलते नहीं, पर हमेशा सामने और साथ रहते हैं।

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Hemant pal
हेमंत पाल

चार दशक से हिंदी पत्रकारिता से जुड़े हेमंत पाल ने देश के सभी प्रतिष्ठित अख़बारों और पत्रिकाओं में कई विषयों पर अपनी लेखनी चलाई। लेकिन, राजनीति और फिल्म पर लेखन उनके प्रिय विषय हैं। दो दशक से ज्यादा समय तक 'नईदुनिया' में पत्रकारिता की, लम्बे समय तक 'चुनाव डेस्क' के प्रभारी रहे। वे 'जनसत्ता' (मुंबई) में भी रहे और सभी संस्करणों के लिए फिल्म/टीवी पेज के प्रभारी के रूप में काम किया। फ़िलहाल 'सुबह सवेरे' इंदौर संस्करण के स्थानीय संपादक हैं।

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