यह तो एक तरह से एसपी का प्रमोशन है!
पुलिस अधीक्षक आशुतोष गुप्ता का कल शाम हुआ तबादला जिले में चर्चा का विषय है। उनके विरोधी खुश हैं तो उनके समर्थक नाराज। कुछ लोग उनके तबादले का श्रेय लेने में भी लग गए हैं। एसपी गुप्ता पिछले 2 साल से झाबुआ में है और यह माना जा सकता है की उनकी बेहतर कार्य प्रणाली से ही उन्हें झाबुआ से हर दृष्टि से बड़े सतना जिले में एसपी का प्रभार सौंपा गया है। यह निश्चित तौर पर उनके लिए एक तरह से प्रमोशन जैसा है।
झाबुआ जिले से सतना लगभग तीन गुणा बडा है! माना जा रहा है कि गुप्ता की कार्यशैली सीएम को भा गई और सीएम ने विश्वास जताते हुए छोटे जिले से बडे जिले की कमान सौपी है! श्री गुप्ता के लिए यह पोस्टिंग किसी पुरस्कार से कम नहीं है! पिछले 2 सालों में ऐसे कई उदाहरण सामने हैं जिसमें यह स्पष्ट है कि
श्री गुप्ता की कार्यशैली कभी भी समझोतावादी नहीं थी!
ऐसे में बीजेपी का कोई बड़ा या छोटा नेता उनके तबादले का श्रेय लेना चाहे तो वह समझ से बाहर ही होगा। सब जानते हैं कि भाजपा सांसद गुमानसिंह डामोर और कांग्रेस नेता विक्रांत भूरिया विवाद मामले में सांसद के आवेदन पर पुलिस ने तीन दिन बाद कार्रवाही की थी वह भी तब जब स्वयं सांसद महोदय उनसे पर्सनली मिले थे!
नेताओं के कारनामें भाजपा को पडेंगे भारी!
इस बार के पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव भाजपा के लिए चुनौतिपूर्ण होंगे! जिलें में आधे से अधिक पंचायतों में कांग्रेस समर्थित सरपंच बैठे है। जिला मुख्यालय की नपा और जिलें की तीन विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है! भाजपा के पास बडे पद में सिर्फ सांसद ही है! खेल सामग्री और अनाज घोटाले की चर्चा आज भी लोग करते रहते है। इन दोनों घोटालों में बीजेपी के बड़े नेताओं का नाम जोडकर देखा गया था!
ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा की बीजेपी इन चुनावों में किन चेहरों को सामने लाती है।
खेल सामग्री में इसलिए चुप है नेता!
जिलें की खेल सामग्री घोटालें में बनाए गए आरोपियों कि समान धाराओं में एफआईआर दर्ज हुई थी! न्यायालय नें किसी की अग्रिम जमानत याचिका स्वीकार कर ली तो, किसी की खारिज कर दी!
एफआईआर में दर्ज धाराओं का हवाला देते हुए पुलिस ने भी किसी तरह की बडी कार्रवाही से बचते हुए पल्ला झाड लिया! इस घोटालें में शामिल होने के आरोप जिन भाजपा नेताओं पर लगे, उन्होंने भी इस मामलें में कार्रवाही किए जानें की मांग नहीं की! इससे आमजन में सीधा यहीं संदेश जा रहा है कि, इन नेताओं पर लगे आरोप सही होंगे और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस घोटालें मे वे स्वयं या उनकें करीबी शामिल होंगे!
नगरीय निकाय चुनाव में लेंगे हिसाब!
नगर पालिका और जिला प्रशासन के संयुक्त रूप से चलाए गए अतिक्रमण मुहिम को रोक दिया गया है! लेकिन यह मुहिम सवालों के घेरे से बाहर नहीं निकल रही! इससे प्रभावित लोगों का कहना है कि प्रशासन ने भेदभाव पूर्ण कार्रवाही की! नगर में हर जगह अतिक्रमण है लेकिन, कार्रवाही कुछ ही स्थानों पर की गई, वो भी निष्पक्ष नही हुई! शहर के कई इलाके ऐसे है जहां प्रशासन का बुलडोजर नहीं गया! लोगों की नाराजगी सत्ता पक्ष भाजपा पर भी है, अतिक्रमण मुहिम के दौरान नेताओं की खामोशी का हिसाब नगरीय निकाय चुनाव में बराबर करनें की बात कही जा रही है!
यही है जिलाध्यक्ष के कार्यकाल की उपलब्धि!
भाजपा जिलाध्यक्ष लक्ष्मणसिंह नायक को अध्यक्ष पद पर रहते हुए दो वर्ष पूर्ण हो चुके है! पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने उन्हें बधाईयां दी! नगर के प्रमुख स्थानों पर फोटो लगे फ्लैक्स लगाए गए! लेकिन जिलाध्यक्ष के कार्यकाल की उपलब्धि नहीं बताई गई! दो वर्ष के कार्यकाल में पार्टी और संगठन में उनकी कितनी उपलब्धि रही यह तो पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में पता चलेगा! लेकिन इन दो वर्षो में वे कई विवादों से घिरे रहे! महिला उत्पीडन, परिवार के सदस्य का गेहूं घोटाला, विवादित वायरल ऑडियो और भाजपा की अंदरूनी गुटबाजी भी उनके कार्यकाल की उपलब्धियों में गिनी जाएगी!