Jhabua News: सांसद द्वारा की गई FIR के बाद जिले का सियासी पारा चढ़ा!

विक्रांत भूरिया ने कहा FIR के दम पर भाजपा मुझे नहीं झुका सकती!

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झाबुआ से श्याम त्रिवेदी की रिपोर्ट

झाबुआ। मौसम मे बढ़ती गर्मी के पारे के साथ ही झाबुआ जिले की सियासत भी गर्मा गई है।

भाजपा सांसद गुमान सिंह डामोर द्वारा प्रदेश युवक कांग्रेस अध्यक्ष विक्रांत भूरिया पर FIR दर्ज करवाने के कुछ ही घंटों मे विक्रांत भूरिया ने अपने बयान वाला वीडियो जारी कर दिया।

सांसद डामोर और विक्रांत के ट्विटर वार के बाद आज गुमानसिंह डामोर की शिकायत पर प्रदेश युवक कांग्रेस अध्यक्ष विक्रांत भूरिया पर मामला दर्ज हो गया। महज तीन से चार घंटे मे विक्रांत ने इस मामले मे बयान जारी कर दिया।

विक्रांत ने कहा कि बीजेपी ने मुझ पर 505 आईपीसी की धारा के अंतर्गत राज्य के खिलाफ अपराध के अधिनियम के अंतर्गत एफआईआर करी और ये एफआईआर इसलिए करी क्योंकि बीजेपी सांसद गुमानसिंह डामोर का एक स्टेटमेंट पूरे सोशल मीडिया पर जबरदस्त वायरल हुआ जिसमें आरक्षण को समाप्त करने की बात वो कह रहे थे।

इनकी मंशाएं सबके सामने जग जाहिर है। जिस तरह से ये आदिवासी को आदिवासी से लड़ाने का काम कर रहे है। धीरे धीरे आरक्षण का प्रतिशत घटाने के लिए और आरक्षण समाप्त करने के लिए ये अपने जो लक्ष्य है उसके उपर अग्रसर है।

विक्रांत ने कहा कि मैं बीजेपी से यह कहना चाहूंगा आप एक एफआईआर के दम पर मुझे झुका नहीं सकते।

आप अगर जेल भी भेज दे तो मैं सच के लिए समाज के लिए लड़ता रहूंगा और जो ये आपकी आरक्षण विरोधी सोच है, इसका पर्दाफाश करता रहूंगा।

श्री भूरिया ने कहा कि जिस तरह की परिस्थितियों मे एफआईआर करी है, बिना जांच के, बिना साक्ष्य जानें और बिना तहकीकात किए मुझ पर एफआईआर कर दी गई।

पुलिस प्रशासन पूरे मध्यप्रदेश मे दबाव में है और अगर आपको एफआईआर करनी थी, और सही में आप आदिवासी हितैषी हो तो सिवनी में हमारे भाई जो दो लोगों की मोबलिंचिंग में मौत हुई है।

मोबलिंचिंग करने वालों के खिलाफ आप कार्यवाही करके दिखाइये, उनके घर तोडकर दिखाइये, उस पर बुलडोजर चलाकर दिखाइये। उनको कब फांसी होगी ये बताइये।

भूरिया ने कहा कि जिस तरह से प्रदेश सरकार पुलिस पर जबरदस्त दबाव बनाए हुए हैं, हमें इन पर बिलकुल भरोसा नहीं है। इसकी सीबीआई जांच होना चाहिए!

सांसद डामोर ओर विक्रांत के बीच शुरू हुए विवाद ने सियासी पारा चढा दिया है! ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह सियासी मामला आगे क्या गुल खिलाता है?