झूठ बोले कौआ काटे! बाबा का ऐलान, मिट्टी में मिले बदमाश और मकान
– रामेन्द्र सिन्हा
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के माफिया को मिट्टी में मिलाने के ऐलान के बाद पुलिस-प्रशासन का अभियान जारी है। पहले, उमेश पाल हत्याकांड में प्रयोग की गई क्रेटा गाड़ी को कथित तौर पर चला रहे बदमाश को यूपी एसटीएफ ने मुठभेड़ में मिट्टी में मिला दिया, फिर एक के बाद एक, दो फरार बदमाशों के कथित अवैध मकान को जमींदोज कर दिया। आगे-आगे देखिये होता है क्या?
बोले तो, पिछले शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक विधायक की हत्या के चश्मदीद गवाह को सड़कों पर दौड़ा कर मार दिया गया। साथ मौजूद दो सुरक्षाकर्मी भी इस घटना में मारे गए। हालांकि, मृतक उमेश पाल धमकी मिलने और हत्या की आशंका की शिकायत दर्ज करा चुका था। मात्र 44 सेकंड में पूरी वारदात को अंजाम दे कर अपराधियों के प्रति जीरो टॉलरेंस वाली योगी सरकार के इकबाल को जबर्दस्त चुनौती दी गई।
अपराधी भूल गए कि उत्तर प्रदेश में जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत योगी सरकार के छः साल के कार्यकाल में 172 इनामी अपराधियों को मुठभेड़ में मार गिराया गया जबकि 4710 अपराधी पुलिस मुठभेड़ में घायल हुए। एसटीएफ द्वारा 10531 मुठभेड़ों में ढेर किए गए इन अपराधियों की गिरफ्तारी पर 10 हजार रुपये से 5 लाख रुपये तक का इनाम घोषित किया गया था। संगठित अपराधों में शामिल 22597 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया और 700 कुख्यात एवं वांछित अपराधियों को गिरफ्तार किया गया। बदमाशों से मुठभेड़ में 13 पुलिसकर्मी भी बलिदानी हुए जबकि 1398 घायल हुए।
अपराधी ये भी भूल गए कि गैंगस्टर एक्ट के तहत 1577 करोड़, 75 लाख, 33 हजार 552 रुपए की संपत्ति जब्त की जा चुकी है जबकि, 1098 करोड़, 62 लाख, 60 हजार, 262 रुपए की संपत्ति अवैध कब्जे से या तो मुक्त कराई गई या फिर ध्वस्त कराई गई है। दरअसल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश के बाहुबलियों के आर्थिक साम्राज्य को ध्वस्त किए जाने के उद्देश्य से ही एंटी माफिया टास्क फोर्स का गठन किया गया। जिसके तहत उप्र शासन / पुलिस महानिदेशक के स्तर से प्रदेश के 62 माफियाओं को चिन्हित किया गया।
यही बाहुबली भू-माफिया भी हैं। इनकी सूची प्रत्येक थाने में है मगर यही भू-माफिया राजनीति करते हैं। कई जगह समाज सुधारक भी हैं। राजधानी लखनऊ से लेकर सहारनपुर तक और बलिया तक कोई ऐसा जिला बाकी नहीं है, जहां सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा न हो। 2017 के आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में लगभग एक लाख हेक्टेयर सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा है। इसीलिए, सरकारी जमीन को कब्जों से मुक्त कराने के लिए उप्र में एंटी भूमाफिया टास्क फोर्स का गठन कर दिया।
दूसरी ओर, योगी सरकार पर समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने निशाना साधते हुए तंज कसा कि ये सरकार पूरी तरह से विफल हुई है। उन्होने पूछा कि ये रामराज्य है? जहां खुलेआम बंदूकें चल रही हैं? पुलिस पूरी तरह से विफल है और इसकी जिम्मेदार भाजपा है। सपा मुखिया ने कहा कि छह साल से मुख्यमंत्री जी उत्तर प्रदेश अपराध मुक्त का दावा करते आ रहे है वे बताएं कि आखिर अपराध कैसे हो रहे हैं? जहां स्थायी डीजीपी ही न हो वहां कानून व्यवस्था कैसे ठीक होगी? यहां कोई निवेश करने क्यों आएगा? मुख्यमंत्री जी कानून व्यवस्था नहीं सम्हाल पा रहे हैं।
इसी दौरान, पूर्व आईपीएस बृजलाल ने एक फोटो ट्वीट की, जिसमें अखिलेश यादव उक्त घटना में नामजद एक अभियुक्त सदाकत खान के साथ खड़े दिख रहे हैं। जवाब में भाजपा के पूर्व विधायक उदयभान करवरिया के साथ सदाकत की फोटो समाजवादियों ने जारी कर दी। मायावती ने योगी सरकार के साथ ही सपा को आड़े हाथों लिया।
दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश विधानसभा में बजट पर चर्चा के दौरान सीएम योगी ने सपा पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि हमारी सरकार ने ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट दिया और सपा ने वन डिस्ट्रिक्ट वन माफिया’। पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए सीएम ने कहा कि वर्ष 2017 से पहले राज्य के नौजवानों के सामने ‘पहचान का संकट’ था और सूबे में माफिया तत्वों की ‘समानांतर सरकार’ चलती थी। सीएम ने कहा, ”वर्तमान में प्रदेश के पास बेहतर कानून-व्यवस्था है, बेहतर संपर्क है, बेहतर इंटरनेट सेवा है, एक्सप्रेस हाईवे, रेल और विमान सेवाओं का बेहतर नेटवर्क है। प्रदेश की श्रम शक्ति की कार्य क्षमता को बढ़ाने का भी काम हुआ है।” उन्होंने कहा कि भू-माफिया रोधी टास्क फोर्स बनाकर भू-माफियाओं से जमीन मुक्त कराई गई और 64,000 हेक्टेयर का लैंडबैंक तैयार किया गया। सीएम योगी ने कहा कि यूपी 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा।
झूठ बोले कौआ काटेः
उमेश पाल हत्याकांड की परत दर परत खुलने के साथ यह तो सुनिश्चित होता जा रहा है कि इस कांड को अतीक अहमद के गुर्गों ने ही अंजाम दिया है। ऐसे कांड में हत्या का मोटिव क्या हो सकता है यह जानना जरूरी होता है। और यह निर्विवाद सत्य है कि उमेश पाल की मौत से किसी को जबर्दस्त फायदा है तो वह अतीक ही है। साबरमती जेल में बंद बाहुबली अतीक अहमद अपहरणकांड में सजा से तभी बच सकता है जब एकमात्र गवाह उमेश पाल गवाही देने के लिए ही जिंदा न रहे।
पुलिस का कहना है कि विधायक राजू पाल की हत्या के बाद उमेश पाल ने अतीक समेत अन्य के खिलाफ पैरवी शुरू की थी। इसके बाद ही 2006 में उमेश का अपहरण कर लिया गया था और कमरे में बंद करके प्रताड़ित किया गया था। वर्ष 2007 में उमेश पाल ने धूमनगंज थाने में अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ दिनेश पासी, अंसार और शौकत हनीफ व चार अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया था।
उमेश पाल इसी मुकदमे की लगातार पैरवी करते हुए सजा दिलवाने का प्रयास कर रहे थे। घटना के दिन भी इसी मुकदमे को लेकर कचहरी में सुनवाई हुई थी और फिर 27 फरवरी को दोष सिद्ध के बिंदु पर बहस होनी थी। माना जा रहा था कि इस मुकदमे में माफिया अतीक को सजा हो सकती थी, जिसके लिए उमेश की दिनदहाड़े हत्या की गई।
वैसे सपा मुखिया अखिलेश यादव या विपक्ष इस कांड के बहाने चाहे जो कह लें, यह तो तय है कि उप्र मे योगी राज के बाद माफिया युग समाप्ति की ओर है। 1980 से 2000 के बीच उभरे ये माफिया अब अपनी उम्र जी चुके हैं। इसमें कोई शक नहीं कि अपराधियों और माफिया सरगनाओं से अब हर राजनेता और राजनीतिक दल दूरी बरतने लगा है। सिर्फ़ सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर को छोड़ कर किसी ने भी किसी माफिया सरग़ना को पिछले उप्र विधानसभा चुनाव में टिकट ऑफ़र नहीं किया। यहां तक कि जिन अखिलेश यादव ने 2012 में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ राजा भैया को अपनी सरकार में मंत्री बनाया था, उन्होंने भी कहा, कि कौन राजा भैया! बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी मुख़्तार अंसारी और अतीक अहमद से कन्नी काट ली।
इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा कभी अतीक का गढ़ मानी जाती थी। वह यहां से लगातार पांच बार विधायक बनने में सफल रहा। समय का चक्र घूमा सब कुछ बदल गया। पूरा चुनाव विकास, कानून व्यवस्था और माफिया की अवैध संपत्ति पर बुलडोजर अभियान पर केंद्रित रहा और उप्र के तत्कालीन कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह दोबारा चुनाव जीतने में सफल रहे।
ऐसे में सीएम योगी यदि उप्र को 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का दावा कर रहे तो निराधार नहीं। भू-माफिया रोधी टास्क फोर्स बनाकर भू-माफियाओं से जमीन मुक्त कराई गई और 64,000 हेक्टेयर का लैंडबैंक तैयार हुआ। यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2023 में छह वर्ष पहले तक बीमारू राज्य के रूप में जाने जाने वाले उत्तर प्रदेश को 33.50 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। सीएम योगी का दावा है कि इस निवेश के चलते प्रदेश में 93 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा।
यह सब एक दिन में तो नहीं हुआ। अपराधियों के प्रति जीरो टॉलरेंस, इज ऑफ डूइंग, बेहतरीन यातायात-परिवहन व्यवस्था, भ्रष्टाचार पर प्रहार और बिना भेदभाव जनोन्मुखी योजनाओं को लागू करने से ही देश-दुनिया के निवेशकों का समर्थन योगी सरकार को छप्पर फाड़ कर मिला है।
और ये भी गजबः
कानपुर के बिकरू कांड के बाद योगी सरकार के इकबाल को चुनौती देने वाली इस बड़ी घटना के गुनहगारों को उनके अंजाम तक पहुंचाने की कवायद में यूपी एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार और यूपी एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश अहम भूमिका निभा रहे हैं। कानपुर देहात में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाले विकास दुबे के एनकाउंटर के मामले में भी इन दोनों पुलिस अफसरों की अहम भूमिका थी।
कानपुर में विकास दुबे के एनकाउंटर का पूरा ऑपरेशन एसटीएफ के तत्कालीन आईजी अमिताभ यश ने संभाला था. 1996 बैच के आईपीएस अमिताभ ने बीहड़ में दस्यु के खिलाफ बड़ा ऑपरेशन चलाया है। दस्यु सरगना ददुआ यानी शिव कुमार पटेल का चंबल क्षेत्र के बीहड़ों में आतंक था। सांसद-विधायक से लेकर प्रधान से वो वसूली करता था। 200 से ज्यादा हत्याओं का इल्जाम उसके सिर पर था। अमिताभ की अगुवाई में वर्ष 2007 में ददुआ के अंत की जिम्मेदारी दी गई। मुखबिरी के लिए इलाके में हर दुकानदार को मोबाइल बांटे गए। जुलाई 2007 में ददुआ को अमिताभ यश की एसटीएफ टीम ने ढेर कर दिया। पिता राम यश भी तेजतर्रार पुलिस अफसर रहे।
मौजूदा यूपी एडीजी कानून व्यवस्था और 1990 बैच के आईपीएस प्रशांत कुमार को कौन नहीं जानता है। वो 300 से ज्यादा एनकाउंटर कर चुके है। साल 1990 से अब तक 3 सौ से ज्यादा खूनी मुठभेड़ इनके नाम दर्ज हैं। इसके साथ ही चाहे खूंखार संजीव जीवा की हो या फिर कग्गा, मुकीम काला, सुशील मूंछ, अनिल दुजाना, सुंदर भाटी, विक्की त्यागी या फिर साबिर गैंग, इनमें से शायद ही ऐसा कोई गैंग होगा जिसके चार-छह बदमाश प्रशांत कुमार या उनकी टीम ने ठिकाने न लगा दिए हों। वीरता के लिए उन्हें 3 बार पुलिस पदक (गैलेंट्री अवॉर्ड) और 2020, 2021 में भी राष्ट्रपति से वीरता का पुलिस पदक मिला।
खूबी ये है कि दोनों ही बिहार के मूल निवासी हैं।