नेता कुछ भी बोल रहे, लिख रहे। पापी वोट का जो सवाल है। यूं तो, वोटों की फसल पर संकट देख कर ‘भगवान राम के असली पिता श्रृंगी ऋषि निषाद थे, दशरथ नहीं’, कहने वाले निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद अगले ही दिन अपने बयान से मुकर गए। दूसरी ओर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने “सनराइज ओवर अयोध्या” (Sunrise Over Ayodhya: Nationhood in Our Times) नाम की पुस्तक में ‘हिंदुत्व की तुलना आतंकी संगठन बोको हराम और आईएसआईएस’ से करके नय़े विवाद को जन्म दे दिया है। उधर, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर ने एक बार फिर जिन्ना के जिन्न को जगा दिया। तो, उप्र के एक पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को उनके पाप के लिए कोर्ट ने दोषी करार दे दिया। सजा का एलान आज होगा।
संजय निषाद ने मीडिया से कहा, “अगर उनके बारे में कोई गलत शब्द बोले गए हैं तो मैं इसके लिए भगवान श्री राम से माफी मांगता हूं।” उन्होंने कहा, “भगवान श्री राम ने हमारे समुदाय के लिए बहुत कुछ किया है और हमारे समुदाय ने श्री राम मंदिर के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।” उन्होंने दावा किया कि विपक्ष उनकी पार्टी और सत्तारूढ़ भाजपा के बीच गठबंधन से खफा है और उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया।
यह सब तब हुआ जब संजय निषाद के कथित बयान को लेकर देश, खासकर उप्र की राजनीति में हड़कंप मच गया। साधु-संतों में आक्रोश फैल गया। तो, भाजपा की भृकुटि टेढ़ी हो गई। दूसरी ओर, विपक्ष के हाथ भाजपा को घेरने का एक मुद्दा लग गया। भाजपा और निषाद पार्टी ने 2022 का विधानसभा चुनाव साथ चुनाव लड़ने के लिए हाथ जो मिलाया हुआ है। 2017 के विधानसभा चुनावों में निषाद पार्टी ने उप्र में 72 विधानसभा सीटों पर 5.40 लाख से अधिक वोट हासिल किए थे।
बोले तो, पुराणों के अनुसार राजा दशरथ पूर्व जन्म में स्वयंभू मनु थे और कौशल्या इनकी पत्नी शतरूपा थी। इन्होंने भगवान विष्णु को पुत्र रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की। इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु प्रकट हुए और इनसे वर मांगने के लिए कहा। मनु और शतरूपा ने भगवान से कहा कि आप हमारे पुत्र बनें हमें यही वरदान चाहिए। भगवान विष्णु ने कहा कि त्रेतायुग में मेरा सातवां अवतार राम के रूप में होगा। उस अवतार में आप दोनों अयोध्या के महाराजा और महारानी बनेंगे। अपने इसी वरदान को पूरा करने के लिए भगवान राम ने दशरथ और कौशल्या के पुत्र के रूप में जन्म लिया। महर्षि वाल्मिकी हों या संत तुलसीदास या दक्षिण भारत के विद्वान, इस तथ्य को मानने में किसी को कोई दुविधा नहीं रही। तो फिर भला, और किसी के गले के नीचे निषाद नेता की बात कैसे उतरती। स्वयं निषादों के भी नहीं।
राम तो थाईलैंड तक व्याप्त हैं। थाईलैंड का मौजूदा चक्री राजवंश खुद को राम कहता रहा है, वही राम जो विष्णु के अवतार भगवान राम के रूप में हिंदुओं के आराध्य हैं। चक्री वंश के वर्तमान राजा को राम ‘दशम’ कहा जाता है। इस वंश के छठवें राजा वजिरावुध को इंग्लैंड में पढ़ाई के दौरान वहां के शासकों के नाम जॉर्ज पंचम, लुइस द्वितीय पढ़ने, सुनने के बाद यह विचार सूझा। वजिरावुध ने सबसे पहले खुद को राम ‘सिक्स्थ’ कहा। इसके बाद इस वंश के राजाओं को राम के साथ एक अंक दिए जाने की प्रथा शुरू हुई। थाई परंपरा के अनुसार जनता राजा का नाम नहीं लिया करती थी इसलिए राजा के लिए अलग संबोधनों की ज़रूरत होती थी।
यही नहीं, थाईलैंड में एक प्रसिद्ध नगर को अयुत्थया के नाम से जाना जाता रहा है, जहां के राजाओं को ‘रामातिबोधि’ (“अधिपति राम”) की उपाधि हासिल रही। अयोध्या से इस शहर का नाम जोड़ऩे की वजह यह है कि ईसा पूर्व द्वितीय सदी में इस क्षेत्र में हिंदुओं का वर्चस्व काफी अधिक था। मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जीवन चरित पर भारत में भगवान वाल्मीकि द्वारा लिखी गई रामायण थाईलैंड में महाकाव्य के रूप में प्रचलित है। 1351 ईस्वी से स्याम राजवंश के शासकों की राजधानी रही अयुत्थया को बर्मा की फौजों ने 1767 में लूट खसोट कर लगभग पूरी तरह नष्ट कर दिया था। अयुत्थया नगरी को विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त 2018 में भारत के राम जन्मभूमि निर्माण न्यास ने यहां एक राम मंदिर का निर्माण शुरू किया था। यह राममंदिर शहर के किनारे प्रसिद्ध सोराय नदी (भारत में अयोध्या सरयू नदी के किनारे बसी हुई है) के तट पर बनाया जा रहा है।
हिंदुत्व पर हमला
राम तो खैर निर्विवाद हैं, लेकिन सलमान खुर्शीद की पुस्तक में हिंदुत्व पर हमले और उसके विमोचन के अवसर पर दिग्विजय सिंह के विनायक दामोदर सावरकर को लेकर दिए बयान को लेकर बवाल मच गया है। खुर्शीद ने किताब में राम मंदिर-बाबरी विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सही बताया है लेकिन हिंदुत्ववादियों की तुलना आतंकी संगठन ISIS और बोको हरम जैसे आतंकी संगठनों की ‘जिहादी सोच’ से कर दी है। किताब में कांग्रेस के उन नेताओं पर भी सवाल किए गए हैं जो सॉफ्ट हिन्दुत्व की बात करते हैं। हांलाकि, उन्होंने ऐसे कांग्रेस नेताओं का नाम लेने से परहेज किया है।
विमोचन कार्यक्रम में दिग्विजय सिंह ने कहा कि वीर सावरकर बीफ खाने को गलत नहीं मानते थे। उन्होंने कहा, “वीर सावरकर धार्मिक व्यक्ति नहीं थे और उनका कहना था कि आखिर गाय को माता मानने की क्या जरूरत है। यही नहीं उनका कहना था कि बीफ खाने में भी कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।” दिग्विजय सिंह ने आगे कहा, “उन्होंने हिंदुत्व शब्द इसलिए दिया था ताकि हिंदू पहचान गढ़ी जा सके और इसके चलते लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा हुई।” उन्होंने जोर देकर ये भी कहा कि हिंदुत्व शब्द का सनातन हिंदू धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। कांग्रेस नेता ने कहा, “ऐसा आरएसएस के प्रचार तंत्र के चलते हुआ है। उनसे पार पाना किसी के बस की बात नहीं है। अब तो उनके पास सोशल मीडिया जैसा हथियार सामने आ गया है, जो अकाट्य साबित होता जा रहा है।”
बाद में एक टीवी चैनल से बातचीत में खुर्शीद बोले कि भाजपा मुझे हिंदुत्व का मतलब क्यों नहीं बताती? हिंदुत्व का मतलब लिंचिंग है कि नहीं है? हिंदुत्व का मतलब कहीं आग लगाना है कि नहीं है? बता दें कि ऐसा नहीं है। यह लोग कोई और हैं? बोल दें कि यह लोग कोई और हैं? इनके अंदर हिम्मत नहीं है क्या? अपनी बात बोलने की हिम्मत नहीं है? सिर्फ दूसरों पर उंगली उठाने की हिम्मत है? खुद लिखे किताब और बताएं कि कितना उदार और कितना अच्छा है हिंदुत्व और उसका सनातन धर्म से क्या रिश्ता है? वह बताएं। हम सनातन धर्म को समझे हैं, हम संतकबीर को समझे हैं। हम महात्मा गांधी को समझे हैं। वह लोग हिंदू नहीं थे क्या?
सलमान खुर्शीद की किताब पर भाजपा और हिंदुत्व समर्थकों में उबाल है तो, विवेक गर्ग नाम के दिल्ली के वकील ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर से शिकायत करते हुए केस दर्ज करने का अनुरोध किया है। आरोप लगाया गया है कि सलमान खुर्शीद ने हिन्दुत्व की आतंकवाद से तुलना कर उसे बदनाम करने की साजिश की है।
उधर, ओमप्रकाश राजभर की जुबान भी सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की तर्ज पर फिसल गई जब उन्होंने सपा सुप्रीमो की हां में हां मिलाते हुए कहा, अगर जिन्ना को देश का पहला प्रधानमंत्री बना दिया होता, तो देश का बंटवारा न हुआ होता। दरअसल, अखिलेश यादव के पिछले दिनों जिन्ना को लेकर दिये बयान पर काफी हो-हल्ला हुआ था। इसी बारे में पूछे जाने ओम प्रकाश राजभर ने ये भी कहा कि अटल बिहारी वाजपेई से लेकर लालकृष्ण आडवाणी तक जिन्ना की तारीफ किया करते थे, इसलिए उनके (जिन्ना के) विचारों को भी पढ़िए।
झूठ बोले कौआ काटे
बोले तो, चुनाव आते-आते ऐसे ही बहुत से विवादित बयानों के बम फूटेंगे और पुस्तकें बाजार में तहलका मचाएंगी। जनता को भरमाने-भटकाने और बरगलाने का काम और तेज होगा। निषाद पार्टी मुखिया संजय निषाद ने समय रहते जनता की नब्ज भांप ली। बात का बतंगड़ बनते-बनते रह गया। चुनाव में राम मंदिर निर्माण भाजपा का एक महत्वपूर्ण अस्त्र होगा, इसमें कोई शक-सुबहा नहीं। इसे विपक्षी नेता भी मान चुके हैं। तभी तो, सभी एक के बाद एक अयोध्या में घुटने टेकते नजर आ रहे हैं। साथ ही जाति और धर्म के एजेंडे को भी रहते-रहते उछालने से नहीं चूकते। यही तो राजनीति का माइंड गेम है। कहीं ऐसा न हो कि वोटों के ध्रुवीकरण की काट ध्रुवीकरण ही बन जाए। तब काम बोलेगा। तब एक और इतिहास रचेगा।
झूठ बोले कौआ काटे, ये दिन पाप में फंसे नेताओं के लिए भारी रहे। ताजातरीन, सपा सरकार में खनन मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति सहित तीन आरोपियों को एमपी/एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश पवन कुमार राय ने सामूहिक दुष्कर्म एवं पास्को एक्ट के अपराध का दोषी करार दिया है। आज उन्हें दी जाने वाली सजा का एलान भी हो जाएगा। प्रजापति पर आय से अधिक संपत्ति का केस भी चल रहा है। मामले की सुनवाई के दौरान बार-बार बयान बदलना पीड़िता को भी भारी पड़ा है। पीड़िता समेत दो अन्य के खिलाफ जांच के आदेश कोर्ट ने पुलिस आयुक्त, लखनऊ को दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि इस बात की जांच की जाए कि इन तीनों ने किस प्रभाव में आकर गवाही के दौरान बार-बार अपने बयान बदले।
इसके पहले, बसपा के पूर्व विधायक योगेन्द्र सागर को छात्रा के अपहरण तथा सामूहिक दुष्कर्म के 13 साल पुराने मामले में बरेली एमपी/एमएलए कोर्ट ने उम्र कैद के साथ 30 हजार रुपया जुर्माना की सजा सुनाई है।