Jhuth Bole Kauva Kaate: क्या सपा को झटका देंगे आजम खान (Azam Khan)!

Jhuth Bole Kauva Kaate: क्या सपा को झटका देंगे आजम खान (Azam Khan)!

कभी उत्तर प्रदेश की राजनीति में अघोषित मुख्यमंत्री का रूतबा रखने वाले समाजवादी पार्टी के नेता मोहम्मद आजम खान (Azam Khan) जबसे जेल गए हैं, उनका हाल बेहाल है। सपा नेतृत्व से नाराज चल रहे आजम हाल ही में अखिलेश यादव के चाचा और प्रगतिशील सामाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्याक्ष शिवपाल यादव तथा कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णम आदि से तो जेल में मिले लेकिन समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल को टरका दिया। चर्चा है कि आजम खान 2009 को दोहरा सकते हैं जब अमर सिंह के कहने पर मुलायम सिंह यादव ने रामपुर से जयाप्रदा को लोकसभा चुनाव लड़ा दिया। आजम इससे इतना गुस्सा हुए कि सपा से नाता तोड़कर अलग हो गए।                  images 20

आजम खान (Azam Khan) इस बार इसलिए नाराज बताए जा रहे हैं कि अखिलेश सिवाय एक बार के उनसे सीतापुर जेल में फिर मिलने नहीं गए। अब भले अखिलेश कह रहे कि आवश्यकता पड़ने पर वह खुद जेल जाकर आजम खान से मुलाकात करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि आखिर जब आजम खान (Azam Khan) के खिलाफ झूठे मुकदमे लिखे जा रहे थे उस वक्त यह लोग कहां थे जो अब जेल जाकर उनसे मुलाकात कर रहे हैं।

दूसरी ओर, एक टीवी चैनल से बातचीत में प्रमोद कृष्‍णम ने कहा, मुझे लगा कि ‘एक-दो जख्‍म नहीं, पूरा जिस्‍म है छलनी…।’ कृष्णम ने जेल में आजम खान (Azam Khan) के हालात का वर्णन करते हुए कहा कि एक छोटा सा कमरा है। न उसमें कोई चारपाई, न खाट, न तख्‍त, न कोई अच्‍छा बिस्‍तर, न उसमें कोई गद्दा, फोम का गद्दा भी नहीं, जूट का गद्दा भी नहीं। टाट का एक बिछौना है। दरी है। गंदा सा फर्श है और उसी के पास एक खुला बाथरूम है। इसके अलावा आसपास के बैरक में पूरी तरह  सन्‍नाटा है। वहां कोई नहीं है। बहुत दु:ख हुआ, तकलीफ हुई।    images 1 1651177839520

प्रमोद कृष्‍ण ने कहा कि मुझे लगता है कि आजम खान (Azam Khan) पर जब यह संकट आया तो उन्‍हें उम्‍मीद थी कि सपा उनका साथ देगी। लेकिन वह यह भूल बैठे थे कि सपा ने जब नेताजी के साथ ही अच्‍छा सलूक नहीं किया तो आजम खान साहब के साथ क्‍या अच्‍छा सलूक होगा। इसी का नतीजा है कि उन्‍होंने सपा नेताओं से मिलने से इनकार कर दिया। कांग्रेस नेता ने कहा कि आजम खान (Azam Khan) जिससे मिलना चाहते हैं उससे मुलाकात हो सकती है। वे जिससे नहीं मिलना चाहते प्रशासन उसकी मुलाकात नहीं करा सकता।

शिवपाल सिंह यादव भी इससे पहले आजम खान (Azam Khan) की उपेक्षा को लेकर अखिलेश से नाराजगी जता चुके हैं। उन्होंने कहा था कि वह जल्द ही इस मामले को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने रखेंगे। उनके समर्थकों का कहना है कि आजम खां को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया जाना चाहिए था। आजम खान (Azam Khan) के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खान ने अखिलेश यादव पर अपने नेता की अनदेखी करने का आरोप लगाया था। फसाहत अली के अनुसार, ‘हम चाहते हैं कि आजम खान साहब समाजवादी पार्टी से दूरी बनाने का फैसला जल्द से जल्द लें। उन्होंने पार्टी के लिये अपने खून का एक-एक कतरा दिया, जबकि पार्टी को उनकी परवाह ही नहीं है।’.      images 21

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन शाहनवाज आलम ने शिवपाल यादव के बयान से सहमति जताते हुये यहां तक आरोप लगा दिया कि नोएडा विकास प्राधिकरण घोटाले में राम गोपाल यादव को जेल जाने से बचाने के एवज में अखिलेश और मुलायम सिंह यादव ने भाजपा से डील के तहत आज़म खान को जेल भिजवाया है। सपा आज़म के लिए आवाज़ इसलिये नहीं उठाती है क्योंकि ऐसा करने पर भ्रष्टाचार में डूबे पूरे परिवार को जेल जाना पड़ सकता है। इसी दबाव के चलते अखिलेश यादव ने देश भर में हो रहे मुस्लिम विरोधी हिंसा के खिलाफ़ विपक्षी पार्टियों के जारी संयुक्त बयान पर भी हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था। आलम ने सपा के 32 मुस्लिम विधायकों को सदन में अलग दल बना लेने का सुझाव भी दे दिया।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथा ने दावा किया था कि अखिलेश यादव नहीं चाहते हैं कि आजम खान (Azam Khan) जेल से बाहर आएं। अगर आजम खान (Azam Khan) बाहर आ गए तो अखिलेश की कुर्सी खतरे में पड़ जाएगी। जिसका खंडन तब आजम की पत्नी तंजीम फातिमा ने किया था। लेकिन, चुनाव नतीजों के बाद का घटनाक्रम योगी के बयान पर मुहर लगाता हुआ दिख रहा है।

तो क्या, आजम खान (Azam Khan) सपा छोड़ सकते हैं। चर्चा तो यह भी है कि वह संभवत: अपनी पार्टी बना लें अथवा शिवपाल यादव के साथ मिल कर कोई नया गठजोड़ बना लें। क्या वह कांग्रेस में जाएंगे या असदुद्दीन ओवैसी से हाथ मिला सकते हैं, या फिर भाजपा से कोई डील हुई है, सवाल ढेरों हैं। यह तो तय है कि जिसके फैसलों पर मुख्यमंत्री मुलायम रहे हों या अखिलेश किसी की हिम्मत नहीं होती थी अंगुली उठाने की, जो कभी अदालतों में पेशी को नोटिस तक नहीं लेता था, उसका मनोबल कहीं न कहीं तो टूटा है।

आजम खान (Azam Khan) के खिलाफ भैंस, बकरी, किताब और बिजली चोरी से लेकर जमीन पर कब्जा करने तक के कुल 87 मामले दर्ज हैं। रामपुर का प्रशासन उन्हें भू-माफिया घोषित कर चुका है। डकैती की साजिश रचने से लेकर शत्रु संपत्ति कब्जाने तक के मामले में आजम फंसे हुए हैं। एक को छोड़कर बाकी सभी मामलों में उन्हें जमानत मिली चुकी है। बचे हुए एक मामले में जमानत मिलने पर आज़म खान (Azam Khan) जेल से रिहा हो जाएंगे। इस आखिरी मामले में ही आजम खान (Azam Khan) सीतापुर जेल में बंद हैं। यह मामला वक़्फ़ बोर्ड की जमीन कब्जा करने के विवाद से जुड़ा हुआ है। संभव है कि ईद से पहले सुप्रीम कोर्ट उन्हें अंतरिम जमानत पर रिहा भी कर दे।

झूठ बोले कौआ काटेः आजम खान (Azam Khan) उत्तर प्रदेश विधानसभा के दसवीं बार सदस्य बने हैं। इससे पहले 2019 में वो रामपुर लोकसभा के सांसद चुने गए थे। दरअसल, पहले वह नेता प्रतिपक्ष बनना चाहते थे जिस पर अखिलेश यादव ने अपने नाम की मोहर लगा दी। इससे निराश आजम अब अपने करीबी के लिए रामपुर लोकसभा का टिकट चाहते हैं, जबकि सपा आज़मगढ़ में मुस्लिम और रामपुर में हिंदू प्रत्याशी देने पर विचार कर रही है। अखिलेश यादव अभी नरम हिंदुत्व की तरफ ही रहना चाहते हैं। इसका प्रमाण है, हाल ही में पार्टी के एक नेता की ओर से लखनऊ में आयोजित इफ्तार पार्टी। अखिलेश इस आयोजन में 2 घण्टे से अधिक समय तक रहे। चर्चा है कि इसका खर्चा उन्होंने ही उठाया। अखिलेश समाजवादी पार्टी कार्यालय पर इफ्तार कराने की हिम्मत नही जुटा सके। ले-देकर आजम की नाराजगी से सपा फिलहाल, हलाल तो हो ही रही, अब वो कब झटका देंगे, देंगे या मान जाएंगे जेल से निकलने के बाद ही तय होगा, ऐसा लगता है। वैसे राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं।

सपा को एक और झटकाः समाजवादी पार्टी ने उप्र विधानसभा चुनाव में 111 सीटें जीतकर मुख्य विपक्षी पार्टी का दर्जा हासिल किया था, अब उसके छिन जाने का खतरा है। विधान परिषद चुनाव के हालिया नतीजों ने अखिलेश यादव का पूरा खेल बिगाड़ कर रख दिया है। प्रदेश की 36 विधान परिषद सीटों में से 33 सीटों पर कमल खिला और तीन सीटें निर्दलीय के खाते में गईं। ताजा नतीजों के बाद यूपी विधान परिषद की 100 सीटों में 64 पर भाजपा काबिज हो चुकी है और समाजवादी खाते में यूपी विधान परिषद में 15 विधायक बचेंगे, जिनकी तादाद जुलाई में घटकर 9 रह जाएगी।                      Yogis big action in Lakhimpur Khiri

और ये भी गजबः योगी सरकार में अपराधियों-माफियाओं, दंगाइयों के बाद अब घोटालेबाजों की खैर नहीं होगी। चर्चा है कि यूपी में वित्तीय घोटालों, विशेषकर कल्याणकारी योजनाओं, सरकार के कामकाज, पेपर लीक और भर्ती घोटालों के मामलों की जांच के लिए राज्य पुलिस को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की तरह विशेष अधिकार देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार उत्तर प्रदेश विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम की तर्ज पर कानून लागू करने की तैयारी कर रही है। बताया जाता है कि वरिष्ठ अधिकारियों को 100 दिनों के भीतर प्रस्तावित कानून का मसौदा तैयार करने को कहा गया है। घोटालों और धोखाधड़ी से संबंधित मामलों में विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा जांच प्रणाली को और मजबूत करने के लिए अधिनियम की आवश्यकता महसूस की जा रही थी।

दूसरी ओर, मंत्रिपरिषद की विशेष बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सभी मंत्रीगण शपथ लेने के अगले तीन माह की अवधि के भीतर अपने और अपने परिवार के सदस्यों की समस्त चल-अचल संपत्ति की सार्वजनिक घोषणा करें। सभी लोक सेवक (आईएएस/पीसीएस) अपनी व परिवार के सदस्यों की समस्त चल/अचल संपत्ति की सार्वजनिक घोषणा करें। यह विवरण आमजनता के अवलोकनार्थ ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध कराया जाए। सभी मंत्रीगण यह सुनिश्चित करें कि शासकीय कार्यों में उनके पारिवारिक सदस्यों का कोई हस्तक्षेप नहीं हो।

मालूम हो कि पिछले कार्यकाल में योगी सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए प्रदेश के सूचना विभाग में तैनात 4 अपर सूचना अधिकारियों को डिमोट करते हुए चपरासी, चौकीदार और सिनेमा ऑपरेटर और प्रचार सहायक का पद दे दिया था। बताया गया था कि नवंबर 2014 में जब उप्र में अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी की सरकार सत्ता में थी, तब इन सबका गलत ढंग से प्रमोशन किया गया था।